सीआरपीएफ के हेड कांस्टेबल की पत्नी और उसके दो बेटियों व बेटे की हुई थी हत्या
पुलिस ने घटना का कारण प्रेम संबंध और पैसे का लेनदेन बताया
बड़ी बेटी की हत्या के पहले अभियुक्त ने किया था रेप
गोरखपुर, 6 जून। सीआरपीएफ के हेड कांस्टेबल की पत्नी और उसके तीन संतानों की 11 माह पहले हुई हत्या का आज पुलिस ने पर्दाफाश करते हुए अभियुक्त को गिरफतार कर लिया। पुलिस के अनुसार यह घटना प्रेम सम्बन्ध और पैसे के लेन देन को लेकर हुई। अभियुक्त ने हेड कांस्टेबल की पत्नी की हत्या करने के बाद अभियुक्त ने पहचाने जाने के डर से उसके दो बेटियों व एक बेटे की हत्या कर दी थी। हत्या के पहले अभियुक्त ने सीआरपीएफ जवान की बड़ी बेटी से दुष्कर्म भी किया। पुलिस के खुलासे पर हेड कांस्टेबल ने सवाल उठाए हैं और कहा है कि इस घटना में कुछ और लोग भी शामिल हैं जिनमें एक बंदीरक्षक है। एक मंत्री के दबाव में अन्य अभियुक्तों को बचाया जा रहा है।
शाहपुर इलाके के झरनाटोला में मकान बनवाकर रह रही सीआरपीएफ
हेड कांस्टेबल जवाहर लाल कन्नौजिया की पत्नी, दो बेटियों और एक बेटे की हत्या 29 जुलाई 2015 को कर दी गई थी। जवाहर छत्तीसगढ़ में तैनात है। वह झंगहा क्षेत्र के बड़ा राजी जगदीशपुर के निवासी हैं। जवाहर ने एक वर्ष पहले शाहपुर इलाके के झरना टोला थाडो लाइन में जमीन लेकर मकान बनवाया था। इस मकान में उसकी पत्नी राजी उर्फ रजिया (35), बड़ी बेटी पूनम (16), छोटी बेटी रूबी (12) और बेटे अनूप (14) के साथ रहती थी। 30 जुलाई 2015 की सुबह 10 बजे के आसपास जवाहर लाल कन्नोजिया ने अपनी पत्नी के मोबाइल पर कॉल किया, लेकिन मोबाइल ऑफ मिला। इसके बाद जवाहर ने अपने साले रामू के मोबाइल पर फोन कर बहन और बच्चों का हालचाल लेने भेजा।
रामू 30 जुलाई की रात 10.30 बजे अपनी बहन के घर पहुंचा। बाहर से गेट में ताला लगा होने पर उसने आवाज लगाई लेकिन घर से कोई नहीं निकला। कुछ देर में मोहल्ले के और कई लोग आ गए। घर के अंदर से बूदबू आ रही थी। रामू किसी तरह से दीवार फांदकर घर के बरामदे में पहुंचा। उसने खिड़की से पर्दा हटाकर देखा, तो बहन राजी का शव पहले कमरे में तख्त पर पड़ा देखा। रामू ने इसकी जानकारी अपने जीजा और पुलिस को दी।
पुलिस जब मौके पर आई और घर के अंदर गई तो जवाहर कन्नौजिया की छोटी बेटी रूबी और बेटे अनूप का शव दूसरे कमरे में बने स्टडी रूम में और पूनम का शव सीढियों के पास से बरामद हुआ। सभी शवों को कम्बल से ढका गया था। इसके अलावा मौके पर ही खून पसरा था। रात का खाना भी
ऐसे ही पड़ा था। लगता था कि चारों को नशीला पर्दाथ खिलाने के बाद हत्या की गई थी।
झरना टोला हत्याकांड का आज ,खुलासा करते हुए एसएसपी अनंत देव ने बताया कि घटना की जड़ अवैध सम्बन्ध और पैसे की लेनदेन है। गिरफ्तार अभियुक्त अरुण कुमार दीक्षित उर्फ़ बब्बू उर्फ़ शास्त्री पुत्र दीनानाथ उर्फ़ रामदेव दीक्षित निवासी सिरसिया,पडरौना कोतवाली, कुशीनगर का निवासी है। वह और जवाहर कन्नौजिया का परिवार किराये के एक मकान में ही रहते थे। इस दौरान उसकी जवाहर की पत्नी से नजदीकी हो गई। जब जवाहर का मकान बनने लगा तो वह लगातार उसकी पत्नी के सम्पर्क में रहा और मकान बनाने में सहायता की। घर बन जाने के बाद उसका आना-जाना और बढ़ गया। 29 जुलाई 2015 की रात 9 बजे वह रज्जो से मिलने उसके घर आया और खाना खाने के बाद नीचे सो गया। रात दो बजे रज्जो छत से नीचे आई और उसे दिए सात हजार रूपए मांगने लगी। इस पर दोनों के बीच विवाद हुआ और अरूण ने हथौड़ी से प्रहार कर रज्जो को मौत के घाट उतार दिया।इसके बाद पहचान छिपाने के चलते उसने रूबी 12 और अनूप 14 को हथौड़े से ही मार दिया और नीचे बैठकर बड़ी पुत्री पूनम के आने का इंतजार करने लगा। सुबह 5 बजे जब सीढ़ियों पर पूनम के उतरने की आहट सुनाई दी तो वह सतर्क हो गया और ज्योही पूनम नीचे पहुँची तो उसको भी हथौड़े से प्रहार किया जिससे वह घायल होकर गिर पड़ी। अरूण ने घायल पूनम के साथ रेप किया। इस दौरान पूनम की मौत हो गयी। सारी घटना को अंजाम देने के बाद उसने आराम से मेन डोर और गेट पर ताला मारकर फरार हो गया।
इसके बाद वह अयोध्या जाकर अपने मित्र राघवेंद्र दास के साथ एक महंत के पास रहने लगा। उक्त महंत का हरदोई के सण्डीला निवासी महंत से विवाद था। उसने अरूण और उसके दोस्त को संडीला के महंत की हत्या की सुपारी दी। दोनों उसकी हत्या करने संडीला गए और चार दिन तक रहे लेकिन वे घटना को अंजाम देने में असफल रहे। उसके बाद अरूण गोरखपुर आ गया और शाहपुर में मकान बदलकर रहने लगा और टैम्पो चालने लगा। एसएसपी के अनुसार मुखबिर की सूचना पर उसे रेलवे बस स्टेशन के पास गिरफ्तार किया गया।