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25 से अधिक लोगों की जुटान पर बंदिश से बेफिक्र कुलपति ने 300 शिक्षकों-अधिकारियों की बैठक ली

गोरखपुर। साप्ताहिक लाॅकडाउन लागू होने और बंद कमरे में 25 से अधिक लोगों की बैठक, सभा करने पर रोक के बावजूद आज गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति ने सभी शिक्षकों को बुलाकर बैठक की और उन्हें सम्बोधित किया। दीक्षा भवन के सभागार में हुई इस बैठक में करीब 300 शिक्षक व अधिकारी उपस्थित थे। इस बैठक को लेकर शिक्षकों के व्हाट्सएप्प ग्रुप में कड़ा विरोध जताया जा रहा है।

दी द उ गोरखपुर विशविद्यालय के कुलपति प्रो राजेश सिंह के आधिकरिक टिवट्र हैंडल पर इस बैठक की फोटो जारी करते हुए कहा गया है कि ‘ कुलपति ने आज नए शैक्षणिक सत्र के शुभारम्भ पर शिक्षकों से संवाद करते हुए क्यूएस वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिग में भारत के टाप 100 विश्वविद्यलायों में स्थान बनाने के लिए बधाई व शुभकामनाएं दी। कोविड-19 महामारी की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए कुलपति जी ने वि.वि. के नए शैक्षणिक कैलेंडर को भी लांच किया। उन्होंने सभी संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्षगण से इस शैक्षणिक कैलेंडर के अनुसार सत्र को संचालित करने का निर्देश दिया। ‘

कुलपति के आदेश पर कुलसचिव ने इस बैठक के लिए 18 जून को आदेश जारी किया था। आदेश में कहा गया था कि ‘ माननीय कुलपति महोदय के आदेशानुसार अवगत कराना है कि 19 जून को दोपहर 12 बजे विश्विद्यालय के सभी शिक्षकों एवं अधिकारियों को कुलपति सम्बोधित करेंगे। इस अवसर पर समस्त शिक्षकों एवं अधिकारियों की उपस्थिति अनिवार्य है। ‘

बैठक में उपस्थित शिक्षकों से पता चला कि अपने सम्बोधन में कुलपति ने अधिकतर समय क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिग के बारे में बात की। उन्होंने इस रैंकिग में गोरखपुर विशविद्यालय के टाप 100 विश्वविद्यालयों में शामिल होने पर इसी विश्वविद्यालय के कुलपति रहे प्रो अशोक कुमार द्वारा उठाए गए सवाल का जवाब दिया। उन्होंने पूर्व कुलपति का नाम लिए बिना इस बात पर नाखुशी जाहिर की कि गोरखपुर विश्वविद्यालय के अधिकतर विभागाध्यक्षों और शिक्षकों ने इस गौरवपूर्ण उपलब्धि का सोशल मीडिया पर बखान नहीं किया। कुलपति ने कहा कि वह जल्द ही आदेश जारी करेंगे कि सभी विभागाध्यक्ष व शिक्षक ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम पर एकाउंट बनाएं और रोज विश्वविद्यालय के बारे में सकारात्मक पोस्ट लिखें।

https://twitter.com/vcddugu/status/1406243600996790284

कुलपति ने यह भी कहा कि वह इस बैठक में जलपान का भी प्रबंध रखना चाहते थे लेकिन कोविड को देखते हुए नहीं रखा। लेकिन जल्द ही वे जलपान पर सभी शिक्षकों से मिलेंगे।

उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले यह खबर आयी थी कि क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिग में दीदउ गोरखपुर विश्वविद्यालय को देश के 100 टाप विश्वविद्यालयों में शामिल किया गया है। इस पर पूर्व कुलपति प्रो अशोक कुमार ने सवाल उठाए थे कि क्यूएस वर्ल्ड रैंकिग 2022 और 2021 में भी गोरखपुर विश्वविद्यालय का नाम नहीं है। वर्ष 2020 की सूची में 96 रैंक पर जो नाम दिख रहा है, उसे केवल एसेसमेंट के लिए शामिल किया गया है।

