आधी रात से मरीजों को दिए जाने लगे थे अम्बू बैग
गोरखपुर न्यूज लाइन की खास पड़ताल
मनोज कुमार सिंह
गोरखपुर, 17 अगस्त। बीआरडी मेडिकल कालेज में बच्चों की मौत के लिए आक्सीजन की कमी के अब कई सबूत सामने आ गए हैं। इन सबूतों और प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों से पता चलता है कि 10 अगस्त की रात 7.30 बजे से 100 बेड वाले इंसेफेलाइटिस वार्ड और 54-54 बेड वाले वार्ड नम्बर 12 और 14 में आक्सीजन की कमी होने लगी थी। स्टाक में जम्बो आक्सीजन सिलेण्डर बहुत कम थे और वे जरूरत के मुताबिक मरीजों को आक्सीजन नहीं उपलब्ध करा पा रहे थे। आधी रात के बाद हालात और बिगड़ गए। इसके बाद मरीजों के परिजनों को अम्बू बैग दिया गया और बच्चों से उससे आक्सीजन देने को कहा गया। सुबह होते-होते वार्ड संख्या 12 और 14 में आक्सीजन सप्लाई पूरी तरह ठप हो गई. स्थिति पूरी तरह से बेकाबू हो गई थी। यदि सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के वाहन से आक्सीजन सिलेण्डर के साथ उसकी मेडिकल कोर के 11 जवान वार्ड में नहीं पहुंचे होते तो मौतें का आंकड़ा और बढ़ा होता और वार्ड में हिंसा की घटना भी हो सकती थी क्योंकि परिजनों के परिजन उग्र हो गए थे।
गोरखपुर न्यूज लाइन की पड़ताल से कई नए तथ्य सामने आए हैं। गोरखपुर न्यूज लाइन की 11 अगस्त की रात को ही रिपोर्ट प्राकाशित की थी लिक्विड आक्सीजन गैस की आपूर्ति रूकने और प्लांट की आक्सीजन खत्म होते जाने के बावजूद वैकल्पिक इंतजाम नहीं किए गए थे। 10 अगस्त की रात साढ़े सात बजे के बाद जब आक्सीजन प्लांट से प्रेशर लो होने लगा उस वक्त स्टाक में 52 जम्बो सिलेण्डर ही थे। पूरी रात इसी से काम चलता रहा और आक्सीजन सिलेण्डर अगले दिन दोपहर में मिल पाए।
10 अगस्त को बीआरडी मेडिकल कालेज में मृत बच्चों की सूची
1 | Arushi singh | 6 year | Vipin singh | 8.40 pm | Kushinagar |
2 | Adarsh | 10 months | Sailendr | 7.45 pm | Basti |
3 | Ahivini | 3 years | Budhiram | 7.30 pm | Santkabirnagar |
4 | Fruity | 7 months | Rajesh | 4.45 pm | kushinagar |
5 | Deepak | 4 years | Bahadur | 10.05 pm | Gorakhpur |
6 | Shan | 13 month | Rudal | 6.25 pm | Kushinagar |
7 | Luv kush | 2.6 years | Kishan | 8.25 pm | Sidarthnagar |
8 | Abdul rehman | 2 years | Abdurrahman | 10.00pm | Mahrajganj |
9 | Junaid | 12 month | Daeud | 11.00pm | Kushinagar |
10 | b/o Kanchan | 1 day | Damodar | 12.00 am | Gorakhpur |
11 | b/o seema | 2 day | Satendr | 3.30 am | Bihar |
12 | b/o Reetu | 1 day | Jitendr | 11.55 am | Gorakhpur |
13 | b/o Suman 1 | 3 day | Brahmdev | 3.45 pm | Gorakhpur |
14 | b/o Jeena | Nbf | Subhash | 4.00 am | Gorakhpur |
15 | b/o Rambha | 1 day | Sonu | 8.00 pm | Mahrajganj |
16 | b/o Reenu | 2 day | Niraj | 1.30 pm | Gorakhpur |
