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दो प्रोफेसरों पर एससी/एसटी एक्ट का केस दर्ज होने से शिक्षक खफा , हड़ताल पर जाने की चेतवानी दी

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के दलित शोध छात्र दीपक कुमार द्वारा जहर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश के मामलेे में कैंट पुलिस ने आखिरकार दो प्रोफेसरों प्रो द्वारका नाथ और प्रो सीपी श्रीवास्तव के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कर लिया। प्रो द्वारकानाथ दर्शन शास्त्र विभाग के अध्यक्ष हैं जबकि प्रो सीपी श्रीवास्तव कला संकाय के डीन हैं। दोनों प्रोफेसरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने से विश्वविद्यालय शिक्षक संघ बेहद खफा है। आज शिक्षक संघ की अगुवाई में बड़ी संख्या में शिक्षकों ने कुलपति से मिलकर मुकदमा दर्ज होने पर आक्रोश व्यक्त किया और हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी।

कैंट पुलिस ने दोनों प्रोफेसरों के खिलाफ उस मुकदमें एससी/एसटी एक्ट जोड़ा है जिसमें उसने तीन दिन पहले दीपक कुमार की तहरीर पर दो अज्ञात लोगों के खिलाफ धमकी देने का केस दर्ज किया था। दीपक कुमार ने दोनों प्रोफेसरों पर जातिगत उत्पीडन करने का आरोप लगाते हुए 20 सितम्बर को जहर खा लिया था। उसने यह भी शिकायत की थी कि उसे छात्र संघ भवन पास बाइक सवार लोगों ने दोनों प्रोफेसरों का नाम लेते हुए जान से मारने की धमकी भी दी थी।

दीपक कुमार कोे जहर खाने के बाद बीआरडी मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया था। उसे 22 सितम्बर को डिस्चार्ज कर दिया गया था। डिस्चार्ज होने के बाद 24 सितम्बर को उसकी तबियत फिर खराब हो गई। तब उसे फिर बीआरडी मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया है। उसका इलाज मनोचिकित्सा विभाग के चिकित्सक कर रहे हैं। दीपक कुमार के आरापों पर दोनों प्रोफेसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर 24 सितम्बर को बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने विश्वविद्यालय गेट पर प्रदर्शन कर कुलपति प्रो वीके सिंह को ज्ञापन दिया था।

उधर दोनों प्रोफेसरों के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज होने से विश्वविद्यालय के शिक्षक नाराज हो गए हैं। आज उन्होंने कुलपति प्रो वीके सिंह से मुलाकात कर केस दर्ज होने पर आक्रोश व्यक्त किया और हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी। आक्रोशित शिक्षकों ने आज कुलपति के समक्ष बड़ी संख्या में एकत्र होकर अपना क्षोभ और नाराजगी व्यक्त की। शिक्षक समुदाय में इस बात को लेकर जबरदस्त आक्रोश था कि विश्वविद्यालय प्रशासन की त्वरित कार्यवाही संबंधित छात्र को कुलपति द्वारा निष्पक्ष जांच के आश्वासन और मुख्यमंत्री से इस मामले में सम्यक जांच से पूर्व पुलिस कार्यवाही रोकने की मांग के बावजूद शिक्षकों के खिलाफ ‘  बाहरी तत्वों ’ के दबाव में अभियोग पंजीकृत किया गया।

आज सुबह 11 बजे दो सौ से अधिक शिक्षक कुलपति कार्यालय पर एकत्र हो गये और शिक्षक संघ के नेतृत्व में कुलपति से इस मुददे पर आक्रोश जताते हुए मांग की कि विश्वविद्यालय प्रशासन जिला प्रशासन से तुरन्त संपर्क करके जांच रिपोर्ट आने तक पुलिस कार्यवाही स्थगित रखने को कहे। शिक्षकों ने चेतावनी दी कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो विश्वविद्यालय शिक्षक न केवल बेमियादी हड़ताल पर जाएंगे बल्कि प्रशासन के समक्ष सामूहिक गिरफ्तारी भी देंगे।

कुलपति से  मिलने के बाद सभा के लिए एकत्र शिक्षकों ने संघ के अध्यक्ष को अधिकृत किया कि वे कल फिर मुख्यमंत्री से मुलाकात करके इन परिस्थितियों में शिक्षकों के दुख और क्षोभ से अवगत करायें। शिक्षकों ने एक स्वर से निर्णय लिया कि यदि प्रशासन इस बारे में कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं देता तो शिक्षक सामूहिक गिरफ्तारी देने के लिए बाध्य होंगे। शिक्षक संघ ने आह्वान किया है कि परिसर के आंतरिक मामलों में विश्वविद्यालय की जांच से पहले ही पुलिस कार्यवाही के विरोध में कल शिक्षक काली पट्टी बांध कर अपने आक्रोश की अभिव्यक्ति करेंगे.

सभा को मुख्य रूप से प्रोo विनोद कुमार सिंह, प्रोo चित्तरंजन मिश्र, प्रोo उषा श्रीवास्तव, प्रो संदीप, प्रो ए के तिवारी, प्रो अलोक, प्रो ओ पी पांडेय ने सम्बोधित किया.

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