गिनीज बुक में दर्ज कराने का करेंगे प्रयास
रात आठ बजे तक मौके पर अफसरों के आने का करते रहे इंतजार
सिसवा (महराजगंज), 13 जुलाई। सिसवा के एक दर्जन युवाओं ने 12 जुलाई को 432 किलो का समोसा बना कर दुनिया के सबसे बड़े समोसे के अब तक के रिकार्ड 110.8 किलो को तोड़ने का दावा किया। रितेश सोनी नाम के युवक की अगुवाई में एक दर्जन युवाओं ने 12 घंटे लगातार काम कर यह समोसा तैयार किया हालांकि अधिक वजन और उपयुक्त तकनीक के अभाव में उनका समोसा आकृति में समोसा जैसा नहीं बन सका। वह चपटा हो गया। फिर भी युवकों के इस कारनामे को देखने के लिए सिसवा के गोपाल नगर मुहल्ले में सुबह से शाम तक लोगों का तांता लगा रहा।
21 वर्शीय रितेष सोनी सिसवा में ठेले पर पकौड़े और समोसे बेचते हैं। उन्हें दुनिया का सबसे बड़ा समोसा बनाने की प्रेरणा सिसवा से सात किमी दूर कटहरी में रहने वाले आर्ट के शोध छात्र मनीष कुमार प्रजापति द्वारा 70 किलो की जलेबी बनाने से मिली।
मनीष ने 17 सितम्बर 2015 को 70 किलो की जलेबी बनाकर दावा किया कि उन्होंने गिनीज बुक में दर्ज रिकार्ड को तोड़ दिया है। उनका रिकार्ड अभी गिनीज बुक में दर्ज नहीं हो पाया है। उनके द्वारा भेजे गए दस्तावेज को देखने के बाद गिनीज बुक की ओर से 28 अप्रैल को भेजे गए मेल में कहा गया है कि उनके रिकार्ड का जल्द सर्टिफाइड किया जाएगा।
रितेशी सोनी की समोसा बनाने वाली टीम में 12 सदस्य थे जो उसी की तरह सामान्य परिवारों के थे। इनमें उसका छोटा भाई किशन भी था। अन्य युवाओं में विवेक मद्देशिय, अभिेषक सोनी और नवीन मद्देशिया छात्र हैं तो भानू गुप्ता की फल की और दुर्गेश की बेकरी की दुकान है। राजेश वर्मा कैटरिंग का कार्य करते हैं तो नवीन की फोटोग्राफी की दुकान है।
रितेश और उनके साथियों ने अपने इस प्रयास को दिखाने के लिए डीएम और अन्य अधिकारियों को आमंत्रित किया था लेकिन रात आठ बजे तक कोई अधिकारी नहीं आया। इसके बाद उन्होंने समोसे को लोगों में बांट दिया। रितेश ने बताया कि दुनिया का सबसे बड़ा समोसा बनाने के लिए उन्होंने ढाई महीने की तैयारी की और इस पर 40 हजार खर्च हुआ। गिनीज बुक में अपने इस रिकार्ड को दर्ज कराने के लिए वह आवेदन करना चाहते थे लेकिन इसके लिए जरूरी फीस वह नहीं जुटा पाए। इसलिए उन्होंने समोसा बनाने की पूरी प्रक्रिया को वीडियो व स्टिल फोटोग्राफी करायी और इसे गिनीज बुक को भेज कर इसे विश्व रिकार्ड के रूप में दर्ज करने का अनुरोध करने का फैसला लिया है।
रितेश की टीम को समोसा बनाते समय कई तरह की कठिनाई हुई। उनके पास समोसा को गर्म तेल में छानने का कोई उपाय नहीं था। इसलिए उन्होंने समोसा बनाने के बाद उस पर गर्म घी डाल कर पकाया। टेंट हाउस से मंगाए गए कई मेज पर रखा गये समोसे के भार से मेज झुक गया जिसे यह विशालकाय समोसा एक तरफ से फट भी गया। यही नहीं समोसे का वजन उसमें इस्तेमाल मैदा, आलू, तेल, मसाला आदि के आधार पर आंका गया यहीं कारण है कि इसका वजन कई अखबारों में भिन्न-भिन्न आया है। जबकि मनीष प्रजापति ने 70 किलो की जलेबी का वजन किराए पर मंगाए गए तौल मशीन से किया था।