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तेंदुआ गोली से मरा कि ग्रामीणों के भाले से

गोरखपुर, 27 जुलाई। बड़हलगंज के एक गांव में भटक कर आए तेंदुए और ग्रामीणों के बीच संघर्ष का अंत 14 घंटे बाद रात नौ बजे तेंदुए की मौत से हुआ। इस बीच तेंदुए के हमले में एक बच्चे और दो पुलिस कर्मियों समेत एक दर्जन लोग घायल हुए। तेंदुए को पकड़ने में देरी से खफा लोगों ने बड़हलगंज में गोरखपुर-वाराणसी राजमार्ग को सवा घंटे तक जाम रखा और डेढ़ दर्जन से अधिक सरकारी वाहनों में तोड़फोड़ की।
कल सुबह सात बजे से रात 9 बजे तक चले हंगामे के खत्म होने के बाद यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि आखिर तेंदुए की मौत कैसे हुई ? क्या वह ग्रामीणों के हमले में मारा गया या उसे शूट किया गया। वन विभाग का कहना है कि ग्रामीणों द्वारा भाले से किया गए हमले ने तेंदुए की जान ली जबकि क्षेत्र में यह चर्चा है कि तेंदुए को तीन गोली मारी गई। वन विभाग गोली से तेंदुए की मौत से इनकार कर रहा है।
आज सुबह तेंदुए का पोस्टमार्टम हुआ। गोरखपुर के डीएफओ आरपी यादव ने गोरखपुर न्यूज लाइन को बताया कि अभी रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जा रही है लेकिन प्राथमिक तौर पर तेंदुए के शरीर में आतरिंक रक्त स्राव पाया गया गया है। उसे नुकीले हथियार से चोट लगी थी जिससे उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई और भारी रक्तस्राव हुआ। इस कारण उसकी हार्ट अटैक से मौत हुई।

श्री यादव ने तेंदुए की गोली लगने से मौत से इनकार किया। उनका कहना था कि जिस घर में तेंदुआ मृत मिला वहां खून का कोई निशान नहीं था। इसलिए गोली मारे जाने की बात में कोई दम नहीं है। उनका कहना है कि तेंदुआ भूखा था और पूरे दिन इधर-उधर दौड़ने के कारण बुरी तरह थक गया था। वह एक घर से दूसरे घर में छिपने जा रहा था लेकिन भीड़ उसे खदेड़ रही थी। बचाव में वह लोगों पर हमले कर रहा था। इस दौरान ग्रामीण उस पर ईंट-पत्थर, लाठी-डंडा से प्रहार कर रहे थे। यही कारण है कि उसकी मौत हुई।


डीएफओ के अनुसार घाघरा के दियारा में बाढ़ के वक्त हिरन, खरगोश गांवों के किनारे आ जाते हैं और तेंदुए उनके शिकार के लिए बस्तियों के तरफ आ जाते हैं। पिछले वर्ष भी इस तरह की घटना हुई थी। उन्होंने तेंदुए के नेपाल के चितवन नेशनल पार्क या बिहार के बाल्मीकिनगर टाइगर रिर्जव से आने की संभावना से इंकार किया।

एक तरफ तेंदुआ दूसरी तरफ दो बच्चे और दो महिलाएं
मंगलवार की सुबह सात बजे सबसे पहले तेंदुआ खजुरी पांडेय गांव के उसरापार टोले में दिखा। उसके सामने सबसे पहले राजन की पत्नी सरिता पड़ी। तेंदुए के हमले से उनके कंघे, बांह और पीठ पर चोटें आई। इसके बाद तेंदुए का सामना होमगार्ड नागेन्द्र मौर्य से हुआ। वह अपने बेटे सूरज मौर्य और तीन वर्षीय भांजे अभय को लेकर मक्के के खेत में चैकी पर बैठा था। तभी मक्के के खेत से निकले तेंदुआ ने सूरज पर हमला बोला। सूरज ने बहादुरी से बच्चे की सुरक्षा की और उसे सीने से मजबूती से चिपका लिया। नागेन्द्र की चीख सुनकर गांव वाले एकत्र हो गए और उन्होंने तेंदुए का पीछा किया। भागता हुआ तेंदुआ गांव के भरत यादव के मकान के खपरैल के घर के एक कमरे में रखे गए भूसे के ढेर मे छिप गया। सामने दूसरे वाले कमरे में भरत यादव के घर के दो बच्चे व दो महिलाएं घर में थी। उन्होंने किसी तरह दरवाजा अंदर से बंद किया। एक तरफ तेंदुआ था और दूसरी तरफ डरे-सहमें चार लोग। बीच में सिर्फ एक दरवाजा था। यह स्थिति तीन घंटे तक बनी रही। किसी तरफ पीछे की तरफ से चारों को निकाला गया। तीन घंटे तक खौफ में रहने के कारण दोनों बच्चे गहरे सदमे में हैं।

तीन घंटे बाद तेंदुआ भूसे के घर से तब निकला जब एक नौजवान उसके काफी नजदीक पहुंच गया। वह उस पर झपट्टा मारते हुए पारस के घर में घुस गया। इसके बाद चार बजे कई बार भरत और पारस के घर से निकला और घुसा। चार बजे से वह भरत के घर के भूसा वाले कमरे में ही छिपा रहा। इस दौरान भूसे वाले घर की शीट हटाई गई तो तेंदुए ने वहां खड़े गगहा के एसओ और बंदूकधारी सिपाही पर झपट्टा मारा जिससे दोनों घायल हो गए। रात आठ बजे के बाद वन विभाग का पिंजरा आया और तेंदुए को पकड़ने की कोशिश शुरू हुई। जब वनकर्मी भरत यादव के घर के पास पहुंचे तो वहां कोई आहट नहीं थी। और करीब जाने पर तेंदुआ मृत पड़ा मिला।

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