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जलियांवाला बाग कांड की विरासत हमें एक साथ जीने-मरने की और अन्याय के खिलाफ प्रतिरोध की प्रेरणा देती है

गोरखपुर। भाकपा माले ने जलियांवाला बाग कांड की शतवार्षिकी के अवसर पर ‘ शहीदों को सलाम ’ नाम से कार्यक्रम का आयोजन दीवानी कचहरी सभागार में आयोजित किया। इस अवसर पर मौजूद लोगों को जन संस्कृति मंच के महासचिव मनोज कुमार सिंह, भाकपा माले के जिला सचिव राजेश साहनी, रेल मजूदर नेता जेएन शाह, खेत मजदूर ग्रामीण सभा नेता विनोद भारद्वाज आदि ने सम्बोधित किया।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए जन संस्कृति मंच के महासचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि जलियांवाला बाग कांड दुनिया के बड़े नरसंहारों में से एक है जिसे साम्राज्यवादी ब्रिटिश हुकूमत ने अंजाम दिया। आजादी की लड़ाई में किसानों, मजदूरों की बढ़ती भागीदारी, हिन्दू-मुस्लिम एकता से डरी ब्रिटिश हुकूमत ने यह बर्बर कृत्य किया जिसके लिए माफी मांगने से आज भी ब्रिटेन की सरकार बच रही है।

उन्होंने कहा कि इस घटना से साम्रज्यवाद का असली चेहरा बेनकाब हो गया। उन्होंने जलियांवाला बाग की घटना के पूर्व प्रथम विश्व युद्ध, चम्पारण व खेड़ा के किसान आंदोलन, अहमदाबाद के मजदूर आंदोलन और होम रूल लीग आंदोलन की विस्तारण से चर्चा करते हुए कहा कि आज भले देश में चुनी हुई सरकार है लेकिन राज्य की हिंसा अंग्रेजी सरकार से किसी भी मायने में कम नहीं हैं।

आज भी हर वर्ष पुलिस फायरिंग से सैकड़ों लोगों की मौत होती है। पिछले आठ वर्षों में पुलिस फायिरंग की धटनााओं में एक हजार से ज्यादा लोगों की जान गई। तमिलनाडू में तुतीकोरिन और मध्यप्रदेश में मंदसौर की घटना इसका ताजा उदाहरण है। नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद राज्य हिंसा में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी हुई है। मोदी सरकार ने नागरिकों को उनके बुनियादी अधिकारों से पूरी तरह वंचित कर दिया है। इस स्थिति में शहीदे आजम भगत सिंह के कहे शब्दों को याद करते हुए ऐसी सरकार को उखाड़ फेंकने के प्रयास करना आज की जरूरत बन गई है।

भाकपा माले के जिला सचिव राजेश साहनी ने ब्रिटिश हुकूमत रौलेट एक्ट के जरिए आंदोलनों का दमन कर रही थी। इसके खिलाफ जब आंदोलन शुरू हुआ तो बर्बरता उसे उसका दमन किया गया। जलियांवाला बाग में हजारों लोग अपने दो लोकप्रिय नेताओं डा. सैफुद्दीन किचलू और डा. सत्यपाल की गिरफतारी के विरोध में एकत्र हुए। जनरल डायर ने 1650 राउंड गोलीबारी करायी जिसमें 1210 लोग मारे गए। इस घटना के बाद मार्शल ला लागू कर दिया गया और लोगों पर बर्बर जुल्म ढाहा गया। उन्होंने कहा कि आज जलियांवाला बाग कांड को इसलिए याद करने की जरूरत है कि सरकारों अपनी जनता पर इस तरह का जोर जुल्म न ढाह सके और यदि वे ऐसा करती हैं तो उनके खिलाफ सशक्त जन प्रतिरोध संगठित कर उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया जाए।

उन्होंने कहा कि बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और शहीदे आजम भगत सिंह ने आजाद भारत में चुनी गई सरकारों के ब्रिटिश हुकूमत के नक्शेकदम पर चलते हुए जुल्म ढाने को लेकर चेताया था। आज ऐसे तमाम काले कानून बनाकर लोगों की आवाज को दबाने का काम किया जा रहा है। लोगों को धर्म के आधार पर बांटा जा रहा हैं। जलियांवाला बाग कांड की विरासत हमें एक साथ जीने-मरने की और अन्याय के खिलाफ प्रतिरोध की प्रेरणा देती है।

संगोष्ठी का संचालन इंकलाबी नौजवान सभा के नेता सुजीत श्रीवास्तव ने किया। वरिष्ठ अधिवक्ता सुभाष पाल एडवोकेट ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस मौके पर जुबैर अहमद, जेएन शाह, सुदर्शन निषाद, इसराइल, रामजीत मौर्य, संगीता भारती, मनोज मिश्र, हरिद्वार प्रसाद आदि उपस्थित थे।