– ३८ साल का बरगद, २९ साल का पीपल गमले में
-40 वर्ष में तैयार हुई यह अनोखी बगिया
गोरखपुर, 5 जून। गोरखनाथ के दस नम्बर बोरिंग के रहने वाले ‘ मिस्टर बोनसाई ‘ के नाम से मशहूर रवि द्विवेदी की ४० सालों की मेहनत रंग लायी। आज उनके छोटे से गमले में ३८ सालों का बरगद मुस्कुरा रहा हैं. पास में २९ साल का पीपल भी खुश नजर आ रहा हैं। इसके अलावा कॉफी, तेजपत्ता, साइकस, पाकड़, गुलमोहर, शहतूत, करौंदा, गूलर, इमली, गुड़हल, कनेर, अमलतास, मनोकामिनी , बांस आदि के बड़े दरख्त गमलों मे देख सभी आश्चर्यचकित हो रहे हैं, और होना भी लाजिमी है. १९७६ से लगी ये बोनसाई बगिया अपने शबाब पर हैं. बड़े दानों का रुद्राक्ष और ब्लैक पाइन सहित ४०० प्रकार के फल, फूल और औषधीय पौधे किसी का भी ध्यान अपनी ओर खींचने में सक्षम हैं. १७५ से ज्यादा पौधों की प्रजातियां दिलचस्प हैं।
रवि द्विवेदी बैंक अधिकारी हैं। उनका मकसद शौक पूरा करना नहीं बल्कि लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरुक करना भी हैं। प्राकृतिक आपदाओं के लिए वनों के घटते क्षेत्रफल व वनों के दोहन को मुख्य कारण बताते हुए रवि कहते हैं कि हमारी जिंदगी तो गुजर जायेगी लेकिन आने वाली पीढियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. जिनके पास जमीन है वह दो तीन पेड़ जरुर लगायें.ताकि प्रकृति की विलुप्त हो रही प्रजातियों को संरक्षित एवं सुरक्षित रखा जा सकें. बोनसाई के लिए यह क्षेत्र मुफीद है। राजस्व बढ़ाने का जरिया बन सकता हैं। बुद्धा सर्किट की वजह से लाखों बुद्धिस्ट यहां आते है, उन्हें बोनसाई से बेहद मोहब्बत हैं. इसलिए सरकार को भी कोई ठोस योजना बनाकर उसे अमलीजामा पहनाना चाहिए ताकि राजस्व, रोजगार और सबसे अहम पेड़ पौधों के प्रति लोगों की दिलचस्पी बढ़ाई जा सके.।
श्री द्विवेदी ने अपनी बगिया के लिए पौधों की तलाश में पूरे देश का भ्रमण किया।
बरगद, पीपल की प्रजातियां यूपी के कई शहरों से ले आए तो केरल से कॉफी, राजस्थान से गूलर, बबूल और बंगाल से इमली व जामुन ।पतंनगर से डेनियम मंगाया। उनके इस कार्य में पत्नी ब्रिज मोहनी का भीकदम-कदम पर साथ मिला।