स्वास्थ्य

बरही गांव के आसपास कालाजार की वाहक मक्खी के खात्मे के लिए तीसरी बार होगा छिड़काव

सरदारनगर के बरही गांव में वर्ष 2016 में मिला था कालाजार का बाहर से आया एक केस
एहतियातन तीसरे साल छिड़काव के लिए प्रशिक्षित हुए स्वास्थ्यकर्मी

गोरखपुर. सरदारनगर के बरही गांव और आसपास के इलाके में कालाजार की वाहक मक्खी के खात्मे के लिए तीसरी बार स्वास्थ्य विभाग छिड़काव कराएगा। इस संबंध में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) पर शुक्रवार को 14 स्वास्थ्यकर्मी प्रशिक्षित किए गए। वर्ष 2016 में इस गांव में कालाजार का एक मरीज पाया गया था जो बिहार से आया था। एहतियातन लगातार तीसरे साल साइपरमेथ्रिन दवा का छिड़काव कराया जा रहा है।

मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डा. श्रीकांत तिवारी ने बताया कि जनपद में कालाजार का पिछले तीन वर्षों में कोई मरीज नहीं मिला है, फिर भी एहतियातन यह कदम उठाया जा रहा है।

जनपद से अपर मुख्य चिकित्साधिकारी (एसीएमओ) डा. आईवी विश्वकर्मा, जिला मलेरिया अधिकारी डा. एके पांडेय, विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारी डा. सागर, स्वयंसेवी संगठन पाथ के अधिकारी डा. नीरज पांडेय की टीम सरदारनगर गयी थी और वहां पीएचसी पर दवा का छिड़काव करने वाले श्रमिकों, आशा, आशा संगिनी, एएनएम, हेल्थ सुपरवाईजर, बेसिक हेल्थ वर्कर (बीएचडब्लू) को दवा छिड़काव के दौरान बरतने वाली सावधानियों के बारे में बताया गया।

जिला मलेरिया अधिकारी डा. एके पांडेय (डीएमओ) ने बताया कि कालाजार नामक बीमारी सेंडफ्लाई मक्खी से फैलती है। यह मक्खी उड़ती नहीं है बल्कि छह फीट तक फुदक कर चलती है। रोशनी पड़ने पर यह मक्खी बालू की तरह चमकती है। उन्होंने बताया कि कालाजार प्रभावित रहे बरही गांव और आसपास गांवों में छिड़काव के कार्य की मानीटरिंग ठीक से हो सके, इसी उद्देश्य से सहायक मलेरिया अधिकारी राजेश चौबे, मलेरिया इंस्पेक्टर प्रवीण पांडेय और वहां के प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. हरिओम पांडेय भी प्रशिक्षण में शामिल रहे।

प्रशिक्षण के प्रतिभागी बीएचडब्लू जितेंद्र कुमार ने बताया कि छह फीट तक दवा का छिड़काव करना है ताकि कालाजार की वाहक मक्खी पर वार किया जा सके। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान छिड़काव में बरतने वाली हर छोटी-बड़ी सावधानी की जानकारी दी गयी।

साल में दो बार छिड़काव

डीएमओ ने बताया कि साल में दो बार छिड़काव कराया जाता है। पहला छिड़काव बरसात के पहले जबकि दूसरी बार बरसात के बाद छिड़काव कराया जाता है। उन्होंने बताया कि कालाजार उत्पन्न करनेवाले परजीवी के संक्रमण से रोगी के शरीर के रोगों से लड़ने की क्षमता घट जाती है जिसके कारण उसे दूसरे रोगों से संक्रमित होने की संभावना भी बढ़ जाती है।

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