साप्ताहिक लाॅकडाउन और 25 से अधिक लोगों की बंद कमरे में बैठक पर रोक के बावजूद कुलपति द्वारा आज करीब 300 शिक्षकों-अधिकारियों की बैठक को सम्बोधित किए जाने पर सवाल उठाए जा रहे हैं। एक शिक्षक ने व्हाट्सएप्प ग्रुप में लिखा कि ‘ आज साप्ताहिक लॉक डाउन है, शिक्षक बन्धुओं। बहुत ही असमंजस एवं दुविधा की स्थिति है कि हम सभी सरकार की बात माने या विश्वद्यिालय प्रशासन की,जबकि हमारे सभी बन्धु यथा सम्भव आन लाइन कक्षाएं और अन्य कार्य कर रहे हैं। इस कोविड संक्रमण के दौर में एक साथ करीब 300 लोगों की उपस्थिति कहाँ तक उचित है,यदि इसकी वजह से संक्रमण फैला तो जिम्मेदारी किसकी होगी ?

 

https://twitter.com/pandeyroh/status/1406114550630342656

 

 

एक अन्य शिक्षक ने खुल पत्र लिखते हुए कहा ‘ उत्तर प्रदेश में शनिवार और रविवार को लॉकडाउन लागू है। किसी बंद हाल में होने वाले कार्यक्रम में अधिकतम उपस्थिति अब भी 25 तक ही सीमित है। कोविड-19 के कारण हम विश्वविद्यालय परिवार के कई सदस्यों को गंवा चुके हैं। विश्वविद्यालय परिवार के कई लोग अब भी पोस्ट कोविड की दिक्कतों से गुजर रहे हैं। इस विषम परिस्थिति में संलग्न सूचना के अनुसार विश्वविद्यालय के सभी शिक्षकों और अधिकारियों की उपस्थिति अनिवार्य होने के कारण, उसमें सम्मिलित होना हमारी मजबूरी थी, लिहाजा हमें उसमें सम्मिलित होना पड़ा। कार्यक्रम बंद हाल में संपन्न हुआ, लगभग डेढ़-दो घंटे चला और लगभग 300 लोग उपस्थित रहे। ‘

बैठक में उपस्थित शिक्षक और अधिकारी

इस खुले पत्र में कहा गया है कि ‘ कार्यक्रम में कुछ लोगों के खांसने की भी आवाजें सुनाई पड़ीं। ऐसे में, उपस्थित लोगों में से किसी भी व्यक्ति या उसके परिवार के किसी भी सदस्य के कोरोनाग्रस्त होने और उसकी वजह से किसी भी तरह की अनहोनी होने की( ईश्वर न करे कि ऐसा हो।) आशंका है। जब देश के प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री अपनी पूरी ऊर्जा इस वैश्विक आपदा से जूझने में खर्च कर रहे हों, कोविड-19 की दूसरी लहर के भयावह दौर से हम उबर रहे हों और तीसरी लहर की बार-बार आशंका जताई जा रही हो, ऐसे में किसी विश्वविद्यालय में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा जारी कोविड-19 के सारे नियमों- दिशानिर्देशों की अवहेलना करते हुए इस तरह का कार्यक्रम किया जाना कैसे और कहां तक उचित है ?  विश्वविद्यालय अपने क्षेत्र के बौद्धिक मार्गदर्शक भी होते हैं। अगर इसी तरह के आयोजन बाकी जगहों पर होने लगें, आम जनता भी ऐसे ही दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने लगे, तो इसके परिणाम कितने भयावह होंगे, इसकी कल्पना की जा सकती है। ’

https://twitter.com/yogeshyyadav/status/1405931858433507328

 

विश्वविद्यालय में आज हुए इस कार्यक्रम पर सोशल मीडिया पर सवाल उठाए जा रहे हैं। रोहन पाठक, सुशांत शर्मा, योगेश यादव ने इस कार्यक्रम को कोरोना बढ़ाने वाला कार्यक्रम बताते हुए सवाल खड़े किए हैं।

उल्लेखनीय है कि कोविड की दूसरी लहर में विश्वविद्यालय के दो शिक्षकों -समाजशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो मानवेन्द्र सिंह तथा अर्थशास़्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफसर शरद श्रीवास्तव का कोरोना से निधन हो गया। विश्वविद्यालय के कई कर्मचारियों का भी कोरोना से निधन हुआ है। इसके अलावा बड़ी संख्या में शिक्षक-कर्मचारी कोरोना संक्रमित हुए हैं। इसलिए अभी भी शिक्षकों-कर्मचारियों में कोराना के लेकर भय व चिंता है।

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