Monday, December 11, 2023
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उजाड़े गए ग्रामीणों ने खेग्रामस कार्यकर्ताओं के साथ तहसील घेरा, प्रशासन ने जमीन देने का आश्वासन दिया

देवरिया। अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) के कार्यकर्ताओं तीन और चार नवम्बर को जोगउर गांव में तहसील प्रशासन द्वारा उजाड़े गए सात परिवारों के साथ भाटपाररानी तहसील में प्रदर्शन करते हुए अधिकारियों का घेराव किया गया। ग्रामीणों के जबर्दस्त प्रदर्शन से दबाव में आए तहसील प्रशासन ने उजाड़े गए परिवारों को बसाने के लिए पट्टे की जमीन देने का लिखित आश्वासन दिया। लिखित आश्वासन मिलने के बाद ग्रामीणों ने अपना आंदोलन समाप्त किया और कहा कि यदि 15 दिन में प्रशासन अपने आश्वासन को पूरा करने में विफल रहा तो वे फिर प्रदर्शन-घेराव करेंगे।

जोगउर गांव के सात परिवारों को तहसील प्रशासन ने दो नवम्बर को बुलडोजर लगाकर कर उजाड़ दिया। प्रशासन का आरोप था कि ये परिवार खलिहान की जमीन पर अतिक्रमण कर बसे हुए हैं। राजभर समाज के ये परिवार चार दशक से अधिक समय से यहां रह रहे थे। प्रशासन की इस कार्रवाई से प्रभावित परिवारों के साथ-साथ गांव केग गरीब ग्रामीण आक्रोशित थे।

आक्रोशित ग्रामीण तीन नवम्बर को बिजली सब स्टेशन पर प्रदर्शन कर रहे अखिल भारतीय खेतल एवं ग्रामीण मजदूर सभा के कार्यकर्ताओं के पास पहुंचे और अपने साथ हुए अन्याय की जानकारी दी। यहां से ग्रामीण अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा के नेता श्रीराम कुशवाहा के नेतृत्व में प्रदर्शन करते हुए भाटपाररानी तहसील पहुुचे। वहां पर तहसीलदार ने उनसे बातचीत की लेकिन वे कोई ठोस आश्वासन नहीं दे सके। इस पर खेग्रामस के कार्यकर्ता और ग्रामीण वहीं धरने पर बैठ गए और सभा करने लगे। यह धरना पूरी रात चला।

धरना अगले दिन चार नवम्बर को भी जारी रहा। इस दौरान प्रशासन ने पुलिस के बल पर धरना दे रहे ग्रामीणों को वहां से हटाने की कोशिश की लेकिन वे सफल नहीं हैं। सभी विस्थापित परिवार अपने भैंस, गाय, बकरी के साथ तहसील परिसर में जम गए थे। प्रभावित परिवारों की मांग थी कि गैरकानूनी तरीके से उन्हें उजाड़ने वालों के खिलाफ कार्यवाही की जाए, उन्हें हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति दी जाए और उन्हें बसाया जाय। खेग्रामस के कार्यकर्ताओं और प्रभावित परिवारों ने मांग न पूरी होने पर पांच नवम्बर को तहसील घेराव का ऐलान कर दिया।

इससे प्रशासन दबाव में आ गया। काफी ना नुकुर के बाद एसडीएम भाटपाररानी ने प्रभावित परिवारों को लिखित आश्वासन दिया कि बेदखल किए गए परिवारों को जमीन का पट्टा देने की कार्यवाही की जाएगी। इस आश्वासन के बाद आंदोलन समाप्त हो गया। ग्रामीणों ने कहा कि यदि 15 दिन में जमीन का पट्टा आवंटित नहीं किया गया तो वे पुनः आन्दोलन शुरू करेंगे और तहसील का घेराव करेंगे।

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