राज्य

कशमकश में उलझी सपा उम्मीदवारों की सूची, भाजपा व कांग्रेस भी उलझन में

-कहीं टिकट में देरी  नुकसान का सबब न बन जायें

– उप्र चुनाव 2017 की घोषणा,  37 दिन शेष, आचार संहिता लगी

सैयद फरहान अहमद

गोरखपुर, 4 जनवरी। उप्र विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है।  आचार संहिता लग चुकी हैं। 37 दिन बाद यानी 11 फरवरी से चुनाव शुरु हो जायेगा वहीं  11 मार्च को नतीजे भी आ जायेंगे। भाजपा व कांग्रेस ने अभी तक मैदान में उम्मीदवार नहीं उतारे हैं। बसपा ने अभी तक सभी सीटों पर उम्मीदवारों की  सूची जारी नहीं की हैं। वहीं सपा की गृह कलह से उम्मीदवार व जनता कशमकश में हैं। झगड़ा अभी सुलझा नहीं हैं।  सपा उम्मीदवारों की किस सूची पर विश्वास किया जायें खुद उम्मीदवारों को भी नहीं पता। खेमाबंदी जारी हैं जबकि वक्त कम है।

गोरखपुर-बस्ती मंडल की 41 सीटों की तो सपा ने यहां से पिछले विस चुनाव में 18 सीट निकाल कर सभी को चौंका दिया था। मुलायम सिंह यादव द्वारा जारी सूची के अनुसार एक दो को छोड़कर सभी सीटिंग विधायकों पर भरोसा जताया गया। यानी इस चुनाव में एक दो को छोड़कर वर्तमान विधायकों पर सपा का भरोसा कायम रहेगा।इसलिए पार्टी दो सूचियां जारी कर रही हैं एक विधायक की तो एक नये उम्मीदवारों की। लेकिन उम्मीदवारों को लेकर खेमाबंदी कशमकश किसी सूची पर एतबार नहीं करने दे रही हैं। जल्द झगड़े सुधरने के आसार भी नजर नहीं आ रहे हैं। भाजपा के लिए पिछला दो विधानसभा चुनाव न ज्यादा फायदेमंद साबित नहीं न ज्यादा हानि पहुंचाने वाला। केवल सात-सात सीट ही निकली। भाजपा ने न तो सीएम उम्मीदवार घोषित किया न ही उम्मीदवार। ऐसे में भाजपा ने टिकट को लेकर दुविधा देखी जा सकती हैं। दलबदुलओं को भी खुश करना भाजपा के लिए थोड़ा मुश्किल रहेगा।भाजपा का एक विधायक पाला भी बदल चुका हैं। देखना दिलचस्प होगा कि पीएम मोदी और योगी का जादू इन सीटों पर कितना चलता हैं।

 रोड शो व खाट सभाओं में डंके की चोट पर गठबंधन से  इंकार करने वाली कांग्रेस के सुर बदल गए हैं ।कांग्रेस मिलकर गठबंधन कर चुनाव लड़ने की बात करने लगी हैं यानी गठबंधन पर सुर बदल दिए हैं। कांग्रेस को इस बात का अंदाजा हो गया है कि अकेले दम पर सत्ता तक पहुंचना मुश्किल हैं। उक्त दो मण्डलों से 4-5 सीटें निकालने वाली कांग्रेस के  कई सीटिंग विधायक खेमा बदल चुके हैं।ऐसे में पुरानी स्थिति बरकरार रखने का दबाव हैं। लेकिन हर चुनाव की तरह इस बार भी कांग्रेस द्वारा अभी तक उम्मीदवार घोषित न करना वाकई चौकाने वाला हैं। एक माह में उम्मीदवार कितना  प्रचार  कर पायेंगे, कुछ संदेह पैदा करता हैं।

वहीं बसपा ने दोनों मंडलों की कई सीटों पर उम्समीदवार खड़े किए हैं। उम्मीदवार घोषित करने व बदलने के मामले में बसपा सबसे आगे हैं। हालंकि पूरी सूची अभी फाइनल नहीं हैं लेकिन जहां फाइनल हैं वहां उम्मीदवार दम लगाकर प्रचार कर रहे हैं। दलबदलुओं से सबसे ज्यादा खार खायी बसपा  सपा के झगड़े, भाजपा की नोटबंदी, कांग्रेस की जमीनी स्तर पर कमजोरी का  पूरा फायदा उठाने की जुगत में हैं।वर्ष 2007 के विस चुनाव में दोनों मंडलों से 15 सीटें निकाल सत्ता हासिल की लेकिन वर्ष 2012 के विस चुनाव में यहां करारी हार का सामना करना पड़ा और जीती सीटों की संख्या 8 हो गई यानी 7 सीटों का नुकसान हुआ। सत्ता भी हाथ से चली गयी।

 छोटे दल पीस पार्टी, निषाद पार्टी, ओवैसी पार्टी आदि सपा, बसपा, कांग्रेस के परंपरागत मुस्लिम व निषाद वोटों में सेंध जरुर लगायेंगे। यदि निषाद और मुसलमानों ने एक साथ वोट किया तो कई सीटों पर चौंकने वाले परिणाम आ सकते हैं। मुसलमान वोटो के बांटने से भाजपा को फायदा पहुंचेगा।

इस वक्त मुस्लिम वोटर दुविधा में हैं लेकिन ओवैसी पार्टी की तरफ मुस्लिम नौजवानों का रुझान देखने को मिल रहा है।

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एक नजर गोरखपुर-बस्ती विधानसभा की 41 सीटों पर

गोरखपुर-बस्ती मंडल

जिला -7

विधानसभा सीटें -41

सुरक्षित सीटें -7

वर्ष 2012 विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों की स्थिति

सपा -18

बसपा -8

भाजपा -7

कांग्रेस -5

पीस पार्टी -2

एनसीपी -1

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वर्ष 2007 विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों की स्थिति

सपा -15

बसपा -15

भाजपा -7

कांग्रेस -4

जिलावार चुनाव तिथि

27 फरवरी को फेज 5 में 11 जिलों–बलरामपुर, गोंडा , फैजाबाद , अंबेडकरनगर , बहराइच , श्रावस्ती , सिद्धार्थनगर , बस्ती , संतकबीर नगर , अमेठी और  सुलतानपुर  की 52 सीटों पर चुनाव

4 मार्च को फेज 6 में 7 जिलों -महाराजगंज , कुशीनगर , गोरखपुर , देवरिया , आजमगढ़ , मऊ और बलिया की 49 सीटों पर होंगे चुनाव

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