बंदों ने अल्लाह की बारगाह में किया सज्दा
गोरखपुर, 23 जून। मुकद्दस रमजान माह के आखिरी जुमा (अलविदा) की नमाज शहर की विभिन्न मस्जिदों में अदा की गयी। बैतुल मुकद्दस की आजादी, यहूद व नसारा के जुल्म से निजात, देश में अमन चैन, तरक्की व फलीस्तीन, सीरिया, म्यांमार, इराक सहित दुनिया के अन्य मुल्कों में मुसलमानों पर हो रहे जुल्म को रोकने की अल्लाह से रो-रो कर इल्तिजा की गयी। मुसलमानों के चेहरे पर रमजान के जाने का गम साफ नजर आया। लबों पर जहन्नम से निजात व मगफिरत की दुआएं थीं।
रमजान के आखिरी जुमा (अलविदा) पर शहर में यह नजारा आम रहा । इससे पहले लोगों ने जुमा का गुस्ल किया। नहा धोकर नये कपड़े पहन सिर पर टोपी लगायी हाथों में मुसल्ला लिया। वक्त से पहले नमाजी मस्जिद में पहुंच गये । बच्चे, बूढ़े, नौजवान सभी का मकसद पहली सफ में जगह पाना रहा। जिसको जहां जगह मिली वहां पर बैठकर अल्लाह की इबादत शुरू की। अजान होने के पहले मस्जिदें भरनी शुरू हो गयी। अजान तक मस्जिदें पूरी भर गयी। इसके बाद लोगों ने सड़कों पर जगह ली। मस्जिद कमेटी ने नमाजियों की कसीर तादाद के मद्देनजर दरी वगैरह का इंतेजाम किया।
रोजेदारों ने अलविदा के दिन सलातुल तस्बीह पढ़ी, कुरआन की तिलावत की। गुनाहों की माफी मांगी। खुदा से इल्तिजा कि फिर अता हो माह-ए- रमजान। अलविदा या जुमातुल विदा के मौके पर ईद जैसा माहौल नजर आया।
जुमा की नमाज से पहले अलविदा का खुतबा पढ़ा गया। उसमें रमजान के फजाइल बयान किये गये। रमजान के जाने का दर्द बयां किया गया। जुमा की दो रकात फर्ज नमाज इमाम ने पढ़ायी। इमाम ने खुशूसी दुआं मांगी। फिर सुन्नत व नफ्ल नमाज का दौर शुरु हुआ। इसके बाद नबी-ए-पाक पर सलातो सलाम “या नबी सलाम अलैका” पढ़ा गया। फिर दुआ हुई ’’ या इलाही हर जगह तेरी अता का साथ हो, जब पड़े मुश्किल शहे मुश्किल कुशा का साथ हो’’ । मुसलमानों ने एक दूसरे से हाथ मिला अलविदा की मुबारकबाद पेश की।