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गोरखपुर विश्वविद्यालय का विषाक्त माहौल चिंतनीय : डॉ प्रमोद शुक्ला

गोरखपुर। राजीव गांधी स्टडी सर्किल ,गोरखपुर में समन्वयक डॉ. प्रमोद कुमार शुक्ला ने दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के वर्तमान विषाक्त परिदृश्य पर गहरी चिंता व्यक्त की है।

आज जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि पूर्वांचल के गौरव के रूप में प्रतिष्ठित गोरखपुर विश्वविद्यालय को  पूर्वांचल का ऑक्सफोर्ड भी कहा जाता रहा। यहाँ के ग्रामीण बाहुल्य क्षेत्र और स्थानीयता का ध्यान रखते हुए इस विश्वविद्यालय की स्थापना हुई, जिससे यहाँ का शैक्षिक विकास हो सके। अपने उद्देश्य के अनुरक्षण में  विश्वविद्यालय अनवरत ज्ञान का सृजन और प्रसार करता रहा। पिछली आधी सदी में विश्वविद्यालय का एक गौरवशाली इतिहास बना है, किन्तु वर्तमान उतना ही वीभत्स हो गया है।
तमाम राजनीतिक विचारधारा से परे विश्वविद्यालय के शिक्षक अपने भय एवं क्षोभ को प्रकट कर रहे हैं। मीडिया में छपी खबरे इस भयावह परिदृश्य को दिखा रही हैं, विषाक्तता का माहौल दिख रहा है, नकारात्मकता चहुँओर परिलक्षित हो रहा है।

डॉ शुक्ल ने कहा कि विश्वविद्यालय की गरिमा तार-तार हो रही है।विश्वविद्यालय सार्वजनिक उपहास का पात्र बन गया है। दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के  कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह द्वारा विश्वविद्यालय के शिक्षको, एव महाविद्यालय शिक्षक संगठन गुआक्टा के प्रति लगातार अमर्यादित एव नियमो, परिनियमों के विरुद्ध आचरण किया जा रहा है, जो कि कुलपति पद की मर्यादा एव गरिमा के विपरीत है। उनके कृत्य से शिक्षक अपने को अपमानित महसूस कर रहे हैं तथा उनमें  गहरा रोष है।
ऐसे समय में राज्यपाल, मुख्यमंत्री समेत समस्त शासन प्रशासन के प्राधिकारियों के साथ ही जनप्रतिनिधियों, मीडिया संस्थाओं एवं समाज के प्रबुद्ध वर्ग से विनम्र अपील है कि अतिशीघ्र आवश्यक एवं यथोचित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करें जिससे महायोगी गुरु गोरक्षनाथ जी की धरती पर स्थापित ख्यातिलब्ध एवं प्रतिष्ठित इस विश्वविद्यालय की गौरवशाली प्रकृति अक्षुण्ण रहे।

 

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