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कुलपति को हटाने के लिए प्रो कमलेश गुप्त 15 जनवरी से फिर सत्याग्रह शुरू करेंगे

गोरखपुर। कुलपति के खिलाफ आवाज उठाने और सत्याग्रह करने के कारण निलम्बित किए गए हिंदी विभाग के प्रोफेसर कमलेश कुमार गुप्त ने कुलपति को हटाने के लिए 15 जनवरी से फिर से सत्याग्रह शुरू करने की घोषणा की है। उन्होंने यह भी कहा कि यह सत्याग्रह कुलपति प्रो राजेश सिंह को हटाने के साथ-साथ राज्यपाल कुलाधिपति के विशेष कार्याधिकारी पीएल जानी को हटाने के लिए भी होगा क्योंकि उन्होंने शिकायतों पर कार्यवाही करने के बजाय उसे कुलपति को ही भेज दिया।

प्रो कमलेश कुमार गुप्त ने सत्याग्रह की सूचना अपने फेसबुक वाल पर दी है। उन्होंनं लिखा है कि सत्याग्रह का यह चरण प्रोफेसर राजेश सिंह जी को हमारे दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के कुलपति के पद से हटाने के साथ ही डॉक्टर पी एल जानी जी को कुलाधिपति जी के विशेष कार्याधिकारी के पद से हटाए जाने के लिए भी होगा।

प्रो गुप्त ने लिखा है कि कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह जी किसी तरह का कोई नियम-कानून नहीं मान रहे हैं। सभी शिक्षकों और विद्यार्थियों को आतंकित और उत्पीड़ित करते हुए लगातार अपनी मनमर्जी के साथ तरह-तरह की अनियमितताओं में लिप्त हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय के सारे निकायों, सारी व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया है। उनका कुलपति के पद पर बने रहना विश्वविद्यालय और संबद्ध महाविद्यालय परिवार के हित में कदापि नहीं है।

प्रो गुप्त ने आरोप लगाया कि कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह जी के इन कृत्यों को कुलाधिपति सचिवालय से संरक्षण प्राप्त है। कुलाधिपति सचिवालय ने नैसर्गिक न्याय के विरुद्ध और शासनादेश का उल्लंघन करते हुए प्रोफेसर राजेश सिंह के विरुद्ध मेरी शिकायतों की जाॅंच उन्हें ही कराने को भेज दिया था। कुलाधिपति के विशेष कार्याधिकारी डॉक्टर पी एल जानी जी 25 दिसंबर, 2021 को मेरे अलावे विश्वविद्यालय के ढेर सारे शिक्षकों, विभागाध्यक्षों, विद्यार्थियों, शोधार्थियों से मिले थे। हम सबसे उनकी जो बातें हुई थीं, वह सारी बातें मेरे आरोपों को पुष्ट करने वाली थीं। यह एक तरह से प्रत्यक्ष गवाही थी सच्चाई और न्याय के पक्ष में। हम सबको विश्वास था कि कोई प्रभावी कार्यवाही होगी। डॉक्टर जानी जी ने आश्वासन भी दिया था कि समाधान होगा। शपथपत्र व साक्ष्यों के साथ लिखित शिकायत और उसके समर्थन में लगभग 50 लोगों की गवाही के बावजूद कोई प्रभावी कार्यवाही न होना, घोर अन्याय है।

प्रो गुप्त ने लिखा है कि हमें यह जानकर दुखद आश्चर्य और घोर निराशा हुई कि हमारे कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह जी को वह सारी शिकायतें प्राप्त हो गईं ं, जो हम सबके द्वारा की गई थीं। यह हम सब के साथ सरासर धोखा है। शिकायतों के विरुद्ध कुलपति जी से आख्या माॅंगा जाना अलग बात है और शिकायतों को उन्हें प्रेषित करके उनको ही कार्यवाही करने के लिए सौंप देना बिल्कुल भिन्न बात है। यह प्राकृतिक न्याय के सर्वथा विरुद्ध है। डॉक्टर जानी जी का यह कृत्य हम सबको बुरी तरह से आहत करने वाला है। इससे कुलाधिपति जी के विशेष कार्याधिकारी से बात करने वाले लगभग सभी शिक्षक, विभागाध्यक्षगण गहरे तनाव में हैं क्योंकि कुलपति तरह-तरह से लगातार उनके ऊपर दबाव बना रहे हैं।

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