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रिहाई मंच ने इस्लामिक स्कॉलर और शिक्षाविद डा० कल्बे सादिक के देहान्त पर शोक व्यक्त किया

लखनऊ . रिहाई मंच ने इस्लामिक स्कॉलर और शिक्षाविद डा० कल्बे सादिक के देहान्त पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि भारत ने मानवता के एक दूत को खो दिया है।

रिहाई मंच अध्यक्ष एडवोकेट मुहम्मद शुऐब ने कहा कि डा० कल्बे सादिक का पूरा जीवन मानवता को समर्पित था। आज उनके इस कथन की प्रासिंगता सबसे अधिक है कि ‘जो धर्म मानवता की शिक्षा नहीं देता वह धर्म नहीं राजनीति है।’ उन्होंने कहा कि मौलाना कल्बे सादिक ने एक तरफ मुसलमानों के बीच शिया–सुन्नी मसलकी अंतर्विरोधों को खत्म करने में महती भूमिका निभाई तो दूसरी तरफ विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच भाईचारा कायम करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

रिहाई मंच अध्यक्ष ने कहा कि आज देश साम्प्रदायिकता की आग में झुलस रहा है. ऐसे में मौलाना कल्बे सादिक जैसे साम्प्रदायिक सौहार्द का झंडा बुलंद करने वाले महान योद्धा का हम सबको छोड़कर जाना अत्यंत कष्टकारी है। डा० कल्बे सादिक महान शिक्षाविद थे। वह महिला शिक्षा के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने न केवल गरीब छात्रों के लिए स्कॉलरशिप की व्यवस्था की बल्कि कई शिक्षण संस्थानों के संस्थानों की स्थापना में महत्पूर्ण भूमिका निभाई थी। डा० कल्बे सादिक अज्ञानता को सामाजिक कुरीतियों, अधविश्वासों, कट्टरता और साम्प्रदायिकता का कारण मानते थे और इसे खत्म करने के लिए शिक्षा को सबसे बड़ा हथियार मानते थे। उन्होंने अपने सम्बोधनों के माध्यम से ही नहीं बल्कि व्यवहारिक रूप से शिक्षा क्षेत्र में काम किया। डा० कल्बे सादिक ने कई शिक्षण संस्थान कायम किए जिनमें ऐरा मेडिकल कॉलेज, यूनिटी कालेज, ए एम यू कालेज, इंडस्ट्रियल कालेज और काज़मैन चैरिटेबुल अस्पताल उल्लेखनीय हैं। वह एरा मेडिकल कॉलेज और यूनिटी कॉलेज के संरक्षक भी थे।