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वष्ठितम के बजाय वरिष्ठता सूची में 22वें स्थान वाले प्रोफेसर को कार्यभार सौंप विदेश गए कुलपति

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति राजेश सिंह अवकाश पर जाने पर वरिष्ठतम प्रोफेसर को कार्यभार सौंपने के बजाया वरिष्ठता सूची में 22वें स्थान वाले प्रोफेसर को कार्यभार सौंपा है।

यह खुलासा तब हुआ जब कुलपति के खिलाफ सत्याग्रह करने के कारण निलम्बित किए हिंदी विभाग के प्रोफेसर कमलेश कुमार गुप्त ने कुलसचिव से यह जानकारी मांगी कि कुलपति के अवकाश पर जाने की स्थिति में कुलपति का कार्यभार कौन देख रहा है जिससे वे मिलना चाहते हैं। कुलसचिव ने प्रो गुप्त को लिखित रूप से बताया कि कुलपति प्रो राजेश सिंह के अवकाश अवधि में कुलपति पद का दायित्व निर्ववहन अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो अजय सिंह कर रहे हैं।

प्रो कमलेश गुप्त ने आज सुबह अपने फेसबुक वाल पर यह जानकारी साझा करते हुए सवाल उठाया है कि विश्वविद्यालय अधिनियम व परिनियम में व्यवस्था है कि कुलपति की अनुपस्थिति में कार्यभार प्रति कुलपति संभालते हैं और यदि प्रति कुलपति न हो तो विश्वविद्यालय के वरिष्ठतम आचार्य कुलपति के दायित्व का निर्वहन करते हैं लेकिन कुलपति प्रो राजेश सिंह ने अवकाश पर जाने पर वरिष्ठता क्रम में 22वें स्थान वाले प्रोेफेसर को कार्यभार सौंपा है।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति दस दिन के लिए विदेश गए हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से बताया गया है कि वे शैक्षणिक यात्रा पर विदेश गए हैं।

प्रो कमलेश गुप्त ने फेसबुक पर लिखा है कि मैंने प्रोफेसर राजेश सिंह जी पर यह आरोप लगाया है कि वे अधिनियम, परिनियम, अध्यादेश, शासनादेश का जानबूझकर उल्लंघन करते हैं और अपने में निहित शक्तियों का घोर दुरुपयोग करते हैं।

 

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अधिनियम और परिनियम की व्यवस्था के तहत उन्हें अपनी अनुपस्थिति में कुलपति पद का कार्यभार विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति और अगर प्रति कुलपति न हों (जैसा कि इस समय है) तो विश्वविद्यालय के वरिष्ठतम आचार्य को सौंपना चाहिए।
जैसा कि हमको अखबारों के माध्यम से पता चला है कि कुलपति जी इस समय देश में नहीं है। मेरे द्वारा कुलसचिव महोदय को प्रेषित पत्र और उसके जवाब से पता चला है कि उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति का कार्यभार प्रोफेसर अजय सिंह जी को सौंपा है जो विश्वविद्यालय के आचार्यों की सद्यरू प्रकाशित अंतिम वरिष्ठता सूची में 22 वें स्थान पर हैं।

प्रो कमलेश गुप्त ने लिखा है कि प्रोफेसर राजेश सिंह जी को कुलपति पद से तत्काल हटाए जाने के लिए मेरा यह एक साक्ष्य पर्याप्त हैय क्योंकि ऐसा वे प्रायः करते रहे हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी और संलग्न साक्ष्य से यह पुष्ट होता है कि विश्वविद्यालय के कुलसचिव महोदय को भी इस बात की प्रामाणिक सूचना नहीं थी कि प्रोफेसर राजेश सिंह जी ने किसको कार्यभार सौंपा था।

प्रो गुप्त ने लिखा है कि हमारा विश्वविद्यालय किन विकट परिस्थितियों से गुजर रहा है, किन संवैधानिक संकटों का सामना कर रहा है, अब आप इसका अनुमान लगा सकते हैं।

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