जनपद

कैम्पियरगंज में राप्ती नदी में खनन पर कमिश्नर ने बैठाई जांच

पीपीगंज (गोरखपुर), 24 जनवरी। सुप्रीम कोर्ट और पर्यावरण मंत्रालय के निर्देशों की खुली अवहेलना करते हुए कैम्पियरगंज तहसील मुख्यालय के सामने गोरखपुर-सोनौली मार्ग पर बन रहे ओवरब्रिज के लिए कार्यदायी संस्था द्वारा बाढ़ग्रस्त इलाके और नदी से मिटटी के अवैध खनन की कमिशनर द्वारा जांच शुरू करा दी गई है। जांच शुरू होने के बाद शिकायतकर्ता पर आरोपियों द्वारा शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है।

मिली जानकारी के मुताबिक ओवरब्रिज के निर्माण में अप्रोच मार्ग के लिए मिट्टी की जरूरत थी। इसके लिए कार्यदायी संस्था द्वारा विशुनपुर में नदी से सटे गंगबरार की भूमि से खनन कर मिट्टी निकालना शुरू कर दिया। यहाँ पर एक साथ कई मशीनों को लगाकर धड़ल्ले से मिटटी का खनन शुरू हो गया। इसकी जानकारी मिलने के बाद समाजसेवी राजू यादव ने इस बावत कमिश्नर से शिकायत की तो कुछ दिनों के लिए खनन बन्द कर दिया गया लेकिन एक सप्ताह बाद ही खनन फिर शुरू हो गया। इस बार किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष सतीश ओझा ने मौके पर पहुचकर खनन को बन्द कराया। इसके बाद पत्रकार धर्मेंद्र त्रिपाठी,किसान नेता विनोद सिंह फौजी ने तहसील प्रशाशन से लिखित शिकायत कर खनन रोकने की मांग की जिसके समर्थन में कैम्पियरगंज तहसील के कुछ अधिवक्ता भी सुधीर चतुर्वेदी के नेतृत्व में आए और आमरण अनशन किया।  कार्यवाही किये जाने पर अनशन समाप्त हुआ लेकिन आश्वाशन झूठा साबित हुआ और गुरूवार से पुनः खनन शुरू हो गया। राजू यादव ने इस बावत उपजिलाधिकारी से शिकायत की तो उन्होंने खनन पर पल्ला झाड़ते हुए कमिश्नर से शिकायत की बात कही। राजू यादव ने घटना की जानकारी मण्डलायुक्त अनिल कुमार को दी तब जाकर खनन बन्द हुआ लेकिन खनन कार्य में प्रयुक्त मशीने और डम्फर को न तो जब्त किया गया और न ही कोई कार्यवाही ही हुयी।
स्थानीय स्तर पर कोई कार्यवाही न होता देख शिकायतकर्ता राजू यादव ने सोमवार को मण्डलायुक्त से मिलकर कैम्पियरगंज क्षेत्र में कई जगहों पर हो रहे अवैध खनन और इसमें पुलिस और स्थानीय प्रशाशनिक अधिकारियों की मिलीभगत की लिखित शिकायत की। इसके बाद मण्डलायुक्त ने पूरे प्रकरण की जांच कराने की बात कही और इस बावत सम्बन्धित विभागीय अधिकारियों से जवाब तलब किया जिसके बाद से हड़कम्प मच गया है।  सोमवार को दोपहर बाद अपर जिलाधिकारी ने खनन विभाग को तलब कर कैम्पियरगंज में चल रहे खनन की फ़ाइल मंगाई और एसडीएम को बुलाकर घण्टे भर समाधान ढूढने में लगे रहे।
बीते दो महीने तक नदी में इतने बड़े पैमाने पर अवैध खनन आखिर कैसे हुआ, खनन कर मिट्टी तहसील मुख्यालय के सामने ही गिरती रही फिर भी सभी जिम्मेदार आंख क्यों बंद किए रहे , इस सवाल का जवाब मिलना बाकी है।

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