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‘ नफरत छोड़ो , संविधान बचाओ पदयात्रा ’ के दूसरे दिन छात्र- छात्राओं, अधिवक्ताओं से संवाद

कुशीनगर। कुशीनगर से नौ नवम्बर से शुरू हुई ‘ नफ़रत छोड़ो, संविधान बचाओ ’ पदयात्रा 10 नवंबर को देवरिया के हेतिमपुर से हाटा तक चली। इस दौरान पदयात्रियों ने दो महाविद्यालयों में छात्र- छात्राओं से, हाटा कचहरी में अधिवक्ताओं से और पूरे रास्ते ग्रामीणों से संवाद किया। पदयात्रियों ने लोगों से नफरत की राजनीति को शिकस्त देने और देश के संविधान और लोकतंत्र बचाने की लड़ाई में योगदान देने की अपील की।

छह दिवसीय यह पदयात्रा 14 नवंबर को संत कबीर की परिनिर्वाण स्थली मगहर में सम्पन्न होगी। समाजवादी नेता अरुण कुमार श्रीवास्तव के नेतृत्व में निकली यह यात्रा छह दिन में 120 किमी का सफर तय करेगी।

दो दिन में पदयात्री करीब 36 किमी चल चुके हैं। पदयात्रा में शामिल लोगों का हर जगह लोगों द्वारा स्वागत हो रहा। कुशीनगर से चलकर पहले दिन पदयात्री हेतिमपुर पहुंचे और वहाँ रात्रि विश्राम किया। दूसरे दिन की यात्रा की शुरूआत किसान पोस्ट ग्रेजुएट कालेज के छात्राओं से वार्ता के साथ प्रारंभ हुई। यहां यात्रा का नेतृत्व कर रहे अरुण श्रीवास्तव ने छात्राओं से संवाद करते हुए उन्हें यात्रा के मकसद के बारे में बताया और उन्हें पुस्तक भेंट की।

यात्रा आगे बढ़ने पर हाटा के पहले पूर्व मंत्री राधेश्याम सिंह ने अपने आवास पर पदयात्रियों का स्वागत किया। पदयात्रा की अगुवाई कर रहे अरुण कुमार श्रीवास्तव ने यात्रा के महत्व पर बातचीत की। साथ ही सह पदयात्री खुर्शीद ने यात्रा के संबंध में लोगों के बीच अपनी बात रखी। पूर्व मंत्री राधेश्याम सिंह ने यात्रियों का स्वागत कर यात्रा के संबंध में चर्चा की और अपने विचार रखें।

पूर्व मंत्री राधेश्याम सिंह पदयात्रियों के साथ हाटा कचहरी और वहाँ से संस्कृत महाविद्यालय तक शामिल हुए। यात्रा का केन यूनियन के पास हाटा चौराहा पर टीपू भाई के नेतृत्व में लोगों ने स्वागत किया।

हाटा कचहरी में अधिवक्तयों के बीच पद यात्रियों ने देश के सामने नफरत की राजनीति से उत्पन्न संकट पर बातचीत करते हुए उनसे संविधान एर लोकतंत्र बचाने की लड़ाई में सहयोग -समर्थन की अपील की। इसके बाद पदयात्रा संस्कृत महाविद्याल पहुँची।

यात्रा संस्कृत महाविद्याल से हाटा में अपने अगले पड़ाव के लिए आगे बढ़ गांधी प्रतिमा पर पहुँची। गांधी प्रतिमा पर पदयात्री अरुण ब्रह्मचारी और अरुण कुमार श्रीवास्तव ने मालार्पण किया।

दूसरे दिन की यात्रा का समापन पट्टन के चक्रधारी प्रजापति के स्कूल में हुआ।

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