बसपा को अलविदा कहने वाले चिल्लूपार के विधायक राजेश त्रिपाठी ने गोरखपुर न्यूज लाइन से कहा
कहा-दस साल की वफादारी की कीमत पार्टी ने दस करोड़ में लगायी
गोरखपुर, 13 जून। बसपा को अलविदा कहने वाले चिल्लूपार के विधायक एवं पूर्व मंत्री राजेश त्रिपाठी ने कहा है कि बसपा में दस वर्ष रहते हुए उन्होंने हमेशा पार्टी के साथ वफादारी की लेकिन पार्टी के भीतर उनके खिलाफ साजिश होती रही। जिन लोगों ने उन्हें साजिश रच बदनाम किया, हत्या का षडयंत्र किया पार्टी ने उन्हें ही टिकट दे दिया। इससे उनका दिल टूट गया है लेकिन मै पलायन नहीं करूंगा, लड़ूंगा।
राजेश त्रिपाठी ने नौ जून को बसपा छोड़ने का एलान किया था। पार्टी छोड़ने के बाद क्षेत्र में आए श्री त्रिपाठी आज शाम पांच बजे नेवादा तरैना पुल पर अपने समर्थकों, क्षेत्र की जनता से मिलेंगे और उन्हें अपने इस निर्णय व इसके कारणों की जानकारी देंगें। साथ ही अगले कदम के बारे मंे विचार-विमर्श करेंगे। आज सुबह गोरखपुर न्यूज लाइन से बातचीत करते हुए उन्होंने बसपा छोड़ने के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि पिछले चार महीने से उनका टिकट कटने की चर्चा हो रही थी। इस बारे में उन्होंने बसपा सुप्रीमो सहित पार्टी के सभी बड़े नेताओं से सम्पर्क किया और टिकट कटने की चर्चाओं के बारे में जानना चाहा लेकिन किसी ने स्पष्ट उत्तर नहीं दिया। इसके बावजूद वह पार्टी के कार्यों को करते रहे। इस बीच उन्होंने कैडर कन्वेंशन भी कराया जिसमें आए पार्टी नेताओं से कार्यकर्ताओं व क्षेत्र के लोगों ने टिकट कटने के बारे में सवाल पूछा लेकिन कन्वेंशन में भी पार्टी नेताओं ने साफ जवाब नहीं दिया। कुछ दिन पहले उन्हें जानकारी मिली कि उनके जगह उनके विरोधी को 10 करोड़ रूपए लेकर पार्टी टिकट दे दिया गया है। इसके बाद उनके सामने पार्टी को अलविदा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने कहा कि बसपा सुप्रीमों ने वर्ष 2007 में उनको चिल्लूपार से टिकट देते हुए कहा था कि वह माफियाओं व गुंडों के खिलाफ है। जाओ चुनाव लड़ो और गुंडों का पराजित करो। जनता के समर्थन से मैने अपराजेय समझे जाने वाले बाहुबली नेता को चुनाव में एक बार नहीं दो बार शिकस्त दी लेकिन जनता द्वारा नकारे गए उसी नेता को पार्टी में शामिल कर लिया गया और अब तो टिकट भी दे दिया गया।
पत्रकार से नेता बने राजेश त्रिपाठी को बड़हलगंज में सरयू नदी के तट पर मुक्ति पथ का निर्माण कराने के कारण काफी सुर्खियां मिली और लोग उन्हें मुक्तिपथ वाले बाबा के नाम से पुकारते हैं। वह बसपा सरकार में राज्य मंत्री भी रहे। उन्होंने कहा कि मैने पार्टी से अंतिम समय तक वफादारी की। राज्य सभा चुनाव के पहले पार्टी छोड़ने की बात पार्टी नेताओं को बता दिया और स्पष्ट रूप से कह दिया कि वह उनके वोट की अपेक्षा नहीं करें। चाहता तो अंधेरे में रखकर दूसरे दल को टिकट दे सकता था लेकिन ऐसा नहीं किया क्योंकि मै सिद्धांतों की राजनीति करता हूं। श्री त्रिपाठी ने कहा कि बसपा में हुए व्यवहार से वह एकबारगी तो टूट गए और राजनीति से सन्यास लेने के बारे में सोचने लगे लेकिन समर्थकों ने कहा कि चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र को अपराधीकरण से मुक्त कराने के जिस एजेंडे के साथ वह राजनीति में आए थे, उसका क्या होगा ? चिल्लूपार तो फिर से बाहुबलियों के शिकंजे में चला जाएगा। इस पर उन्होंने अपने निर्णय पर विचार किया और तय किया कि वह पलायन नहीं करेंगे बल्कि क्षेत्र की जनता के साथ राजनीति के अपराधीकरण के खिलाफ अपनी मुहिम को जारी रखेंगें।
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