मनोज कुमार सिंह
गोरखपुर, 16 जुलाई। अब जबकि कूड़ाघाट स्थित गन्ना शोध संस्थान की 112 एकड़ की भूमि पर एम्स बनाने की हरी झंडी केन्द्र और प्रदेश सरकार दोनों ने दे दी है और 22 जुलाई को प्रधानमंत्री के हाथों इसका शिलान्यास होने जा रहा है, एम्स बनवाने का श्रेय लेने की होड़ शुरू हो गई। इसी बीच खुटहन वाली जमीन पर भी हाईकोर्ट इलाहाबाद का फैसला आ गया है और फैसला वन विभाग के पक्ष में आया है। इन परिस्थितियों में कई ऐसे सवाल उठ रहे हैं जो श्रेय लेने के शोर में गुम हैं।
ये सवाल हैं :
- -यदि गन्ना शोध संस्थान की भूमि एम्स के लिए सर्वाधिक उपयुक्त थी तो केन्द्रीय टीम ने अपने पहले दौरे में इसको खारिज क्यों किया और दूसरी भूमि ढूंढने के नाम पर एक वर्ष का समय क्यों बर्बाद किया गया ?
- एम्स के लिए मानक के हिसाब से 200 एकड़ की भूमि की जरूरत होती है क्योंकि इसमें 18 स्पेशियलिटी का ५00 हास्पिटल बेड, १५ सुपर स्पेशियलिटी के 300 बेड का अस्पाताल, 100 बेड का आईसीयू, 30 बेड का आयुष और 30 बेड का फिजिकल मेडिसीन व रिहैबिलेटशन का भवन बनना है। एम्स में 30 फैकेल्टी और 3७७६ नान फैकेल्टी पोस्ट स्वीकृत हैं। इस तरह चार हजार कर्मचारियों के लिए आवासीय बिल्डिंग की भी जरूरत होगी जो कि सिर्फ 11२ एकड़ जमीन में बनना संभव नहीं लगता है। ऐसे में सवाल उठता है कि कहीं जमीन की कमी के कारण गोरखपुर का एम्स अन्य राज्यों में बने एम्स के मुकाबले कहीं छोटा तो नहीं हो जाएगा ?
- गन्ना शोध संस्थान एयरफोर्स स्टेशन से एकदम सटे है। एयरफोर्स ने आस पास के क्षेत्र में उंची बिल्डिंगों के निर्माण की स्वीकृति नहीं दी है। यही कारण है कि यहां पर रेलवे क्रासिंग पर ओवरब्रिज का निर्माण नहीं हो सका। एम्स में आठ से लेकर दस मंजिली बिल्डिंग बननी है। ऐसे में यदि एयरफोर्स की तरफ से आपत्ति हुई तो पहले से कम भूमि में बन रहे एम्स के लिए जरूरी भवन कैसे बन पाएंगें ?
- बड़े अस्पताल वहां बनाए जाते हैं जो ध्वनि प्रदूषण से दूर हों। यदि गन्ना शोध संस्थान की भूमि पर एम्स बनता है तो लड़ाकू विमानों के उड़ान से होने वाले शोर से यहां भर्ती होने वाले रोगियों के स्वास्थ्य पर क्या प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा ?
- सबसे बड़ा सवाल है कि गन्ना शोध संस्थान का क्या होगा ? यह इलाका गन्ना बेल्ट है जहां पर दो दर्जन से अधिक चीनी मिलें स्थापित हैं। सिर्फ गोरखपुर मंडल के चार जिलों में एक ला चा हेक्टेयर से अधिक गन्ना बोया जाता है। गन्ने की नई प्रजातियों के विकास में गन्ना शोध संस्थान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस संस्थान को और मजबूत करने के बजाय इसे बंद कर देने से क्या इस इलाके के गन्ने की खेती पर असर नहीं पड़ेगा ? गन्ना शोध संस्थान का अस्तित्व क्या समाप्त हो जााएगा ?
- अब जबकि खुटहन वाली जमीन के बारे में हाईकोर्ट का फैसला आ गया है तो क्या सिर्फ विधानसभा चुनाव को देखते हुए शिलान्यास की हड़बड़ी में गन्ना संस्थान की भूमि पर ही एम्स बनाया जाएगा जहां भूमि कम है और वहां बनने से गन्ना शोध संस्थान का अस्तित्व समाप्त होगा ?