स्वास्थ्य

आशा संगिनियों के लिए मिसाल बनी रंजना

देवरिया। पुरुषों की नसबंदी सरल और आसान है, बावजूद इसके पुरुष आगे नहीं आते हैं। परिवार नियोजन के लिए पुरुषों को प्रेरित करना आशा संगिनियों के लिए बेहद मुश्किल होता है, लेकिन इस चुनौती से निपटने व अन्य आशा संगिनियों के लिए सुपरवाइजर रंजना कुशवाहा ने मिसाल कायम की है। रंजना गांव-गांव चौपाल लगाकर परिवार नियोजन का ज्ञान बांट रहीं हैं। पिछले दो सालों में उन्होंने जागरूकता के माध्यम से 18 पुरुषों को प्रेरित कर नसबंदी करायी है।

डीसीपीएम डॉ राजेश गुप्ता ने बताया कि आशा कार्यकर्ताओं को परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने का जिम्मा सौंपा गया है। इस जिम्मेदारी के निर्वहन को भाटपार ब्लॉक के रघुनाथपुर गांव की आशा सुपरवाइजर रंजना कुशवाहा ने बखूबी निभाया। रंजना ने अन्य आशाओं से कुछ अलग करने का सोचा और उसे पूरा भी किया। पिछले सालों में रंजना ने दर्जनों पुरुषों को नसबंदी के लिए प्रेरित किया। जिसमें से 2017-18 में 8 और 2018 -19 में 10 पुरुषों ने नसबंदी कराई।वहीँ इनके द्वारा नसबंदी कराये पुरुष भी अन्य पुरुषों को प्रेरित कर रहे हैं। इस कार्य के लिए रंजना को जिलाधिकारी सहित मंडलीय कार्यालय गोरखपुर द्वारा पुरस्कृत भी किया गया है। उनके इस प्रयास से परिवार नियोजन की गांव में अलख जगी है। प्रशासन उनके इस कदम की सराहना कर रहा है।

शर्म छोड़ जागरूकता को बनाया हथियार

आशा सुपरवाइजर रंजना ने बताया कि गाँव की आशा बहुऍं महिलाओं के बीच अपनी बनाए हुए हैं, लेकिन पुरुष अभी भी आशा बहुओं की बातों पर ध्यान नहीं देते हैं। हम घर-घर जाकर नसबंदी के बारे में पूरी जानकारी देते हैं। महिलाएं तो मान जाती हैं, लेकिन पुरुषों को समझाना बहुत मुश्किल होता है। पुरुष राजी ही नहीं होते हैं। घर के बड़े-बुजुर्ग भी नसबंदी के लिए महिलाओं को आगे कर देते हैं। उन्होंने बताया कि शर्म छोड़ पुरुषों के बीच जाकर नसबंदी के प्रति जागरूकता से ही मेरे द्वारा पुरुषों को नसबंदी के लिए तैयार कर पाना संभव हो पाया।

लाभार्थी को मिल रहा तीन हजार रुपया

जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ राजेंद्र सिंह ने बताया कि नसबंदी के लिए पुरुष लाभार्थी को तीन हजार रुपये की धनराशि दी जाती है। इसके साथ ही लाभार्थी को प्रेरित करने वाली आशा को 500 रुपये दिए जाते हैं।

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