प्रशासन ने बाल आश्रम से 25 बालक-बालिकाओं को अपने संरक्षण में लिया, कार्यवाही के दौरान बच्चों से मारपीट का आरोप

गोरखपुर/कुशीनगर। कुशीनगर जिले के पडरौना  क्षेत्र के परसौनी कला क्षेत्र में दो दशक से अधिक समय से संचालित एक बाल आश्रम को अवैध बताते हुए प्रशासन ने आज खाली करा लिया और वहां रह रहे 25 बालक-बालिकाओं को अपने संरक्षण में ले लिया। बाल आश्रम से मुक्त कराने के बाद सभी बालक-बालिकाओं को जिला बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया। समाचार भेजे जाने तक बालक-बालिकाओं का मेडिकल कराने के बाद उन्हें शेल्टर हाउस भेजे जाने की तैयारी की जा रही थी।

बाल आश्रम संचालित करने वाली शिरीन वसुमता ने आरोप लगाया कि उनके यहां रह रहे बच्चों को जबर्दस्ती ले जाया गया और उनके साथ मारपीट की गई। मेरे दो बेटे और एक बहू को भी पुलिस ने हिरासत में लिया है। सोशल मीडिया में प्रसारित दो वीडियो में दो बच्चों को पुलिस कर्मी थप्पड़ मारते हुए और गाड़ी में बैठाने के बाद लाठी से ठेलते हुए दिख रहे हैं।

पुलिस और प्रशासन की ओर से बल प्रयोग के आरोप को नकारा गया है। एसडीएम पडरौना और जिला प्रोवेशन अधिकारी से गोरखपुर न्यूज लाइन ने उनका पक्ष जानने के लिए सम्पर्क किया लेकिन दोनों अधिकारियों ने मोबाइल नहीं उठाया।

प्रशासन और पुलिस ने यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश बाल राल्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डा. सुचिता चतुर्वेदी के निरीक्षण के बाद दी गई रिपोर्ट के बाद की है। बाल आयोग की सदस्य ने अपने निरीक्षण रिपोर्ट में बाल आश्रम को अवैध रूप से संचालित करने की बात की थी। उन्होंने कहा कि बाल आश्रम का रजिस्ट्रेशन नहीं है, सभी बच्चों का धर्मान्तरण कराया गया है, बाल आश्रम में 18 वर्ष से अधिक बच्चों व बालिकाओं को एक साथ यहां रखा गया है जो नियमों के विरूद्ध है।

बाल अयोग की सदस्य डा. सुचिता चतुर्वेदी ने 15 जुलाई को शिरीन बसुमिता सेवा संस्थान द्वारा संचालित इस बाल आश्रम का निरीक्षण किया था।

मिली जानकारी के अनुसार पडरौना ब्लाक के पास स्थित यह बाल आश्रम वर्ष 2001 से चल रहा है। यह बाल आश्रम 60 वर्षीय शिरीन बसुमता और उनके पति संचालित करते हैं। शिरीन बसुमता ने बताया कि कई अनाथ बच्चों को उनके आश्रम में लाया गया। बाल आश्रम में लायी गई पहली बच्ची सिर्फ दो दिन की थी जो लावारिस मिली थी। मैंने उसका पालन पोषण किया। उसका नाम महिमा रखा और उसकी के नाम से महिमा बाल आश्रम की स्थापना की। यह बाल आश्रम मेेरे घर के ही एक हिस्से में स्थापित किया गया। धीरे-धीरे सड़क, नहर, झाड़ी में लावारिस मिले कई शिशुओं को यहां लाया गया जिनकी मैंने देखरेख की। मैंने दो दशक से अधिक समय तक बच्चों की देख रेख की। कई बच्चों को प्रशासन ने उन्हें सौंपा। पडरौना के लोगों के सहयोग से उन्होंने बाल आश्रम को संचालित किया। यहां रखे गए बच्चों को शिक्षा देने का भी कार्य किया।

शिरीन बसुमता के अनुसार वर्ष 2015 में जेजे एक्ट के तहत बाल आश्रमों के पंजीकरण व संचालन की प्रक्रिया निर्धारित की गई तो उन्होंने इसके तहत आवेेदन किया। तमाम प्रयास के बाद भी उनकी संस्था का पंजीकरण नहीं हो पाया क्योंकि पंजीकरण के कुछ शर्तों  खास कर निर्धारित मानक के अनुसार जगह को वह पूरा नहीं कर पा रही थीं। वह बाल आश्रम के मानक के अनुसार स्थान की व्यवस्था करने में लगी थीं और इसमें उन्हें सफलता भी मिल रही थी। उन्होंने उच्च न्यायालय पर याचिका दायर कर पंजीकरण होने तक यहां रह रहे बच्चों को यहीं रखे जाने की अनुमति प्रदान करने, देखरेख करने व उनकी शिक्षा जारी रखने की अपील की। यह मामला अभी भी विचाराधीन है। इसी बीच बाल आयोग की सदस्य का निरीक्षण हुआ और आज यह कार्यवाही की गई।

शिरीन बसुमता ने बाल आश्रम पर लगाए गए आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा कि उन्होंने किसी भी बच्चे का धर्मान्तरण नहीं किया है। वह किसी भी ईसाई संगठन से जुड़ी नहीं हैं। उन्होंने मानवता की सेवा के लिए बाल आश्रम चलाया और उन्हें इसके लिए प्रशासन द्वारा सम्मानित व प्रशंसित भी किया गया। वो तो यह भी नहीं जानती कि यहाँ आए बच्चे किस धर्म जाति के हैं। वह कहीं बाहर से नहीं आयी हैं बल्कि यहीं की की रहने वाली हैं। उन्होंने बाल आश्रम को समाज के सहयोग से संचालित किया है और इस बात को सब लोग जानते हैं। उन्होंने कहा कि उनके दोनों बड़े बेटे नौकरी करते हैं और यहां नहीं रहते हैं। पुलिस उन्हें और छोटी बहू को साथ लेकर गयी है। तीनों को बुरी तरह मारा-पीटा गया है और मुझे आशंका है कि उन्हें गलत केस में फंसा दिया जाएगा।

शिरीन बसुमता ने बताया कि बाल आश्रम में 25 बच्चे थे जिनमें से 16 लड़कियां और नौ लड़के हैं। इनकी उम्र छह वर्ष से 20 वर्ष के अंदर है। छह लड़के और लड़कियां 18 वर्ष से उपर के हैं। ये सभी बच्चे यहीं पले-बढे हैं। मैंने इन्हें अपने बच्चों की तरह पाला है। बच्चों को जबरन मारते-पीटते और घसीटते हुए ले जाना मेरे लिए बहुत त्रासद था। मैनें कभी नहीं सोचा था कि मानवता की सेवा करने की यह सजा मिलेगी।

एसडीएम पडरौना ने समाचार पत्रों को बयान दिया कि बाल आश्रम से मुक्त कराए गए बच्चों को जिला बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया है और उनके निर्देश पर बच्चो को शेल्टर हाउस में भेजा जाएगा।