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उपेक्षित पड़े गेंदा सिंह गन्ना प्रजनन एवं अनुसंधान संस्थान को कृषि विश्वविद्यालय बनाना चाहिए

मनोज सिंह

गोरखपुर. पूर्वांचल का कुशीनगर जनपद कई मामलों में अति पिछड़े क्षेत्र के रूप में शुमार है. यह क्षेत्र मूल रूप से कृषि आधारित है. गन्ना यहां का नकदी फसल है. गन्ने की खेती को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1976 में बाबू गेंदा सिंह गन्ना प्रजनन एवं अनुसंधान संस्थान की स्थापना हुई जो शुरुआत में शाहजहांपुर से सम्बद्ध था लेकिन वर्ष 1987-88 में गन्ना उद्योग को बढ़ावा देने के लिए यहां निदेशक पद का सृजन कर दिया गया.

गेंदा सिंह गन्ना प्रजनन एवं अनुसंधान संस्थान को कृषि विश्वविद्यालय बनाने की मांग को लेकर हस्ताक्षर अभियान चलाते युवा

संस्थान की स्थापना के पहले निदेशक बने डॉ एच. एन. सिंह के देखरेख में संस्थान की तरक्की होने लगी. सरकार ने इस संस्थान को अलग से बजट की व्यवस्था करते हुए पूर्वांचल के सभी गन्ना शोध केंद्रों को -कूड़ाघाट  (गोरखपुर), लक्ष्मीपुर, कट्या, सादात, गाजीपुर, घागरा घाट, कुशीनगर व बहराइच को भी इसमें सम्बद्ध कर दिया। इस दौरान कम समय में ही गन्ने की अच्छी उन्नतशील प्रजातियों को विकसित करने की बदौलत इस संस्थान की पहचान एशिया स्तर पर बन गई। लेकिन 1995 में निदेशक डॉ एच. एन. सिंह के तबादले के बाद यह पद दो वर्षों तक रिक्त रहा और पुनः 1997 में सरकार ने इस संस्थान को शाहजहापुर से सम्बद्ध कर दिया। जिसके फलस्वरूप यह संस्थान बदहाली का शिकार हो गया। इसी दौर में पूर्वांचल की तमाम चीनी मिले बंद हो गई.

गेंदा सिंह गन्ना प्रजनन एवं अनुसंधान संस्थान को कृषि विश्वविद्यालय बनाने की मांग को लेकर आन्दोलन शुरू करने वाले युवा सामाजिक कार्यकर्ता मनोज सिंह

बाबू गेंदा सिंह गन्ना प्रजनन एवं अनुसंधान संस्थान के ठीक सामने 120 एकड़ में फैला भारतीय सब्जी अनुसंधान केंद्र है. इसके अलावा 50 एकड़ में कृषि विज्ञान केंद्र हैं.  यूपी गन्ना शोध परिषद (UPCSR) द्वारा संचालित गेंदा सिंह गन्ना प्रजनन एवं अनुसंधान संस्थान लगभग 276 एकड़ में विस्तृत है. कुल मिलाकर लगभग 445 एकड़ विशाल भू-भाग में यह फैला है. इसके अलावा वहा लगभग 400 एकड़ के आस-पास सीलिंग की जमीन खाली पड़ी है. यदि इस संस्थान को कृषि विश्वविद्यालय का दर्जा दे दिया जाए तो कम बजट में पूर्वांचल का कृषि, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में कायाकल्प हो सकता है।

कृषि विश्वविद्यालय बनने से यहां की हजारों युवाओं / युवतियों को जो कृषि बाहुल्य क्षेत्र में रहते हुए भी तकनीकी कृषि ज्ञान से अनभिज्ञ हैं, लाभ मिलेगा.  कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ ही कृषि के क्षेत्र में एक नई क्रांति का संचार होगा एवं यहा के युवाओं को एवं किसानों को इस क्षेत्र में बेहतर रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकेंगे.

इस मकसद से बाबू गेंदा सिंह गन्ना प्रजनन एवं अनुसंधान संस्थान को कृषि विश्वविद्यालय का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर हमने आन्दोलन शुरू किया है. इस मांग को लेकर इसके लिए प्रधानमंत्री , उप-मुख्यमंत्री , केंद्रीय कृषि मंत्री और उत्तर प्रदेश के कांग्रेस विधान मंडल दल के नेता अजय कुमार लल्लू जी को ज्ञापन दिया गया है. आन्दोलन के तहत गोरखपुर मण्डल व बिहार के गोपालगंज जनपद में हस्ताक्षर अभियान चल रहा है जिसमे क्षेत्र के युवाओ, किसानो और आम जनता का बड़ी उत्साह के साथ सहयोग व समर्थन मिल रहा है.

 

(लेखक युवा सामाजिक कार्यकर्ता हैं और बाबू गेंदा सिंह गन्ना प्रजनन एवं अनुसंधान संस्थान को कृषि विश्वविद्यालय बनाने के लिए  चल रहे आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं )

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