प्रधानमंत्री कार्यालय ने प्रदेश सरकार को प्रस्ताव भेजने का आग्रह किया
गोरखपुर, 6 जुलाई। गोरखपुर में एम्स की स्थापना को लेकर नाटकीय मोड़ आया है। अब केन्द्र सरकार ने एम्स के लिए कूड़ाघाट स्थित गन्ना शोध संस्थान की जमीन को इसके लिए उपयुक्त बताते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से इस सम्बन्ध में प्रस्ताव भेजने का आग्रह किया है। यदि इस भूमि के बारे में कोई अड़चन नहीं आई तो 22 जुलाई को प्रधानमंत्री के गोरखपुर दौरे में एम्स का शिलान्यास हो सकता है।
सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री कार्यालय ने गन्ना शोध संस्थान की भूमि पर एम्स बनाए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव की जानकारी गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ को आज दी। योगी आदित्यनाथ ने इसकी जानकारी मीडिया को दी। गोरखपुर नगर के विधायक डा. राधा मोहन दास अग्रवाल ने रात नौ बजे अपने फेसबुक वाल पर इस बारे में लिखा कि ‘ गोरखपुर और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि सुनिश्चित हुई है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने गन्ना शोध संस्थान की भूमि पर एम्स बनाने के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखकर प्रस्ताव भेजने का आग्रह किया है। प्रधानमंत्री 22 जुलाई को गोरखपुर फर्टिलाइजर के नए कारखाने के साथ एम्स का शिलान्यास करेंगे।
गोरखपुर में एम्स स्थापति करने के लिए भूमि को लेकर काफी विवाद है। केन्द्र से आयी केन्द्रीय टीम ने चार स्थानों पर भूमि देखने के बाद खुटहन स्थिति वन विभाग की भूमि को इसके लिए उपयुक्त बताया था और कहा था कि इस स्थान को फोर लेन से जोड़ दिया जाए। राज्य सरकार इस पर राजी भी हो गई कि इसी बीच एक पूर्व जमींदार परिवार के रमनदास ने इस जमीन पर अपना दावा पेश कर दिया और मामले केा हाईकोर्ट में ले गए। हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई हुई लेकिन अभ्ीा तक फैसला नहीं आया है। रमन दास ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखकर जमीन पर अपने दावा पेश किया था जिस पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रदेश सरकार को उनकी आपत्तियों का निस्तारण करने का अनुरोध किया।
खुटहन की भूमि के विवाद में आने के बाद योगी आदित्यनाथ ने खाद कारखाने की भूमि पर एम्स स्थापित करने का प्रस्ताव किया। उनके अनुरोध पर केन्द्रीय टीम ने फर्टिलाइजर का दौरा किया और एम्स की स्थापना के संबध में सभी पक्षों से बात की। उस समय जानकारों ने यह कहा था कि खाद कारखाने के पास एम्स की स्थापना ठीक नहीं होगा और प्रदूषण के साथ -साथ अन्य दिक्कतें आएंगी। अब जब कूड़ाघाट स्थित गन्ना शोध संस्थान के बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय ने प्रस्ताव दिया है तो इससे स्पष्ट होता है कि खाद कारखाने की भूमि को एम्स के लिए उपयुक्त नहीं पाया गया है।
एम्स के लिए पहले भी गन्ना शोध संस्थान की भूमि का सुझााव दिया गया था लेकिन जरूरत की 200 एकड़ भूमि न होने के कारण इस सुझाव पर गौर नहीं किया गया। अब जब इस भूमि पर एम्स स्थापना का प्रस्ताव आया है तो यह बात फिर उठेगी कि लगभग 100 एकड़ भूमि में ही एम्स की स्थापना कैसे हो पाएगी ? एक आपत्ति गन्ना शोध के महत्वपूर्ण कार्य में लगे संस्थान को हटा कर एम्स स्थापित करने पर भी हो सकती है ? एयरफोर्स स्टेशन के नजदीक होने से एम्स के लिए बहुमंजिली इमारात बनाने पर भी आपत्ति आ सकती है। देखना है कि राज्य सरकार केन्द सरकार के इस प्रस्ताव पर क्या जवाब देती है ?
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