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बीआरडी मेडिकल कालेज में इंसेफेलाइटिस से चार और मौतें

गोरखपुर, 25 अगस्त। आज जब लोग कृष्ण जन्माष्टमी मना रहे थे और घरों में झांकियां सजा रहे थे, बीआरडी मेडिकल कालेज में सैकड़ों लोग अपने बच्चों के जान की सलामती के लिए दुआ कर रहे थे। ये वे लोग थे जिनके बच्चे इंसेफेलाइटिस नाम की जानलेवा बीमारी से मेडिकल कालेज के नेहरू चिकित्सालय के तीन वार्डों में जीवन और मौत से जूझ रहे थे। चिकित्सकों की तमाम कोशिशों के बावजूद आज भी चार बच्चों की जान चली गई।
पूर्वांचल का शोक बनी इंसेफेलाइटिस को रोकने के सभी प्रयास नाकाम हो रहे हैं। सरकार द्वारा इस रोग से बचाव के उपायों पर ठोस काम नहीं करने के परिणाम सामने आने लगे हैं। सरकार को जोर सिर्फ इलाज पर है। इलाज भी एक तरह से बीआरडी मेडिकल कालेज और जिला अस्पतालों पर केन्द्रित हो गया है। सीएचसी-पीएचसी पर बनाए गए इंसेफेलाइटिस टीटमेंट सेंटर नामाक सिद्ध हो रहे हैं और 70 फीसदी से अधिक मरीज सीधे बीआरडी मेडिकल कालेज आ रहे हैं जहां के संसाधान इंसेफेलाइटिस मरीजों को गुणवत्तापूर्ण इलाज देने में सफल नहीं हो पा रहे हैं।
100 बेड के इंसेफेलाइटिस वार्ड के सघन चिकित्सा कक्ष के बेड संख्या 11 पर देवरिया जिले के लार रोड निवासी 15 वर्षीय निशा 23 दिन से भर्ती है। अभी भी उसकी हालत में संतोषजनक सुधार नहीं हैं। उसकी मां कहती हैं कि 23 दिन हो गए, अभी भी हालत वैसे की वैसे है। इसी कक्ष में बेड संख्या पांच पर पांच वर्षीय नव्या भर्ती है जिसका बुखार पांच दिन बाद भी कम नहीं हुआ है। उसका पिता लगातार उसका शरीर पानी से पोछ रहा है। नव्या देवरिया जिले के रूद्रपुर क्षेत्र के एकौना की है। इसी तरह का हाल अन्य मरीजों का है।
गुरूवार को भी बीआरडी मेडिकल कालेज में इंसेफेलाइटिस केे 20 नए मरीज भर्ती हुए। इसके साथ ही यहां पर भर्ती मरीजों की संख्या 100 हो गई है। इनमें 98 बच्चे और दो वयस्क हैं।
एक जनवरी से 25 अगस्त तक यहां पर इंसेफेलाइटिस के 707 मरीज भर्ती हुए जिनमें 674 बच्चे और 33 वयस्क थे। इनमें से 171 बच्चों और 12 वयस्कों की मौत हो गई। जांच में 31 बच्चे और एक दो वयस्क जेई पाजिटिव पाए गए हैं।