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‘ गोरखपुर सिटी : द विज़न 2030 : चैलेंजेज एंड अर्पाट्यूनिटी ‘ पर कार्यशाला कल

गोरखपुर. गोरखपुर महानगर की दशा एवं दिशा विषय पर केन्द्रित  गोरखपुर सिटी : द विज़न 2030 : चैलेंजेज एंड अर्पाट्यूनिटी (Gorakhpur City: The Vision 2030 :   Challenges and Opportunities)  कार्यशाला का आयोजन महानगर पर्यावरण मंच एवं गोरखपुर एनवायरन्मेन्टल एक्शन ग्रुप के संयुक्त तत्वावधान में 22 दिसम्बर को होटल विवेक में किया गया है.

कार्यशाला में प्रो0 एन0 श्रीधरन ( निदेशक, स्कूल आफ प्लानिग एण्ड आर्कीटेक्चर, भोपाल) , टिकेन्दर पवार (पूर्व डिप्टी मेयर शिमला), डा0 विमल सिंह (भूर्गभ विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय) सहित कई पर्यावरण विद, विशेषज्ञ एवं विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे संगठन भाग लेगें.

कार्यशाला के उद्देश्यों के बारे में बताते हुए जितेन्द्र द्विवेदी ने बताया कि वर्तमान समय में गोरखपुर जैसे नगरों में तीव्र गति से जनसंख्या के आव्रजन के कारण जनसंख्या की वृद्धि बड़ी तीव्र गति से हो रही हैं जिससे शहर की भूमि पर बढ़ती जनसंख्या का भार दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. बढ़ती जनसंख्या के सापेक्ष में नागरिक सुविधाओं एवं अवस्थापना में भी वृद्धि न होने के कारण नगर वासियों को विविध प्रकार की समस्याओं का न केवल सामना करना पड़ रहा हैै बल्कि उनकी जीवन की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है.

गोरखपुर महानगर भी इन समस्याओं से अछूता नहीं है. इसमें जनसंख्या की वृद्धि अपेक्षाकृत अधिक है. महानगर के बाह्य विस्तार की पर्याप्त सम्भावना न होने के कारण नगर में जनसंख्या की जहां सघनता बढ़ रही है वहीं उसके उत्तरी, पूर्वी एवं दक्षिणी क्षेत्र में अनियोजित विस्तार और विकास हो रहा है, जो निश्चय ही भविष्य में लाइलाज समस्याओं को जन्म देगा.

इन समस्याओं के समाधान के लिए चिन्ता, नियोजन एवं क्रियान्वयन मात्र सरकारी तंत्र का दात्यिव न हो कर हम नागरिकों का भी कर्तव्य एवं दायित्व है. सरकार एवं नागरिकों के सहयोग से ही बेहतर समाधान निकाला जा सकता है.

कार्यशाला में महानगर की भौगोलिक स्थिति, उसके विस्तार का स्वरूप, विविध नागरिक सुविधाओं के वितरण एवं अभाव के साथ-साथ नगरीय नियोजन के विभिन्न पक्षों पर चर्चा होगी. महागनर में उत्पन्न समस्याओं, उनके समाधान के उचित उपायों को खोजने का भी प्रयास किया जाएगा. कार्यशाला के निष्कर्षो के आधार पर नागरिकों की ओर से एक ‘ सामूहिक संकल्प पत्र ’ तैयार किया जाना भी प्रस्तावित है जिसे सम्बन्धित विभागों को अवगत कराते हुए समस्याओं के निराकरण का यथोचित प्रयास किया जायेगा.

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