सब के लिए बेहतर व सस्ती शिक्षा और सम्मानजनक रोजगार के साथ ही उठी कैम्पस लोकतंत्र और रोहित एक्ट लागू करने की माँग
नई दिल्ली, 28 सितंबर। शहीद-ए-आज़म भगतसिंह के 109वें जन्मदिन पर उनके और डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर के सपनों का भारत बनाने के संकल्प के साथ देश भर से आए हज़ारों छात्र-नौजवानों ने अम्बेडकर भवन से संसद मार्ग तक एक जुलूस निकाला । जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता और भगतसिंह के भांजे प्रॉफ़ेसर जगमोहन ने इस जुलूस को झण्डा दिखा कर रवाना किया।
यह जुलूस 10 अगस्त से शुरू हुए “उठो मेरे देश, नए भारत के वास्ते, भगतसिंह-अम्बेडकर के रास्ते” अभियान के तीसरे चरण का आख़िरी कार्यक्रम था।
संसद मार्ग पर इस जुलूस ने एक सभा का स्वरुप ले लिया जिसे प्रोफ़ेसर जगमोहन, आइसा की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुचेता डे, सामाजिक कार्यकर्ता राम पुनियानी, वरिष्ठ पत्रकार अनिल चमड़िया, प्रसिद्ध लेखिका व दलित महिला अधिकार कार्यकर्ती अनीता भारती, जेएनयू सफ़ाई कर्मचारी यूनीयन की नेत्री उर्मिला चौहान, त्रिपुरा विश्वविद्यालय के आइसा नेता कौशिक दास (एक दलित छात्र जिसे ठेका मज़दूरों और रोहित वेमूला के समर्थन में संघर्ष करने के कारण प्रताड़ित किया गया), बीएचयू के दलित छात्र आकाश (जो उन 9 छात्रों में से एक हैं जिन्हें कैम्पस में आरक्षण को सही से लागू करने, लैंगिक भेदभाव का विरोध करने और 24×7 लाइब्रेरी की माँग करने के लिए निष्कासित कर दिया गया), जेएनयूएसयू अध्यक्ष मोहित, संयुक्त सचिव तबरेज, पूर्व महासचिव रामा नागा, गढ़वाल विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में जीत हासिल करने वाली आइसा नेत्री शिवानी, इंकलाबी नौजवान सभा, बिहार के अध्यक्ष मनोज मंजिल (जिन्हें ज़मीन और शिक्षा के सवाल उठाने के लिए जेल भेज दिया गया था और जिन्होंने ऊना में हुए दलित आंदोलन में महत्वपूर्ण भागीदारी की थी), उन्हीं के साथ ऊना मार्च में शुरू से आख़िर तक शामिल रहने वाले इंकलाबी नौजवान सभा, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष राकेश, अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह तथा महाराष्ट्र, कार्बी-आंग्लाँग सहित देश के विभिन्न प्रदेशों से आए छात्र-नौजवान नेताओं ने संबोधित किया।
अंत में भाकपा(माले) के महासचिव कॉमरेड दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि जनता के आंदोलन व देश की प्रगतिशील संस्कृति भारत में फ़ासीवाद के ख़तरे का विरोध करते रहेंगे और उसे हराएँगे भी।भगतसिंह ने भूरे अंग्रेजों के साथ ही औपनिवेशिक ताकतों का विरोध करने की बात कही थी, अम्बेडकर ने कहा था कि समानता और भाईचारे के बिना सच्ची आजादी नहीं मिल सकती। अंतर्जातीय विवाहों, महिलाओं की पूर्ण स्वतंत्रता तथा किसान-मज़दूरों की एकता के बिना जातियों का सर्वनाश नहीं हो सकता, उन्होंने कहा। वे बोले कि पूरे देश में इस समय नौजवान कश्मीर व उत्तर-पूर्व में जारी सैन्य अत्याचार और दमन के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं। सरकार एक तरफ़ तो भारत-पाकिस्तान युद्ध को ले कर सौदेबाजी करने और नफ़रत फैलाने में व्यस्त है मगर दूसरी तरफ़ पठानकोट और उरी जैसे हमलों से अपने सैन्य शिविरों और जवानों की रक्षा करने में असमर्थ है। रोहित एक्ट लागू करवा कर शैक्षित संस्थानों में दलित विद्यार्थियों के साथ होते भेदभाव को खत्म करने और कैम्पस लोकतंत्र बहाल करवाने की मुहिम में ज़रूर जीत हासिल होगी ऐसी उन्होंने आशा जताई।