‘ अन्नपूर्णा मुहिम ‘ से जुड़े हैं साफ्टवेयर इंजिनियर, व्यवसाई और छात्र
सैयद फरहान अहमद
गोरखपुर, 11 जून । फेसबुक और ह्वाट्सअप से आपस में एक दुसरे से मिले गोरखपुर के कुछ युवा ‘ अन्नपूर्णा मुहिम ‘ के तहत शहर के मंदिरों, मस्जिदों , रेलवे व बस स्टेशन, फुटपाथ पर रहने वाले बेसहारा लोगों , बुजुर्गों और बच्चों का पेट भर रहे हैं। बिना किसी तामझाम या शोर-शराबे के कई हफ्तों से अभियान चलाने वाले इस समूह में कोई साफ्टवेयर इंजिनियर है, कोई व्यवसाई है तो कोई छात्र ।
हाथों में झोला लेकर गोरखपुर की गलियों में हर रोज कुछ युवक निकलते हैं एक नेक मकसद को पूरा करने के लिये। इनमें से कोई छात्र है तो साफ्टवेयर इंजिनियर, कोई व्यवसाई है तो कोई छात्र राजनीति से जुडा हुआ, लेकिन हर रोज शाम 4 बजे से लेकर 7 बजे तक यह एक साथ इकट्ठे होकर घर-घर भीख मांगने निकल पडते हैं । यह भीख रूपये की नही बल्कि दो गर्म रोटी की होती है। इस मुहिम केा इन्होने नाम दिया है अन्नपूर्णा । इस मुहिम की शुरूआत उस समय हुई जब कुछ महीनों पहले इस टीम के लोगों ने गरीबों को भीख में मिले रूपयों से नशा करते हुये देखा और इनके बच्चों को भूख से बिलबिलाते हुये देखा। इसके साथ ही मंदिरों के सामने दिन भर भीख मांगने के बाद भी जरूरतमंदों के हाथ दो रोटी के भी रूपये नही लगने के कारण इन सबने सोचा कि अगर इनकेा सीधे दो गर्म रोटी और सब्जी खाने केा दे दिया जाये तो इनकी भूख तो मिटेगी ही, भीख मंगवाने वाले गिरोह के शोषण से भी यह बच जायेंगे । इसके बाद शुरू हुआ एक अनोखा अभियान रोटी जुटाने का। रत्नेश,हिमांशु और आनन्द नामक इन तीन युवकों ने अपने कुछ दोस्तों को अपने साथ जोडा और इसके बाद सहारा लिया फेसबुक और ह्वाट्सअप का । इन्होने अपने जैसे कुछ और उत्साही युवाओं को अपने साथ जोडा और सबसे पहले अपनी ही कालोनी से रोटी बटोरना शुरू किया। शुरू में तो लोग इनके इस मुहिम का मजाक उडाते लेकिन धीरे धीरे इनकी लगनशीलता को देखकर लोगों ने इनका साथ देना शुरू कर दिया ।
शुरू -शुरू में एक दर्जन घरों से रोटी जुटाकर गरीबों को खिलाने वाले इन युवकों की मेहनत को देखकर लोग इनके साथ जुडने लगे और इस समय कई कालोनियों में 200 से अधिक परिवार इनके लिये गर्म रोटी की व्यवस्था करते हैं। अब लोग भी इनकी मेहनत केा देखकर इनसे काफी प्रभावित दिख रहे हैं और इनके आने के समय से पहले ही दो या उससे अधिक रोटी बनवाकर रखे रहते हैं। हर रोज यह युवा इन मुहल्लों से रोटी एकत्र कर अपने घर पर लाते हैं और अपने पॉकेट खर्च से घर पर सब्जी बनाकर उसे रोटी के साथ रोल करते हैं। यहां पर सब्जी और रोटी की पैकिंग करके यह सभी निकल पडते हैं शहर के रेलवे स्टेशन और मंदिरो के सामने भीख मांगने वाले गरीबों का पेट भरने के लिये। इनको देखते ही गरीबों के चेहरे खिल उठते हैं और गर्म रोटी और सब्जी खाकर इनकेा जो वह आर्शिवाद देते हैं वह इनके लिये सबसे बडा सुख होता है। इस अभियान को चलाने में हर रोज इनको काफी रूपये अपने पास से भी लगाने पडते हैं लेकिन सभी इस खर्च को आपस के पॉकेटखर्च से मिलाकर पूरा करते हैं । इनके इस प्रयास के कारण अब लोगों ने इनकेा रोटी वाला कहकर पुकारना शुरू कर दिया है।
इन युवाओं की अब तो हर रोज की यही दिनचर्या हो गई है । चाहे किसी को कोई भी जरूरी काम हो, लेकिन इस मुहिम केा पूरा करने के लिये तीन घंटे का समय वह जरूर निकाल लेते हैं। यहां से रोटी खिलाने के बाद यह गरीब बच्चों को पढाने का भी काम करते हैं ।