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शाहमारुफ : हुक्के का जायका लोगों को खींच रहा अपनी ओर

 

सैयद फरहान अहमद

गोरखपुर. 4 जुलाई। शहर में रमजान का चांद होते ही शाहमारुफ रोड पर एक अलग तरह की नूरानियत फैल जाती है. रात दिन एकसा लगते है. रात भर चहल पहल रहती है. तरावीह पढ़ने के बाद सजती है बतकही की महफिल और उसी के बीच गुड़गुड़ाता कश. यह सिलसिला शुरु होता है रात के ११ बजे और खत्म होता है भोर के २ बजे तक। भीनी-भीनी खुशबू लोगों को अपनी ओर खींचती है. हल्के- हल्के धुएं के झोंके में घुली ये खुशबू न तो किसी फूल की है, न किसी इत्र की. ये महक है कभी राज- रजवाड़ों व नवाबों की महफिल में शान से पिए जाने वाले हुक्के की।

देशी अंदाज से इतर इस हुक्के में स्टाइल भी है तो मुख्तलिफ जायकों का मजा भी। अपने शहर में भी हुक्के का जादू  धीरे- धीरे ही सही, पर शान के साथ चढ़ रहा है।

हुक्के का कश लगाने वालों में १४ साल के बच्चे से  लेकर ५० साल तक के बुजुर्ग शामिल है। रमजान के मौके पर शाहमारूफ में हुक्का दुकानों में सजता हैं  लेकिन यहां लोग नशे की लत पूरी करने नहीं, बल्कि लुत्फ उठाने के लिए हुक्का पीने आते हैं। मेले जैसे माहौल में लोग हुक्के का लुत्फ लेते हैं। चाकलेट , मिन्ट, एप्पल के जायके सभी को पसंद है।

हर साल रमजान के मौके पर मुंबई से कपड़ों का व्यवसाय करने शहर में आने वाले हाफिज अब्दुल कादीर अपने साथ हुक्का जरुर लाते है। इनके दुकान पर हुक्का हर खासो आम के लिए आम है। वहीं यहीं के रहने वाले हातिम व शहनवाज का हुक्का भी लाजवाब है। हुक्के के शौकीन नूर बताते है कि हर रोज एक हुक्के पर करीब 250 रुपया खर्च आता हैं। फ्लेवर पर 150 और 100 रुपया का कोयला लगता है। खाना गर्म करने वाली पन्नी की भी जरुरत पड़ती है। सबसे पहले हुक्के के सारे पुर्जें को मिलाया जाता है.।फ्लेवर या मसाला हुक्के की कटोरी में सेट किया जाता हैं। इसके बाद सिल्वर प्लास्टिक कटोरी के चारों तरफ लगा दिया जाता हैं। फिर प्लास्टिक में छेद कर दिया जाता हैं। उसके बाद कोयला व पानी के जरिए सेट किया जाता है। दस मिनट में हुक्का कश के साथ गुड़गुड़ाने के लिए तैयार हो जाता है।
तारिक, हम्जा, सद्दाम, आतिफ, शानू सहित दर्जनों युवाओं का हुक्का पसंदीदा बन चुका है।जीशान ने बताया कि कश लगाने को लाइन लगती है. एप्पल, स्ट्रॉबेरी, मैंगो,ब्लूबेरी, आरेंज जैसे फ्लेवर्स हुक्का पीने का मजा कई गुना बढ़ा देते हैं।

मुबीन ने बताया कि देशी हुक्के से इतर क्लासिक डिजाइन देखकर लोगों की दीवानगी बढ़ गई है। लोगों में इसे टेस्ट करने की ललक साफ देखी जा रही है। इरशाद का कहना है कि नौजवान हों या अधेड़, सब हुक्के का कश लगाने के लिए लाइन तक लगा लेते हैं। रेहान ने बताया कि हुक्का में कई तरह का फ्लेवर यूज किया जाता है। बनाना, डबल एप्पल, मिंट, नाजरीन, चॉकलेट सहित कई फ्लेवर्स की डिमांड है। इन फ्लेवर्स में नशा नहीं होता है। इसलिए हर उम्र के लोगों को हुक्का पीने का मजा मिल जाता है।

गोलघर स्थित कोकोबेरी रेस्टोरेंट में हुक्के का चलन अभी नया है, लेकिन लोगों को भा खूब रहा है। शानदार डिजाइन और
उस पर अनिगनत फ्लेवर्स की मौजूदगी हुक्के को सबका पसंदी बना रही है।⁠⁠⁠⁠