17 | b/o sadimun Nisha | 4 day | Sabiralikhan | 1.45 pm | Sankabir nagar |
18 | b/o Kanchan | 1 day | Vinoad | 2.30 pm | Gorakhpur |
19 | b/o Keshi | 20 days | Jitendr | 3.15 pm | Gorakhpur |
20 | b/o Laxmi | 20 days | Sailendr | 4.00pm | Gorakhpur |
21 | b/o Sarika | 1 day | Ajay shukla | 5.10 pm | Kushinagar |
22 | b/o Preeti | 1 day | Vijay Maurya | 6.30 am | Gorakhpur |
23 | b/o Manorama | 6 day | Ramashankar | 10.30 am | Gorakhpur |
हालांकि मेडिकल कालेज की ओर से और प्रशासन की ओर से बार-बार दावा किया जा रहा है उसके पास पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन सिलेण्डर थे और आक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई लेकिन उस वक्त वार्ड में भर्ती मरीजों के परिजनों के बयान और कुछ अन्य घटनाएं बताती हैं कि 10 अगस्त की रात से 11 अगस्त की दोपहर देर रात तक मरीजों केा आक्सीजन नहीं मिल पा रहा था और वे तड़प-तड़प कर मर रहे थे।
मेडिकल कालेज के नेहरू अस्पताल में 100 बेड के इंसेफेलाइटिस वार्ड में ही 44 बेड का एनआईसीयू वार्ड है जिसमें नवजात शिशुओं का इलाज होता है। यह वार्ड में लगातार आक्सीजन की जरूरत होती है। यहां पर क्षमता से दोगुने से अधिक बच्चे भर्ती रहते हैं। जुलाई से लेकर अगस्त माह में यहां पर एक समय में 70 से अधिक बच्चे भर्ती रहे। जब 10 अगस्त को आक्सीजन संकट हुआ, उस समय भी यहां 70 से अधिक बच्चे भर्ती थे।
11 अगस्त को बीआरडी मेडिकल कालेज में मृत बच्चों की सूची
1 | Shalu | 3 | sunil | 5.30 am |
2 | b/oantima | 20 days | Manoj | 9-00 am |
3 | Jyoti | 7 y | Binoad | 10.00 am |
4 | Vandana | 12 y | Ramesh | 10.45 am |
5 | b/o Parmila | 4 day | Rajesh | 2.00 pm |
6 | Pratigya | 7 y | Amit | 3.30pm |
7 | b/o Manju | 4 day | Srikishun | 3.40 pm |
8 | Khushi | 5.6 y | Mohd Zahid | 10.50 pm |
9 | Sunita | 5 day | Maineger Rajbhar | 11.00 pm |
10 | b/o Rama Devi | 2 day | Vijay | 11.30 pm |
11 | b/o Chanda | 1 day | Dharmendr | 5.25 pm |
इसके अलावा यहां पर इंसेफेलाइटिस के 70-80 बच्चे भर्ती थे। अन्य बामारियों से ग्रसित बच्चे भी इस वार्ड के अलावा वार्ड नम्बर 12 में भर्ती थे। कुल मिलाकर 200 से अधिक बच्चों का यहां पर इलाज चल रहा था जब आक्सीजन का संकट उत्पन्न हुआ।
इसी तरह वार्ड नम्बर 14 (यहाँ व्यस्क मरीज भर्ती होते हैं) जिसकी क्षमता 54 बेड की है, पूरी तरह भरा हुआ था। यहां पर स्वाइन फलू का भी एक मरीज थी।
बयान एक-मो. जाहिद, बिछिया, गोरखपुर
10 अगस्त की रात साढ़े सात बजे जब बीआरडी मेडिकल कालेज में लिक्विड आक्सीजन की सप्लाई रूक गई और जम्बो सिलेण्डर से आक्सीजन की आपूर्ति बहाल करने का प्रयास किया जा रहा था, उस समय मेडिकल कालेज से करीब 15 किलोमीटर दूर गोरखपुर शहर के बिछिया मुहल्ले में रहने वाले मोहम्मद जाहिद की बेटी खुशी को तेज बुखार हुआ। दो दिन पहले उसे उल्टी हुई थी। उसने मोहद्दीपुर में एक निजी चिकित्सक को दिखाया था और बेटी ठीक हो गई थी।
