मंदिरों के भजन, मस्जिदों की अजां सिर्फ दोहरा रहे हैं ।
यहीं दास्तां प्यार किये जा प्यार इबादत है।
अगर इस जहां में मोहब्बत ना होती।
किसी को किसी किसी की जरूरत ना होती।
शमां कोई होती ना परवाना होता।
हकीकत से हर शख्स बेगाना होता।
गुलिस्तां में बुलबुल के चर्चे ना होते।
ये फरहाद मजनूं के किस्से ना होते।
मोहब्बत का रूतबा यहां तक हुआ।
खुदा खुद मोहब्बत का शैदा हुआ।
फिर तो एक शमां बन गया। एक बार और, की हर ओर से सदा आने लगी। इसके बाद उन्होंने मुबारक खां शहीद की शान में गाया
खुश रहे तू नजर से पिलाता रहे।
मैं अदाओ पर खुद को मिटाता रहूं।
तू लगाता रहे शौक से ठोकरें।
मैं मोहब्बत में सर को झुकाता रहूं।।
चारों तरफ तालियों की गड़गड़ाहट थी। इसके बाद उन्होंने गाया
दिलों जां हैं, मेरा दम हैं, मुहम्मद।
रसूलों में मुकर्रम हैं मुहम्मद।।
गुलामी में, नबी हैं और वली हैं ।
शहंशाहेें दो आलम हैं मुहम्मद।।
इसके बाद गाया
जिदंगी यूं ही इश्क में चलती रहीं।
रूठते तुम रहो मैं मनाता रहूं।
फिर गया
सारे रसूलों से जुदा है रूतबा मेरे सरकार का।
रब की कसम कुर्बान है चेहरा मेरे सरकार का।
अकीदतमंदों का चेहरा खुशी से झूम रहा था। नूरानियत का शमां था।
रात्रि नमाज के बाद जो कव्वाली का दौर शुरू हुआ तो फज्र की अजान तक चलता रहा। अब बारी थी हरदिल अजीज जुनेद सुल्तानी बदायूंनी, शहबाज, जावेद सुल्तानी, महेश कुमार राव व उनके साथियों की। उन्होंने गाया
हम हिन्द के नारे से धरती को हिला देंगे।
धरती तो रही धरती अम्बर को हिला देंगे।
ऐ हिंदु मुसलमानों आपस में तो मिल जाओ।
हम देश के दुश्मन को मिट्टी में मिला देंगे।
फिर तो सारा नजारा ही बदल गया। हिन्दुस्तान जिंदाबाद के नारे लगने लगे। फिर गाया
उन्हें नबी की मोहब्बत तलाश करती है।
उन्हें अली की इमामत तलाश करती है।।
जमाने वाले जन्नत तलाश करते है।
हुसैन वालों को जन्नत तलाश करती है।।
खूब सुब्हालनल्लाह की सदायें बुलंद हुई।
इसके बाद गाया
बस एक शहर मदीना है सारी दुनिया में।
जहां पहुंच कर खुदा भी बहुत करीब लगा।
बाबा की शान में पढ़ा
सर के बल आते है यहां।
ये ऐसी हस्ती हैं मुबारक शहीद के रौजे पर।
यहां नबी की रहमत बरसती है।
आमिल आरिफ एवं जुनेद सुल्तानी ने एक से बढ़कर एक कव्वाली पेश की। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद रहे। लोगों ने कलाकारों द्वारा गायी कव्वाली का आनंद लिया। ।
दरगाह के अध्यक्ष इकरार अहमद, सैयद मोहतसिम कबीर, मौलाना मकसूद आलम, सैयद शहाब, मोहम्मद अली, शमसीर अहमद शेरू, तौकीर किक्कू, वहाज, अहमद हसन, सैयद सदफ, रमजान, बाॅबी, एजाज अहमद, सरवर, कुतुबुद्दीन, इमरान खान, अनवर आलम, कलीम, मोहम्मद फैजान, उमर कादरी, मोहम्मद कमर उर्फ राजू, रणवीर सिंह, दानिश गोरखपुरी, सद्दाम, महेन्द्र सिंह राणा, अनिल, राजा, एखलाक अहमद सहित तमाम लोगों ने कलाकारों का हौसला बढ़ाया। इस दौरान बड़ी संख्या में अकीदतमंद मौजूद रहे।
अमनों सलामती की दुआ के साथ उर्स-ए-पाक सम्पन्न
नार्मल स्थित हजरत मुबारक खां शहीद अलैहिर्रहमां के सालाना उर्स-ए-पाक के अंतिम दिन बुधवार को बाबा के आस्ताने पर अकीदतमंदों की बड़ी भीड़ उमड़ी। लोगों ने बाबा की चादर का बोसा (चूमा) लिया और मन्नतें मांगी। सभी में लंगर (प्रसाद) वितरित किया गया। दरगाह सदर इकरार अहमद की देखरेख में कुल शरीफ हुआ। दूर-दराज से आए अकीदतमंदों ने अपने व मुल्क की सलामती की दुआएं मांगीं। सुबह से ही चादर चढ़ानें का सिलसिला देर रात तक जारी रहा।
आस्ताना पर साझा संस्कृति परवान चढ़ रही थी। हिंदू-मुस्लिम दोनों धर्मों के बड़ी संख्या में महिला, पुरुष व बच्चे पहुंचे। दिन भर बाबा के आस्ताने पर अकीदतमंदों का तांता लगा रहा। इस अवसर पर कमेटी की तरफ से 15 कुंतल प्रसाद बांटा गया।
उर्स में गोरखपुर के अलावा बनारस, सिद्धार्थनगर, जौनपुर, पडरौना, महराजगंज, बस्ती, संतकबीरनगर सहित झारखंड व अन्य प्रदेश के अकीदतमंद शामिल हुए।
इस दौरान दरगाह के अध्यक्ष इकरार अहमद, सैयद मोहम्मद अली मोहतसिम कबीर, मौलाना मकसूद आलम, सैयद शहाब, मोहम्मद अली, शमसीर अहमद शेरू, तौकीर किक्कू, वहाज, अहमद हसन, सैयद सदफ, रमजान, बाॅबी, एजाज अहमद, सरवर, कुतुबुद्दीन, इमरान खान, अनवर आलम, कलीम, उमर कादरी, मोहम्मद कमर उर्फ राजू, मोहम्मद फैजान, रणवीर सिंह, दानिश गोरखपुरी, सद्दाम, महेन्द्र सिंह राणा, अनिल, एखलाक अहमद, नूर मोहम्मद,राजा सहित तमाम लोगों ने शिरकत किया।