* अपने गायकी से भक्ति रस की धारा बहाते हैं कुन्दन
* प्रसिद्ध गायक गाते हैं कुन्दन के लिखे भजनों को
गुफरान अहमद
सिसवा बाजार (महराजगंज), 7 अक्तूबर। कहते हैं कि व्यक्ति की पहचान उसके कार्यों से होता है, न कि जाति धर्म से। इन्सान अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल करता है, लेकिन सब कुछ उसे नहीं मिल पाता है। वहीं कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके पास न दौलत है न जमीन और ना बड़ी-बड़ी अट्टालिकाएं। उनके पास है तो सिर्फ प्रेम, समाज सेवा, और साम्प्रदायिक सौहार्द। इनमें से एक नाम है वाहिद हुसैन उर्फ कुन्दन अकेला। जो अमित अंजन के भक्तिमय परिवार के साथ अपने भजनों के माध्यम से इस शारदीय नवरात्र में माँ दुर्गा की भक्ति रस की धारा देश के तमाम हिस्सों में बहा रहे हैं।
कहने को तो कुन्दन मुस्लिम हैं लेकिन वे जहाँ पाँचों वक़्त के नमाज़ी होने के साथ अपने मजहब को मानते हैं, वहीं मारवाडी समाज के कुल देवता कहे जाने वाले खाटू नरेश के दीवाने भी हैं। उनके रोम-रोम में श्याम बसे हैं। सोते-जागते उनकी जुबान खाटू नरेश का गुणगान करते नहीं थकती है। 34 वर्षीय वाहिद हुसैन को बचपन से ही गीत और भजन लिखने व गाने का शौक था। और यह शौक इस कदर बढा कि एक बार उन्हें गोरखपुर में मारवाडी समाज के एक श्याम जागरण में जाने का मौका मिला। उनके मित्र वासुकीनाथ अग्रवाल व प्रमोद चोखानी के कहने पर कुन्दन ने जब पहला भजन गाया तो पूरा पाण्डाल झूम उठा।
मूलतः कुशीनगर जनपद के कप्तानगंज नगर पंचायत निवासी वाहिद उर्फ कुन्दन ने यहीं से गीत व भजनों को लिखने व गाने का काम शुरू किया। वे अब तक श्याम, हनुमान, व देवी जागरण के लिए मध्य प्र्रदेश, छत्तीसगढ, मुम्बई, गुजरात, तमिलनाडु, दार्जलिंग, असम, राजस्थान, हिमांचल प्रदेश, नेपाल सहित प्रदेश के तमाम शहरों में जाकर अपने भजन गायकी का डंका बजा चुके हैं। इतना ही नहीं कुन्दन के लिखे हुए भजनों पर देश के नामी गिरामी भजन गायकों के एलबम भी निकल चुके हैं। जिनमें मेरे श्याम मुस्कुरा दो, चिंतन, सांवरिया सेठ, श्याम दरबार से बढकर कोई नहीं, हाजिरी श्याम की, पत्थर ना बनो मुरारी आदि एलबम प्रमुख हैं।
कुंदन द्वारा भजनों पर आधारित लिखित पुष्पांजलि प्रत्येक वर्ष प्रकाशित होती है। हिन्दू-मुस्लिम एकता और साम्प्रदायिक सौहार्द के मिसाल कुन्दन कहते हैं कि भजन व गीत लिखना व गाना एक कला है और उसका किसी मजहब, धर्म या समुदाय से कोई सरोकार नहीं। कबीर, रहीम, रसखान, जायसी, मो0 रफी भी तो मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते थे। और वहीं शम्भू मिलन सिंह, जगजीत सिंह और हरिहरन जैसे अनेकों गायकों ने नात, हम्द और मकतब गाये हैं। तो मैं तो एक अदना सा छोटा सा कलाकार हूँं। वे पांचों वक्त का नमाज पढने के साथ ही खाटू श्याम, वैष्णो देवी, कामख्या देवी, शिरडी साईं, विंध्याचल सहित देश के तमाम तीर्थ-स्थलों पर मत्था टेक चुके हैं।