तेज बुखार होने पर जाहिद खुशी को लेकर फिर उसी डाॅक्टर के पास गया। चिकित्सक ने उसे बेतियाहाता में एक निजी अस्पताल में भेज दिया। वहां खुशी को दो घंटे रखा गया। रात दस बजे अस्पताल से कहा गया कि बच्ची को मेडिकल कालेज ले जाएं। जाहिद रात 11 बजे मेडिकल कालेज पहुंचे। डाॅक्टरों ने उन्हें देखा और वार्ड नम्बर 12 में भर्ती कर दिया।
जाहिद ने बताया कि खुशी को तेज बुखार तो था ही उसे सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी। सुबह छह बजे उनकी बच्ची को आक्सजीन मिलना बंद हो गया। एक नर्स ने उन्हें अम्बू बैग दिया और बताया कि इसका कैसे प्रयोग किया जाता है। उसके बाद से वह, उनकी पत्नी और पत्नी का भाई शाम पांच बजे तक अम्बू बैग से खुशी को आक्सीजन देते रहे लेकिन उसकी हालत बिगड़ती गई। शाम छह बजे उसका शरीर नीला पड़ने लगा था और शरीर में कोई हरकत नहीं थी। वह अपनी बेटी खो चुका था लेकिन डाॅक्टर कह रहे थे कि इलाज चल रहा है। रात दस बजे उसे बताया गया कि बेटी की मौत हो गई है।
बयान दो-श्रीकिशुन गुप्ता , बेलवार, खोराबार, जिला गोरखपुर
गोरखपुर जिले के खोराबार ब्लाक के बेलवार गांव निवासी 29 वर्षीय श्रीकिशुन गुप्ता को दो बेटियों के बाद सात अगस्त को रक्षा बंधन के दिन खोराबार प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर बेटा हुआ। उसका वजन दो किलो था और कोई दिक्कत नहीं थी। कुछ घंटों बाद उसकी पत्नी मंजू और नवजात शिशु घर आ गए। बहनों ने कुछ घंटे पहले इस दुनिया में कदम रखने वाले भाई को राखी बांधी। चार दिन बाद यानि 11 अगस्त को बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हुई और तबियत बिगड़ने लगी। श्रीकिशुन उसे गोरखपुर के बेतियाहाता में एक निजी चिकित्सक को दिखाने ले गया। वहां से उसे मेडिकल कालेज रेफर कर दिया गया। वह 11 अगस्त को सुबह साढे नौ बजे मेडिकल कालेज पहुंचा और उसके बेटे को नवजात शिशुओं के वार्ड एनआईसीयू में भर्ती किया गया। उसने देखा कि आईसीयू केबिन में रखने के बावजूद बच्चे को अम्बू बैग से आक्सीजन दिया जा रहा है। वार्ड में अफरातफरी थी और बच्चों के परिजन परेशान थे। उसके सामने पांच घंटे में तीन बच्चों की मौत हो गई। वह बहुत घबराया हुआ था और लगातार भगवान से प्रार्थना कर रहा था। अपरान्ह साढ़े तीन बजे उसके बेटे की मौत हो गई। श्रीकिशुन और मंजू अपने बच्चे का नाम भी नहीं रख पाए थे।
10 और 11 अगस्त को अपने बच्चों को खोने वाले मांओं और पिताओं का बयान जाहिद और श्रीकिशुन की तरह ही है। ये बयान प्रशासन और मंत्रियों के उस दावे का पूरी तरह से खंडन करते हैं कि आक्सीजन संकट के कारण किसी बच्चे की मौत नहीं हुई। आखिर जब आक्सीजन संकट नहीं था तो मरीजों को अम्बू बैग से आक्सीजन क्यों देने का प्रयास किया जा रहा था ?
