साहित्य - संस्कृति

काठमाण्डू में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन शुरू

काठमाण्डू। विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी के अवसर पर नेपाल की राजधानी काठमाण्डू में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन आज होटल याक एंड यती के विशाल सभागार में प्रमुख अतिथि संघीय मामला तथा सामान्य प्रशासन मंत्री ह्रदयेश त्रिपाठी और कार्यवाहक राजदूत डॉ अजय कुमार ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

सम्मेलन का आयोजन भारतीय राजदूतावास व त्रिभुवन विश्विद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा किया गया है। मुख्य अतिथि श्री त्रिपाठी का स्वागत कार्यवाहक राजदूत डॉ अजय कुमार तथा त्रिभुवन विश्विद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ संजीता वर्मा ने बुके प्रदान कर और खादा उढ़ाकर किया।

ह्रदयेश त्रिपाठी ने हिंदी दिवस की शुभकामना देते हुए कहा कि विश्व विद्यालय का हिंदी विभाग हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए शानदार ढंग से काम कर रहा है।उन्होंने कहा कि भाषा से ज्ञान का प्रभुत्व बढ़ता है । शोध बताते है कि मां के गर्भ में ही बच्चा मातृभाषा के स्पंदन को महसूस करने लगता है। श्री त्रिपाठी ने कहा कि मुझे हिंदी साहित्यकारों में मुंशी प्रेम चंद्र ने सबसे ज़्यादा प्रभावित किया है। उनका साहित्य समाज को आइना दिखाने वाला है।

इस मौके पर मुख्य अतिथि को” वैष्णव जन तो तेने कहिए ” पुस्तक राजदूत ने भेंट की। इस अवसर पर हिंदी/नेपाली पुस्तको और पत्रिकाओं “साहित्यलोक” स्वामी विवेकानंद की पुस्तक “कर्मयोग”के नेपाली अनुवाद का , 12 खरी उत्कृष्ट कहानियाँ आदि पुस्तकों का लोकार्पण भी किया गया। साहित्य जगत की कई हस्तियों को सम्मानित भी किया गया।

भारतीय दूतावास के डॉ रघुवीर शर्मा,डॉ संजीता वर्मा आदि ने कार्यक्रम को संबोधित किया। विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर भारत के प्रधामंत्री का संदेश राजदूत डॉ अजय कुमार ने पढ़कर सुनाया।अपने अध्यक्षीय संबोधन में आये हुए अतिथियों के प्रति आभार भी व्यक्त किया।

इस सम्मेलन में मॉरीशस, नाइजेरिया, अमेरिका,भारत, आदि देशों से आये प्रतिनिधियों ने भाग लिया।संचालन रुचि शाह ने किया।इस अवसर पर हिंदी मंच नेपाल के अध्यक्ष मंगल प्रसाद गुप्ता, दिग्विजय मिश्रा,आलोक तिवारी,डॉ सरिता बुधु, महेश शर्मा,सुरेश राम्बरण, गोपाल अश्क, डॉ शशि तिवारी,शिवरंजनी, डॉ परवीन गुप्ता, नीलम गुप्ता, गोरखनाथ सरस्वती ,टीका ढकाल, अकरम पठान,गोपाल चंदेल ,शाकिब हारूनी,यशोदा श्रीवास्तव,बृजेश गुप्ता,संभु त्रिपाठी, वीरेंद्र मधेशिया,सग़ीर ए खकसार आदि की उल्लेख उपस्थिति रही।

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