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दरगाह पर बैतुल मुकद्दस व फिलिस्तीन की आजादी के लिए हुई दुआ

कुल शरीफ की रस्म के साथ हजरत मुबारक खां शहीद का उर्स-ए-पाक सम्पन्न

गोरखपुर, 23 जुलाई। नार्मल स्थित दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद अलैहिर्रहमां के सालाना उर्स-ए-पाक के अंतिम दिन रविवार को आखिरी कुल शरीफ की रस्म परम्परागत तरीके से अदा की गयी। हिंदुस्तान में अमन, हिन्दू-मुस्लिम एकता के साथ दुनिया में शांति, मुसलमानों पर हो रहे जुल्म से निजात, बैतुल मुकद्दस व फिलिस्तीन की अाजादी के लिए खास दुआएं हुई।
इस मौके पर दरगाह का पैगाम देते हुए दरगाह मस्जिद के इमाम मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही ने कहा कि वलियों की बारगाह से इत्तेहाद और भाईचारगी का सबक मिलता है। भटकी हुई इंसानियत के लिए राहत व सुकून दरगाहों से मिलता है। उन्होंने कहा कि ईमान वालों आखिरी सांस तक अकीदा दुरूस्त रखों ताकि कयामत में नुकसान ना उठाना पड़े।
दरगाह सदर इकरार अहमद ने कहा कि इस्लाम हमेशा से भाईचारा, समानता और अमन की बात करता आया है और इन्हीं पर यकीन करता है। इस संदेश को जन-जन जक पहुंचाने में हमारे बुजुर्गों और सूफियों ने बहुत मेहनत की है। वली दिलों को जोड़ता है। ऐसे ही वली है हजरत मुबारक खां शहीद अलैहिर्रहमां हैं जिनके दर पर पहुंचने वाला फकीर भी फैज पाता है और अमीर भी।
दरगाह मदरसा के अध्यापक कारी शराफत हुसैन कादरी ने कहा कि हजरत मुबारक खां अलैहिर्रहमां ने अल्लाह की वहदानियत और कुरआन की अजमत का आईना दिखाया।
इस्लामिक स्कॉलर मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने कहा कि इस्लाम के तीसरे पवित्र स्थल मस्जिद अल अक्सा में नमाज पढ़ने से रोका जाना व नमाजियों पर अत्याचार करना बेहद निंदनीय कृत्य हैं । बैतुल मुकद्दस से इजराईली सेना को तुरंत निकाला जाना चाहिए। बैतुल मुकद्दस की आजादी का नारा सिर्फ एक नारा ही नहीं बल्कि एक आंदोलन है। फिलिस्तीन में इजराईल द्वारा लोगों पर अत्याचार किया जा रहा है।
इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत कुरआन-ए-पाक की तिलावत से हुई फिर नात शरीफ पढ़ी गयीं। अंत में कुल शरीफ की रस्म की अदा की गयीं। जिसमें कुरआन शरीफ की कई सूर: व दरुदों सलाम विभिन्न उलेमा किराम ने पढ़ा । सामूहिक रुप से सलातो-सलाम पढ़ दुआएं की गयी। दरगाह सदर इकरार अहमद की देखरेख में कुल शरीफ की रस्म अदा हुई।

अंतिम दिन हजरत की दरगाह पर अकीदतमंदों की बड़ी भीड़ उमड़ी। जोहर की नमाज के बाद सभी में लंगर वितरित किया गया। दूर-दराज से आए अकीदतमंदों ने अपने व मुल्क की सलामती की दुआएं मांगीं। सुबह से ही चादर चढ़ानें का सिलसिला देर रात तक जारी रहा।
इस अवसर पर कमेटी की तरफ से लंगर बांटा गया। सभी ने मिलकर खाया और अल्लाह का शुक्र अदा किया। रात्रि नमाज बाद में बदायूं के जुनैद सुल्तानी व मुजफ्फरनगर के रेयाज अहमद वारसी के बीच कव्वाली का मुकाबला हुआ। जिसका अकीदतमंदों ने लुत्फ उठाया।
इस दौरान दरगाह के अध्यक्ष इकरार अहमद, सैयद शहाब,  मंजूर आलम, शमसीर अहमद, अहमद हसन, रमजान, एजाज अहमद,  कुतुबुद्दीन,  नूर मोहम्मद दानिश, मो.  मतीउद्दीन, हाजी फरजंद, मोईनुद्दीन, उमर कादरी, मोहम्मद अली, फहीम, समद, मोहम्मद आजम, नवेद आलम, सेराज अहमद, रमजान अली, मुनव्वर अहमद, अतहर सहित तमाम लोगों ने शिरकत किया।

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