11 अगस्त की सुबह क्या हुआ
11 अगस्त की सुबह होते-होते सिलेण्डरों से वार्ड में आक्सीजन की सप्लाई भी ठप होने लगी थी। दस अगस्त और 11 अगस्त को मेडिकल कालेज के अधिकतर जिम्मेदार अवकाश पर थे। इसलिए आक्सीजन संकट की जानकारी होने के बावजूद उसका वैकल्पिक इंतजाम नहीं किया जा सका था।
10 और 11 अगस्त को वार्ड नंबर 14 में मृत वयस्कों को सूची
1 | Ramrati | Gorakhpur | 10.08.17 | 8 am |
2 | Aniruddh | dewriya | 10.08.17 | 11.30 am |
3 | Bhagwati | Nepal | 10.08.17 | 8.40 am |
4 | Gurucharan | Gorakhpur | 10.08.17 | 10.45 am |
5 | Badrunnisha | Kushinagar | 10.08.17 | 1.40 pm |
6 | Virendr gopal | Gorakhpur | 10.08.17 | 2.30 am |
7 | Aniruddh singh | 10.08.17 | 2 .00 pm | |
8 | Gaytri devi | 10.08.17 | 10.07 pm | |
9 | Umashankar | Gorakhpur | 11.08.17 | 2.45 pm |
10 | Ramkaran | Mahrajganj | 11.08.17 | 1.15 am |
11 | Ramnaresh | Gorakhpur | 11.08.17 | 6.30 am |
12 | Rajkumar | Deoriya | 11.08.17 | 4.45 pm |
13 | Hiralala | Kushinagar | 11.08.17 | 5.00 pm |
14 | Sankesha | Devoriya | 11.08.17 | 6.00pm |
15 | Bhootan yadav | Gorakhpur | 11.08.17 | 5.00am |
16 | Ghanshyam | Basti | 11.08.17 | 6.30 am |
17 | Rubiya kahtoon | Devoriya | 11.08.17 | 6.58 am |
18 | Indu singh | Kushinagar | 11.08.17 | 6.50 am |
सुबह छह बजे आक्सीजन संकट पर चरम पर हो गया तो वार्ड नम्बर 12 और 14 में आक्सीजन आपूर्ति रोक दी गई और इसे 100 बेड के इंसेफेलाइटिस वार्ड तक सीमित कर दिया गया हालांकि यहां भी मरीजों को जरूरत के मुताबिक आक्सीजन नहीं मिल पा रही थी। मरीजों को अम्बु बैग दिए जा रहे थे और उसी से आक्सीजन देने का प्रयास हो रहा था।
11 अगस्त की सुबह 10 बजे डा. कफील ने आक्सीजन सिलेण्डर लाने के लिए वाहन मंगाने का प्रयास किया क्योंकि खलीलाबाद से आक्सीलन सिलेण्डर मिलने की बात हो गई थी। वाहन मिलने में देरी होने पर डा, कफील सशस्त सीमा बल एसएसबी के सेक्टर आफिसर पहुंचे और डीआईजी से मिलकर एक वाहन देने का अनुरोध किया। एसएसबी ने फौरन उन्हें वाहन उपलब्ध कराया और साथ ही अपनी मेडिकल कोर के 11 जवान भी दिए। डाॅ कफील वाहन के साथ झुगिया गेट आए और वहां से एक जगह से 11 जम्बो गैस सिलेण्डर लिया और उसे लेकर मेडिकल कालेज आए। सिलेण्डर उतारने के बाद वाहन को आक्सीजन सिलेण्डर लाने खलीलाबाद भेजा गया।
एसएसबी की गाड़ी से सिलेंडर उतरते देख पत्रकारों ने समझा कि एसएसबी ने आक्सीजन भेजा है और अगले दिन अख़बारों में रिपोर्ट आ गई कि एसएसबी ने आक्सीजन सिलेंडर भेजा था. एसएसबी ने अपना वाहन और मेडिकल कोर के जवानों को दिया था जो संकट की घडी में बहुत काम आये.
खलीलाबाद से आक्सीजन सिलेंडर लाने के बाद एसएसबी जवानों ने उन्हें प्लांट से जोड़ने में न केवल मदद की बल्कि वार्ड में भी स्थिति को सामान्य बनाने का कम किया. एसएसबी के जवान जिस वक्त पहुंचे थे बच्चों की मौत से परिजन आक्रोशित हो रहे थे लेकिन एसएसबी के जवानों को सिलेण्डर के साथ देख उन्हें भरोसा हुआ और वे शांत हो गए। फिर भी यह संकट 11 अगस्त की रात तक चलता रहा जिसकी वजह से 10 और 11 अगस्त की तारीख में सरकारी रिकार्ड के मुताबिक 34 बच्चों और 18 वयस्कों की मौत हो गई।