23 वन ग्रामों को राजस्व गांव घोषित नहीं किए जाने से सरकारी योजनाओं से वंचित है वनटांगिया
पंचायत में वोट देने का अधिकार तो मिला लेकिन अपने गांवों का विकास नहीं करा पा रहे
जीएनएल रिपोर्टर
गोरखपुर, 15 सितम्बर। वनटांगिया एक बार फिर आंदोलन की राह पर हैं। गोरखपुर-महराजगंज जिले के 23 वन ग्रामों को राजस्व गांव बनाकर वहां सरकार की सभी योजनाओं को लागू करने की मांग पर सरकार की वादाखिलाफी से नाराज वनटांगिया 19 सितम्बर से कमिश्नर कार्यालय पर अनिश्चितकालीन डेरा डालो-घेरा डालो सत्याग्रह शुरू करने जा रहे हैं।
आज एक सौ ज्यादा वनटांगियों ने कमिश्नर और डीएम को ज्ञापन देकर अपने आंदोलन के बारे में बताया।
बाद में प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत करते हुए वनटांगिया विकास समिति के अध्यक्ष जयराम प्रसाद, समिति के सदस्य नूर मोहम्मद, रामगनेश, बरहवां के ग्राम प्रधान रामजतन, रजही के ग्राम प्रधान रणविजय सिंह ने बताया कि दोनों जिलों के 23 वन ग्रामों में 4745 वनटांगिया परिवार रहते हैं जिनकी कुल आबादी 40 हजार है। इनमें 21 हजार मतदाता है। वन अधिकार कानून लागू होने के बाद वर्ष 2011 में इन्हें अपने घर और खेती की जमीन पर मालिकाना हक मिल गया लेकिन उनके गांवों को राजस्व गांव नहीं बनाया गया जिससे उनके गांवों में स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, सड़क, पेयजल, आवास, पेंशन, मनरेगा सहित सभी सरकारी योजनाएं नहीं लागू होती हैं।
वनटांगिया 2011 से लगातार धरना-प्रदर्शन, बैठक, सम्मेलन कर शासन-प्रशासन से मांग करते आए लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। इस पर उन्होंने 10 और 11 जून को कमिश्नर कार्यालय पर डेरा डालो-घेरा डालो आंदोलन किया। इसके बाद उनके गांवों को बगल के गांवों से जोड़कर पंचायत का गठन किया गया और आजादी के बाद पहली बार उन्हें पंचायत में वोट देने का मौका मिला। इसके बाद महराजगंज जिले में दो वनटांगिया ग्राम प्रधान भी चुने गए।
वनटांगियों को भरोसा था कि पंचायत चुनाव के बाद उनके गांव राजस्व गांव बनेंगे और वहां भी विकास कार्य होंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। चुने गए ग्राम प्रधानों को अधिकारी साफ तौर पर कह रहे हैं कि वन ग्रामों के विकास के लिए कोई बजट आंवटित नहीं हो सकता क्यांेंकि वे राजस्व गांव नहीं हैं। रजही गांव के प्रधान रणविजय सिंह उर्फ मुन्ना सिंह ने बताया कि उनके ग्राम पंचायत में तीन वन ग्राम रजही कैम्प, रजही खाले और आमबाग आते हैं। वह इन गांवों में विकास के कार्य कराना चाहते हैं लेकिन शासन से कोई बजट आवंटित नहीं किया जा रहा है।
यही हाल अन्य वन ग्रामों का है। बरहवा के ग्राम प्रधान रामजतन वनटांगिया समुदाय के ही है। वह प्रधान तो बन गए लेकिन अपने गांव में कोई कार्य नहीं करा पाने से बहुत निराश हैं।
जयराम प्रसाद ने बताया कि सभी 23 गांवों को राजस्व गांव बनाने का प्रस्ताव 14 अगस्त 2014 को ही राजस्व परिषद में भेज दिया गया है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। महराजगंज के डीएम ने अभी हाल में फिर पत्र लिखा है लेकिन मामला जस का तस है। इसलिए विवश होकर हम फिर से आंदोलन करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बार आंदोलन आर-पार को होगा और वन ग्रामों को राजस्व गांव घोषित कराए बिना वे कमिश्नर कार्यालय से जाएंगे नहीं।