सपा, बसपा, कांग्रेस, पीस पार्टी और एआईएमआईएम में है रस्साकशी
दोनों मंडलों की 41 में से 13 हैं मुस्लिम बहुल
सैयद फरहान अहमद
गोरखपुर, 17 अगस्त। यूपी की सियासत में मुसलमानों की अहम भूमिका है। ज्यादातर सीटों पर सपा, बसपा, कांग्रेस अन्य वोटरों के साथ मुस्लिम वोटों पर ही निर्भर रहते है जबकि भाजपा की कोशिश रहती है कि मुस्लिम वोट बंटे। पूर्वांचल के गोरखपुर-बस्ती मंडल के सात जिलों की 41 सीटों में से 13 सीटों पर मुस्लिम वोटरों का खास प्रभाव हैं। सभी दलों की निगाहें शोहरतगढ़, बांसी, इटवा, डुमरियागंज, मेंहदावल, खलीलाबाद, पनियरा, गोरखपुर ग्रामीण, पिपराइच, फाजिलनगर, कुशीनगर, पथरदेवा, रामपुर कारखाना मुस्लिम बहुल सीटों पर लगी हुई है। सपा, बसपा, कांग्रेस के अलावा इस बार पीस पार्टी और एआईएमआईएम मुस्लिम वोटरों पर मजबूती से दावा ठोक रहे हैं।
चुनावी इतिहास बताता है कि इन 41 सीटों में कभी 4 से ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवार नहीं जीत पाए हैं। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में डुमिरयागंज से बसपा के तौफीक अहमद, मेहंदावल से सपा के अबुल कलाम व सलेमपुर से सपा की चौधरी फसीहा बशीर चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे। 2012 के विधानसभा चुनाव में 4 मुस्लिम उम्मीदवारों -डुमिरयागंज से पीस पार्टी से मलिक कमाल युसुफ, खलीलाबाद से पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. अयूब, देवरिया के पथरदेवा से सपा के शकिर अली व रामपुर कारखाना से सपा की चौधरी गजाला लारी ने जीत हासिल की थीं। मलिक कमाल युसुफ ने बाद में पीस पार्टी छोड़ दी थी। पिछले चुनाव में दोनों मंडलों की सात ऐसी सीटें भी थी जहां मुस्लिम उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे थे। अन्य दलों के साथ पीस पार्टी, एआईएमआईएम की इन्हीं सीटों पर पैनी निगाह हैं। यहीं से दोनों पार्टियों के लिए सीट निकलने की उम्मीद है।
पिछले विधानसभा चुनाव में पीस पार्टी ने दोनों मंडलों में दो सीट ही नहीं निकाली बल्कि सपा व बसपा के वोटों में सेंधमारी भी की। इस कारण कुछ सीटों पर सपा जीती हुई बाजी भी हार गयी थी।
पीस पार्टी के अलावा एआईएमआईएम की इस इलाके में बढ़ती सक्रियता से सपा और बसपा परेशान हैं। एआईएमआईएम नेता ओवैसी के पूर्वांचल दौरे में मुसलमानों की बड़ी भीड़ देखने को मिली। पार्टी ने गोरखुपर, महराजगंज, इटवा, सिद्धार्थनगर में सम्मेलन भी आयोजित किया है। अभी तक तय नहीं है कि एआईएमआईएम का किसी और दल से समझौता होगा कि नहीं। फिलहाल बसपा, कांग्रेस ने तो गठबंधन से इंकार कर दिया है।
पीस पार्टी ने डॉ संजय निषाद कि पार्टी निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल और महान दल से गठबंधन कर फिर से अपने काओ मुक़ाबले में ला दिया है। निषाद समाज की पूर्वञ्चल की कई विधान सभा सीटों पर निर्णायक स्थिति है। यदि निषाद और पसमान्दा मुसलमानों का सामाजिक समीकरण बनता है तो यह चौकाने वाला नतीजा दे सकता है।
डॉ अयूब इस बार सेक्यूलर वोटों में बटवारा न होने देने के लिए खासे कोशिश करते दिख रहे हैं। उन्होने कई बार अपील की है। वह एआईएमआईएम का समर्थन करते हुए ऐसे और दलों की जरूरत भी बता रहे हैं। उन्होंने बिहार के तर्ज पर साम्प्रदायिक ताकतों से लड़ने की बात भी कही थी। बता भले सेक्यूलर दलों की एकता की हो रही है लेकिन कोई भी मुस्लिम बहुल सीटों से अपनी दावेदारी छोड़ना भी नहीं चाहता। पीस पार्टी ने डा. संजय निषाद को गोरखपुर ग्रामीण से प्रत्याशी घोषित कर दिया है तो एआईएमआईएम ने मिर्जा दिलशाद बेग को मैदान में उतारा हैं। जब दोनों यहाँ से लड़ेंगे मुस्लिम मतों में विभाजन तो होगा ही।
गोरखपुर मौर बस्ती मण्डल में दलों की स्थिति
पार्टी 2007 2012 फायदा नुकसान
सपा 15 18 3 0
बसपा 15 8 0 7
भाजपा 07 7 0 0
कांग्रेस 03 5 2 0
पीस पार्टी 0 2 2 0
एनसीपी 0 1 1 0
वर्ष 2012 विधानसभा चुनाव में गोरखपुर-बस्ती मंडल की सीटों पर जीतने वाले मुस्लिम उम्मीदवार
- डुमरियागंज मलिक कमाल युसुफ पीस पार्टी (फिलहाल पार्टी में नहीं)
- खलीलाबाद डा. अयूब (पीस पार्टी )
- पथरदेवा शकिर अली (सपा)
- रामपुर कारखाना चौधरी गजाला लारी (सपा)
वर्ष 2012 विधानसभा चुनाव में गोरखपुर-बस्ती मंडल की सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों की स्थिति
- गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा जफर अमीन डक्कू (सपा) दूसरा स्थान
- पिपराइच दिलदार हुसैन (बसपा) चौथा स्थान
- शोहरतगढ़ मुमताज अहमद (बसपा) दूसरा स्थान
- बांसी मोहम्मद सरवर (पीस पार्टी) चौथा स्थान
- इटवा मोहम्मद मुकीम (कांग्रेस) तीसरा स्थान
- डुमरियागंज सैयदा खातून (बसपा) दूसरा स्थान
- मेंहदावल मो. तैयब (बसपा) तीसरा स्थान
- खलीलाबाद मशहूर आलम चौधरी (बसपा) तीसरा स्थान, अबुल कलाम (सपा) चौथा स्थान
- पनियरा तलत अजीज (कांग्रेस) चौथा स्थान
- फाजिलनगर कमालुद्दीन (बसपा) दूसरा स्थान
- कुशीनगर जावेद इकबाल (बसपा) दूसरा स्थान
- पथरदेवा नियाज खान निर्दल तीसरा स्थान