पडरौना चीनी मिल को चलाने और कुशीनगर को रेल सेवा से जोड़ने के बारे में घोषणा की उम्मीद कर रहे थे लोग
मनोज कुमार सिंह, कुशीनगर
पीएम नरेन्द्र मोदी की परिवर्तन रैली में भीड़ तो जुटी लेकिन उनसे कुशीनगर के लिए सौगात की उम्मीद लगाए लोग निराश भी हुए। कुशीनगर के लोगों को उम्मीद थी कि वह वर्ष 2014 में पडरौरा में किए अपने वादे के मुताबिक बंद चीनी मिलों को चलाने और कुशीनगर को रेल सेवा से जोड़ने के बारे में घोषणा करेंगे लेकिन उन्होंने इस सम्बन्ध में कोई बात ही नहीं कही जबकि यहां के सांसद राजेश पांडेय ने इशारों-इशारों में लोगों की उम्मीदों के बारे में उन्हें आगाह भी कर दिया था।
आज कसया हवाई पट्टी पर आयोजित जनसभा में भाजपा नेताओं की उम्मीद के मुताबिक भीड़ जुटी। भीड़ को देख खुद नरेन्द्र मोदी भी गदगद लगे और उन्होंने अपने सम्बोधन में इसका इजहार भी किया। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान उनकी सभाओं में इससे आधी भीड़ भी नहीं होती थी। यही नहीं महिलाओं की संख्या भी न के बराबर होती थी लेकिन इस सभा मंे बड़ी संख्या में महिलाएं आई हैं। लोग पीएम के सम्बोधन के पहले ही चर्चा करने लगे थे कि आज कुशीनगर को बड़ी सौगात मिलेगी। लोगों की उम्मीद बंद चीनी मिलों खासकर पडरौना चीनी मिल को चलाने और कुशीनगर को रेल सेवा से जोड़ने के बारे में थी।
सभा का संचालन कर रहे कुशीनगर के सांसद राजेश पांडेय पर भी इस जनभावना का दबाव था। उन्होंने पीएम नरेन्द्र मोदी को सम्बोधन के लिए आमंत्रित करते समय इसका इजहार भी कर दिया। उन्होंने कहा कि लोग सोच रहे हैं कि मै प्रधानमंत्री से कुछ मांग क्यों नहीं रहा हूं। मै जानता हूं कि प्रधानमंत्री मजबूत नेता हैं तो मांगने की जरूरत नहीं है। प्रधानमंत्री ने अपने सम्बोधन के शुरू में राजेश पांडेय की इस बात का जिक्र भी किया और कहा कि देने वाले जो देशवासी और जनता जर्नादन है। हम तो प्रधानसेवक हैं। इसके बाद जब उन्होंने यह कहा आपने इतना दिया है कि मै तो उसका कर्ज चुकाने आया हूं तो लोगों को लगा कि अब प्रधानमंत्री घोषणा करेंगे लेकिन 45 मिनट के सम्बोधन में जब उन्होंने कुशीनगर के लिए कोई घोषणा नहीं की लोग बेतरह निराशा हो गए।
पीएम ने गन्ना किसानों की समस्या और 22 हजार करोड़ के गन्ना मूल्य के भुगतान का जिक्र तो किया लेकिन बंद चीनी मिलांे के बारे में कुछ नहीं बोले।
कुशीनगर जिले में कुल 10 चीनी मिलें हैं जिसमें से निजी क्षेत्र की पांच चीनी मिलें-रामकोला, ढाढा, खड्डा, सेवरही और कप्तानगंज ही चल रही है। शेष पांच चीनी मिलें -पडरौना, कठकुइंया, छितौनी, लक्ष्मीगंज और रामकोला की चीनी मिल बंद है। इसमें से पडरौना चीनी मिल केन्द सरकार के उपक्रम एनटीसी की है जिसे चलाने के लिए दो बार निजी क्षेत्र को दिया गया लेकिन दोनों इसको चलाने में असफल रहे। इस चीनी मिल पर किसानों और श्रमिकों का करोड़ो रूपया भी बकाया है। चीनी मिलों की बंदी और गन्ना मूल्य के भुगतान में देरी के कारण इस वर्ष करीब छह हजार हेक्टयेर गन्ना क्षेत्रफल कम भी हो गया है।
पीएम ने कुशीनगर को रेल सेवा से जोड़ने के बारे में भी कुछ नहीं कहा। अलबत्ता उन्होंने यह जरूर कहा कि रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा दिन-रात प्रदेश में रेल के विकास के लिए लगे हैं। केन्द्र सरकार रेल और सड़क में अरबों-खरबों लगा रही है।
कुशीनगर बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली होने के कारण पूरे दुनिया में बौद्धों के लिए पवित्र तीर्थस्थल है लेकिन कुशीनगर अभी तक न तो रेल सेवा से न तो हवाई सेवा से जुड़ा है। इस कारण बौद्ध पर्यटकों को यहां आने में काफी दिक्कत होती है। यहां पर सड़क मार्ग से ही आया जा सकता है। हवाई और रेल सेवा के अभाव में यहां विदेशी पर्यटकों की संख्या 60-65 हजार से अधिक नहीं हो पा रही है जबकि बिहार में बौद्ध गया के हवाई सेवा से जुड़ने से वहां विदेशी पर्यटकों की संख्या कुशीनगर के मुकाबले चैगुनी हो गई है।
कुशीनगर को रेल सेवा से जोड़ने के लिए कई बार सर्वे हुआ लेकिन बात वहां से आगे नहीं बढ़ सकी। यहां पर अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने के लिए 11 गांवों के 3100 किसानों ने 231 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहीत कर ली गई। भूमि अधिग्रहण के भी एक दशक होने जा रहे हैं लेकिन कहना मुश्किल है कि हवाई अड्डा कब तक बन पाएगा।
पडरौना चीनी मिल और कुशीनगर रेल सेवा के बारे में पीएम द्वारा कोई बात नहीं कहे जाने के बारे में लोगों की निराशा प्रतिक्रियाओं में भी सुनने को मिली। सभा समाप्ति के बाद लौट रहे एक व्यक्ति ने कहा कि पीएम ने विपक्षियों को बोलने का मौका दे दिया। अखिलेश राज में कुशीनगर को दो तहसील मिली लेकिन भाजपा की सरकार ने क्या दिया ?
भाजपा के एक पदाधिकारी ने भी यही बात कही। हालांकि उनकी नाराजगी पीएम से ज्यादा कुशीनगर के सांसद राजेश पांडेय पर थी। उनका कहना था कि राजेश पांडेय को स्पष्ट रूप से ये दोनों मांग पीएम के सामने रखनी चाहिए थी।