गोरखपुर, 4 अक्तूबर। मियां साहब इमामबाड़ा एक वाहिद इमामबाड़ा है जिसके अंदर सोने और चांदी की ताजिया हैं। इसे सात दरवाजों व सात तालों में बंद रखा जाता है। इसको देखने की ललक लोगों में पूरे साल बनी रहती है लेकिन मोहर्रम के दिनों में इमामबाड़ा की शान ही कुछ और होती है। बुधवार को इसे दर्शन के लिए आम कर दिया जायेगा।
तीन से दस मोहर्रम की दोपहर तक लोग यहां ताजिए की जियारत करने आते है। इसका एक हिस्सा पूरे साल बंद रहता है। कई दरवाजों से गुजरने के बाद मोहर्रम के दिनों में इस हिस्से तक पहुंचा जा सकता है, जहां एक बड़े कमरे में सोने चांदी के दो ताजिए रखे हुए। कुछ लोग ताजियों को बाहर लगी जाली से देखते हैं तो कुछ एक-एक करके अंदर जाते हैं। अवध के नवाब ने दिया था 5.50 किलो सोने की ताजिया। बुजुर्ग की करामत सुनकर नवाब की बेगम ने इमामबाड़े में चांदी की ताजिया स्थापित कराया जो आज भी श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रतीक है। मोहर्रम का चाँद दिखने के बाद इमामबाड़ा स्टेट के उत्तराधिकारी सोने चांदी ताजिया वाले कमरे में चाबी लेकर पहुंचते है। दो रकात नमाज अदा करते हैं। उसके बाद सोने-चांदी के ताजिए को रखे जाने वाले कमरे का दरवाजा खोला जाता है। शहर के किसी सर्राफ को इसकी सफाई की जिम्मेदारी दी जाती है। हर साल तीन मोहर्रम की शाम से सोने-चांदी के ताजियों के दर्शन का सिलसिला शुरू होता है। रौशन अली शाह के आस्ताने का दरवाजा भी खुल जाता है, जहां फातिहा पढने के लिए लोग उमड़ पड़ते है। सोने चांदी के अलम झंडे भी जियारत के लिए आम होते है।