नई दिल्ली / पटना , 5 अक्तूबर। इप्टा के 14 वें राष्ट्रीय सम्मेलन पर हमले की कड़ी भर्त्सना करते हुए जन संस्कृति मंच और हिरावल ने इसे देश की सांस्कृतिक विरासत के प्रगतिशील पहलुओं पर बढ़ते फासिस्ट हमलों का एक और बदतरीन उदाहरण बताया है।
दोनोए संगठनों द्वारा जारी साझा बयान में कहा गया है कि इंदौर में 2 अक्टूबर को शुरू हुए इप्टा के 14वें राष्ट्रीय सम्मेलन के अंतिम दिन 4 अक्टूबर को भारत स्वाभिमान मंच नाम के एक संगठन जिसका किसी ने नाम भी न सुना होगा, के 10-12 उपद्रवी तत्वों ने हमले की कोशिश की। ये मंच पर चढ़ गए और नारेबाजी करने लगे। आयोजकों द्वारा इन्हें बाहर का रास्ता दिखाए जाने के बाद इन्होंने सम्मेलन स्थल पर पत्थरबाजी की जिसमें एक इप्टा कार्यकर्ता का सर फट गया। बाद में इन्होंने स्थानीय विजय नगर थाने पर पहुँच कर उलटे इप्टा के लोगों पर फर्जी प्राथमिकी दर्ज कराने का दबाव बनाया। स्थानीय आर.एस.एस. इकाई ने भी इप्टा सम्मेलन में कथित देश-विरोधी वक्तव्य दिए जाने का फर्जी आरोप लगते हुए विज्ञप्ति जारी की। अनुमान लगाना कठिन नहीं है कि कायराना हमला करनेवाले एक नामालूम से, लगभग रातों-रात खड़े हो गए इस संगठन का संबंध किस से है।
यह घटना संघ समर्थक ताकतों द्वारा लेखकों, कलाकारों, बुद्धिजीवियों पर लगातार हो रहे हमलों की शृंखला की ताजी कड़ी है। कुछ दिनों पहले हरियाणा सेंट्रल यूनिवर्सिटी में विद्यार्थी परिषद् ने महान लेखिका महाश्वेता देवी लिखित नाटक ‘दौपदी’ के मंचन के खिलाफ प्रदर्शन किया। यूनिवर्सिटी ने स्वायत्तता ताक पर रखते हुए इन तत्वों के दबाव में मंचन में सहायक दो अध्यापकों के खिलाफ जांच बैठा दी है। केंद्र की मोदी सरकार और भाजपा शासित राज्य सरकारों के शासन में गाय, देश और धर्म का नाम लेकर अभिव्यक्ति की आजादी, विवेक, समता और सांप्रदायिक सौहार्द्र की संस्कृति पर तथा दलितों और अल्पसंख्यकों पर हमले करनेवाले उन्मादी तत्वों के हौसले बढे हुए हैं। लेकिन इन हमलों का प्रतिरोध भी हर कहीं हो रहा है। इप्टा के सम्मेलन पर हमला देश की सांस्कृतिक विरासत के प्रगतिशील पहलुओं पर बढ़ते फासिस्ट हमलों का ही एक और बदतरीन उदाहरण है। इप्टा के आंदोलन को जिन महान कलाकारों, फिल्मकारों, चित्रकारों, लेखकों-बुद्धिजीवियों ने खून-पसीना एक कर खडा किया, उन्होंने देश ही नहीं दुनिया की मानवतावादी और प्रगतिशील संस्कृति को आगे बढाया है। जन संस्कृति मंच और ‘हिरावल’ इप्टा के राष्ट्रीय सम्मेलन पर हुए हमले की कठोर भर्त्सना करते हुए हमलावरों और साजिशकर्ताओं की गिरफ्तारी और घटना में मध्य प्रदेश की राज्य सरकार की भूमिका की न्यायिक जाँच की मांग करता है।