नई दिल्ली, 11 जून। जन संस्कृति मंच ने चेन्नई पुस्तक मेले के दौरान तमिल दलित लेखक दुराई गुना की गिरफ्तारी भारतीय लोकतंत्र के माथे पर कलंक का एक और टीका बताया है।
जसम ने अपने बयान में कहा कि ऐसा लगता है, कलंक के टीकों ने लोकतंत्र का चेहरा पूरी तरह ढंक लिया है। अभी पिछले ही साल तमिल लेखक पेरूमल मुरुगन को सामाजिक असहिष्णुता और प्रशासनिक अकर्मण्यता के कारण अपनी मृत्यु की घोषणा करनी पड़ी थी। मराठी लेखक डाॅ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मामले में अब जाके पहली गिरफ्तारी हो पाई है। गिरफ्तार आरोपी वीरेन्द्र तावड़े का सम्बन्ध हिंदूत्ववादी संगठन सनातन संस्था से बताया जा रहा है। कलबुर्गी और पानसरे की हत्या के मामलों में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। अलबत्ता जनवादी लेखकों, कलाकारों और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने में पुलिस के जोश और जूनून में कोई कमी नहीं आई है। हमने महाराष्ट्र में शीतल साठे और कबीर कला मंच के पुलिसिया उत्पीड़न का इतिहास देखा है। खास तौर पर दलित लेखकों, कलाकारों और छात्रों को निशाना बनाया जा रहा है। रोहित बेमुला की सांस्थानिक हत्या के बाद उसे न्याय दिलाने के आंदोलन का दमन करने में कोई कोर कसर नहीं छोडी जा रही है।
दुराई गुना का एक महत्त्वपूर्ण उपन्यास ‘देहातियों की बनाई तस्वीर’ 2014 में प्रकाशित हुआ था। इसका नायक संकरन एक खेतिहर मजदूर है। उपन्यास उसी के जातिवादी उत्पीड़न की मर्मान्तक गाथा है। उपन्यास के छपते ही लेखक और उनके परिवार को सामाजिक प्रताड़ना के कारण गाँव छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। कुछ समय बाद जब गुना लौट कर आए, तब गाँव में ही उन पर कातिलाना हमला हुआ। ‘स्क्रॉल डॉट इन’ पर छपी रिपोर्ट के अनुसार यह हमला लेखक और उनके परिवार को सुरक्षा देने के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद न रोका जा सका। और अब हमलावरों की जगह लेखक को ही गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस इस गिरफ्तारी को लेन-देन के झगड़े से जोड़ रही है, लेकिन लेखक की पत्नी कोकिला के अनुसार ये आरोप झूठे हैं और गिरफ्तारी दबंगों को प्रसन्न करने के लिए हुई है। शर्मनाक बात यह भी है कि यह गिरफ्तारी बेहद अपमानजनक तरीके से की गई। लेखक को मुंहअंधेरे सुबह साढ़े पांच बजे गिरफ्तार किया गया। उन्हें कपड़े बदलने तक की मुहलत नहीं दी गई। उन्हें या उनके परिवार को गिरफ्तारी की कोई वजह भी नहीं बताई गई।
जन संस्कृति मंच लेखक को सुरक्षा देने और उनके साथ संवैधानिक तरीके से व्यवहार करने में विफल रहने पर तमिलनाडु राज्य सरकार की कठोरतम शब्दों में निंदा करता है। दुराई गुना को तत्काल रिहा किया जाए और उनके उत्पीड़कों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। उन्हें और उनके परिवार को प्रभावी सुरक्षा दी जाए। जन संस्कृति मंच देश भर के लेखकों और पाठकों का आह्वान करता है कि बढती हुई असहिष्णुता, दलित उत्पीड़न और पुलिसिया दबंगई की घटनाओं का पुरजोर विरोध करें।