साहित्य - संस्कृति

‘ इस देश को हिंदू ना मुसलमान चाहिए हर मजहब जिसको प्यारा हो वो इंसान चाहिए ’

बुद्ध से कबीर तक ट्रस्ट ने आयोजित किया ‘ ढाई आखर प्रेम ’ का कार्यक्रम

गोरखपुर। बुद्ध से कबीर तक ट्रस्ट और हैप्पी मैरिज हाउस द्वारा शनिवार को हैप्पी मैरेज होउस में देश की साझी संस्कृति पर विचार गोष्ठी ‘ ढाई आखर प्रेम ’ का आयोजन किया । इस गोष्ठी में वक्तओं ने बुद्ध, गोरखनाथ और कबीर से प्रेरित होकर शांति, करूणा, अहिंसा, मैत्री, समानता और न्याय को समाज में स्थापित करने पर बल दिया। इस आयोजन में बुद्ध से कबीर तक बैंड ने कबीर के भजन और सद्भाव के गीतों का गायन किया।

गोष्ठी में विचार व्यक्त करते हुए बुद्ध से कबीर तक ट्रस्ट के शैलेन्द्र कबीर ने साझी संस्कृति को मजबूत करने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे बताया और कहा कि बुद्ध और कबीर इतिहास के ऐसे दो महापुरुष है जिनके बीच और बाद में कई महान व्यक्तियों ने भारत के गौरव को बढ़ाया है। इसी कालखंड में महावीर हैं, नानक हैं, दादू हैं, नरसी मेहता हैं जिनके आभामंडल पर बुद्ध और कहीं कबीर की ज्योति परलक्षित होती हैं। गांधी और अंबेडकर जैसे महापुरुष पर भी बुद्ध और कबीर के दर्शन का प्रभाव पड़ा।

कार्यक्रम का संचालन कर रहीं देवयानी ने गोरखनाथ और नाथ संप्रदाय का उल्लेख करते हुए कहा कि नाथ सम्प्रदाय ने पूरे विश्व के सामने धर्मनिरपेक्षता और सर्व धर्म समभाव की मिसाल सामने रखी। उन्होंने कहा कि बुद्ध से कबीर तक ट्रस्ट ने साझी संकृति की जड़ों को सींचने का काम अपने जिम्मे लिया है। हमारी यात्राएं पूर्वांचल की धरती के खोए हुए गौरव को स्थापित करने वाली यात्राएं हैं। देवयानी ने बताया कि ट्रस्ट ने 2018 और 2019 में दो यात्राएं लुंबिनी से शुरू करके कुशीनगर, गोरखपुर, कबीरस्थली मगहर में निकाली हैं। इसका उद्देश्य मार्ग में पड़ने वाले कस्बों, संस्थानों, विद्यालयों में साझी संस्कृति की बयार बहाना है. साथ ही साथ रास्ते में पड़ने वाले उपेक्षित ऐतिहासिक स्थलों की दुर्दशा की तरफ सरकार और जनमानस का ध्यान आकृष्ट भी कराना है।

सभा में डा. तेज प्रताप शाही ने कहा कि विनाश की तरफ बढ़ती दुनिया के लिए बुद्ध, महावीर, कबीर आज आखिरी उम्मीद हैं।

वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार सिंह ने कहा कि पूर्वांचल की धरती महान धरती है जिस पर बुद्ध, गोरखनाथ और कबीर के कदम पड़े। तीनों संतों ने जाति-धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव की कड़ी आलोचना की और हिंसा, अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते हुए अहिंसा, न्याय, तर्क व विवेक के रास्ते पर चलने की राह दिखायी। आज जब देश और समाज को नफरत की राजनीति की गर्म हवा झुलसा रही है तो हमें इन महापुररूषों के विचारों को लेकर लोगों के बीच जाने की जरूरत है। यह कार्यभार सबसे अधिक इसी इलाके के बुद्धिजीवियों, संस्कृति कर्मियों के उपर है।
कबीर मठ के महंत विचारदास साहेब ने कबीर की रचनाओं के मध्याय से लोगों आडम्बर, झूठ, नफरत से दूर रहने की सीख दी।

गोष्ठी के आखिर में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए एस ए रहमान ने कहा कि भारत विभिन्न संस्कृतियों, धर्म, भाषा वेशभूषा, रिवाजों वाला देश है। हमें इसकी विविधता को बनाए रखना है।

इसके पहले बुद्ध से कबीर तक बैंड के आदित्य राजन, जगदंबा जायसवाल, आदर्श, ऋषभ और अभिषेक ने कबीर की प्रमुख रचनाओं ‘ चदरिया झीनी रे झीनी ’ , ‘ संतों  ससुरे पठायो संदेश ’ , ‘ कहां से आया है कहां जाएगा खबर करो अपने तन की ’ , ‘ जो मैं जानती बिसरत हैं सैंया ’ सुना कर लोगों को मन मोह लिया। बैंड के कलाकारों ने ‘ इस देश को हिंदू ना मुसलमान चाहिए हर मजहब जिसको प्यारा हो वह इंसान चाहिए ’ गीत प्रस्तुत कर लोगों को नफरत के खिलाफ प्रेम की दुनिया बनाने के लिए काम करने का संदेश दिया।

कार्यक्रम में डा, अजीज अहमद, अबदुल्ला सिराज, कामिल खान, आसिम रउफ, डा, राजनीकांत श्रीवास्तव, अजयपाल सिंह अनस साबरी अरुण सिंह आशीष रुंगटा, अजीत सिंह कृष्णपाल तनु आबदीन, आरिश, अरमान, राजमन यादव, दीपक पांडेय, शाहबाज आलम, संजय रिंकू, विश्वेश श्रीवास्तव, फादर मैथ्यूज, अरविंद साहेब आदि उपस्थित थे।

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