साहित्य - संस्कृति

शोध के लिए प्रेमचंद साहित्य संस्थान ने पांच हिन्दी शिक्षकों को एसोसिएट आनरेरी चुना

गोरखपुर। प्रेमचन्द साहित्य संस्थान ने पांच हिन्दी शिक्षकों को दो वर्ष के लिए एसोसिएट (आनरेरी) बनाने की घोषणा की है। ये एसोसिएट आनरेरी प्रेमचंद साहित्य पर शोधपरक विनिबंध लिखेंगे जिन्हें विशेषज्ञों की संस्तुति के बाद प्रकाशित किया जाएगा।

यह जानकारी प्रेमचंद साहित्य संस्थान के सचिव प्रो राजेश मल्ल ने एक विज्ञप्ति में दी। उन्होंने बताया कि प्रेमचंद जयंती पर प्रेमचंद साहित्य संस्थान ने एसोसिएट आनरेरी परियोजना की घोषणा करते हुए इसके लिए प्रस्ताव आमंत्रित किया था। संस्थान द्वारा प्रस्ताव के लिए आवेदन के साथ प्रेमचन्द साहित्य के किसी पहलू पर अधिकतम 500 शब्दों का शोध प्रस्ताव मांगा था।

प्रो मल्ल ने बताया कि संस्थान ने इस परियोजना के लिए मिले प्रस्तावों की समीक्षा के बाद पांच शोध प्रस्तावों के लिए एसोसिएट आनरेरी का चयन किया गया है। गोरखपुर विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ रामनरेश राम को ‘ प्रेमचंद और अम्बेडकर ’, गोरखपुर विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ नरेन्द्र कुमार को ‘ प्रेमचन्द के कथेतर गद्य में दलित प्रश्न ’, उमेश चन्द्र काॅलेज, कोलकाता के असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ कमल कुमार को ‘ प्रेमचन्द का कोलकाता से सम्बन्ध ’, गवर्नमे.ट काॅलेज, हमीरपुर के असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ सुजीत कुमार सिंह को ‘ प्रेमचन्द और उनके समकालीन लेखकों के बीच वाद-विवाद का संग्रह व प्रेमचन्द सम्पादित हंस का सम्पादन और प्रकाशन ’, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली की प्राध्यापक डाॅ शुभ्रा सिंह को ‘ प्रेमचन्द की स्त्री जीवन से जुड़ी कहानियो ं का संकलन/विवेचन ’ के लिए एसोसिएट आनरेरी चुना गया है।

यह मानद एसोसिएटशिप की अवधि एक सितम्बर 2022 से दो वर्ष की होगी। इस दौरान एसोसिएट को पांच से दस हजार शब्दों का विनिबंध लिखकर देना होगा,जिसे संस्थान विशेषज्ञों की संस्तुति के बाद प्रकाशित ,पुरस्कृत एवं सम्मानित करेगा। इस अवधि में मानद एसोसिएट संस्थान के पुस्तकालय का उपयोग कर सकेंगे।उन्हें संस्थान की सभी गतिविधियों में निःशुल्क भागीदारी दी जायेगी तथा अवधि विशेष के सभी प्रकाशन निःशुल्क दिए जायेंगे। मानद एसोसिएट को संस्थान के अतिथिगृह में ठहरने की निःशुल्क सुविधा (अधिकतम पन्द्रह दिन) दी जायेगी।

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