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मदरसों में जिम्मेदार व आत्मनिर्भर इंसान बनने की ट्रेनिंग दी जाती है : मौलाना मसऊद

 

-इलाहीबाग में जलसा-ए-गौसुलवरा व लंगर-ए-गौसिया 

गोरखपुर। शनिवार को इलाहीबाग निकट आगा मस्जिद जलसा-ए-गौसुलवरा व लंगर-ए-गौसिया कार्यक्रम हुआ। जिसकी सरपरस्ती हाजी मो. खुर्शीद आलम खान व संचालन कारी अफज़ल बरकाती ने किया।

मुख्य अतिथि के तौर पर बोलते हुए अल जामियतुल अशरफिया मुबारकपुर यूनिवर्सिटी के मौलाना मसऊद अहमद बरकाती ने कहा कि मदरसों ने हिन्दुस्तान में सामाजिक क्रांति की। मदरसों ने जिस तरह से शिक्षा के माध्यम से अमीर-गरीब का फर्क मिटाया वह दुनिया के किसी अन्य एजुकेशनल सिस्टम में खोजने से भी नहीं मिलता।

उन्होंने कहा कि हाफिज और मौलवी के नाम के बाद आज भी साहब लगाया जाता है। करोड़पति मुसलमान भी ऐसे आलिमों को सम्मान देते नहीं थकते। तमाम बुरे हालातों में भी मुसलमानों ने अपने शैक्षणिक संस्थानों को बचाए रखा। मदरसे सीना ताने खड़े रहे। आलिमों ने गांव-गांव टहल कर अभिभावकों से बच्चों को मांगा। उन्हें पढ़ाया ताकि वे इज्जत की ज़िंदगी बसर कर सकें। यतीमों को गोद लिया। बेसहारा को ज़िंदगी दी। यह पैगाम दिया कि इस्लामी शिक्षा पर सभी का बराबर हक़ है। कुरआन पढ़ कर कोई भी हाफिज़ बन सकता है। मदरसों में दीनी ही नहीं बल्कि एक जिम्मेदार, आत्मनिर्भर और मेहनतकश इंसान बनने की ट्रेनिंग दी जाती है।

विशिष्ट अतिथि घोसी (मऊ) के मौलाना आरिफ खान ने कहा कि हजरत सैयदना शैख अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमां अल्लाह को चाहने वाले, अल्लाह की याद में अपनी जिंदगी गुजारने वाले, अल्लाह की रज़ा के काम करने वाले, अल्लाह की नाराजगी के कामों से दूर रहने वाले, इल्मो-अमल, तकवा परहेजगारी की एक मिसाल थे।

जलसे का आगाज तिलावत-ए-कुरआन से कारी मोहसिन रज़ा बरकाती ने किया। नात कारी आबिद रज़ा निज़ामी ने पेश की। अंत में सलातो-सलाम पढ़कर मुल्कों मिल्लत के लिए दुआ की गई। लंगर-ए-गौसिया में लोगों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।

अध्यक्षता बस्ती के मौलाना रियाज ने की। इस मौके पर हाजी मो. जमील खान, इमरान अहमद खान, शादाब अहमद खान, हाजी खुर्शीद आलम, मो. अयूब खान, मौलाना फैजुल्लाह कादरी, हाफिज हकीकुल्लाह, मौलाना फिरोज निजामी, कारी गुलाम खैरुलवरा, कारी शाबान बरकाती, हाजी महफूज सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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