सोशलिस्ट पाटी (इंडिया), नेलोपा, भारतीय कृषक दल, जनहित विकास पार्टी, जनवादी समता पार्टी ने बनाया मोर्चा
परिवर्तन मोर्चा साम्प्रदायिक और काॅरपोरेट परस्त राजनीति का करेगा सफाया
मुजफ्फरनगर से लेकर बाबरी मस्जिद तक के गुनहगारों को कटघरे में खड़ा किया सच्चर ने
लखनऊ 29 जनवरी। सांप्रदायिक ताकतों के समूल विनाश के लिए यूपी के विधानसभा चुनाव में दो सौ सीटों पर परिवर्तन मोर्चा के प्रत्याशी उतारने की घोषणा करते हुए सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के संरक्षक और पूर्व न्यायाधीश राजिन्दर सच्चर ने कहा कि मोर्चा प्रदेश की जनता को नया विकल्प देगा।
यह बातें सच्चर कमेटी के अध्यक्ष राजिन्दर सच्चर ने यूपी प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहीं। परिवर्तन मोर्चा की घोषणा करते हुए राजिन्दर सच्चर ने कहा कि उनके द्वारा अल्पसंख्यक वर्गों के विकास पर जो सिफारिशें की गईं उसे आज तक किसी राजनीतिक दल ने नहीं लागू किया। यूपी में सपा ने वादे के बावजूद जहां इसे लागू नहीं किया वहीं इस बार अपने चुनावी घोषणा पत्र से ही इसे गायब कर दिया है। उन्होंने कहा कि सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) वंचित समाज के विकास के एजेण्डे के साथ इस चुनाव में परिवर्तन मोर्चे के साथ चुनावी मैदान में उतरी है। सोशलिस्ट पार्टी समान शिक्षा प्रणाली, गरीबों को आवास मुहैया कराने के लिए लगातार संघर्षरत है। परिवर्तन मोर्चा इस चुनाव में मजदूरों, मजलूमों, किसानों, नौजवानों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों, दलित-आदिवासी वर्गोें के शिक्षा, रोजगार, किसानी जैसे मुद्दों पर चुनाव लडे़गा। उन्होंने कहा कि मोर्चे में सोशलिस्ट पाटी (इंडिया), नेलोपा, भारतीय कृषक दल, जनहित विकास पार्टी, जनवादी समता पार्टी 200 सौ सीटों पर अपने संयुक्त प्रत्याशी उतारेंगे।
साम्प्रदायिकता से लड़ने के सवाल पर श्री सच्चर ने कहा कि मुजफ्फरनगर पर मैं बताना चाहूंगा कि इस सवाल पर जब मैंने कुलदीप नैयर और अन्य लोगों ने मुलायम सिंह जी को पत्र लिख कर वहां के हालात पर चिंता जाहिर करते हुए उनसे मिलने का वक्त मांगा तो उन्होंने मिलने तक का समय नहीं दिया। उन्होंने कहा कि साम्प्रदायिकता जैसे बड़े खतरे पर अपने को लोहियावादी बताने वालों से यह उम्मीद नहीं थी। साम्प्रादयिकता के खिलाफ गम्भीर संघर्ष चलाने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि बाबरी मस्ज्दि जैसी घटना के बाद होना तो यह चाहिए था कि 6 दिसम्बर को पूरा देश ‘पश्चाताप दिवस’ मनाए लेकिन फासीवाद के खिलाफ समझौतावादी संघर्ष के कारण आज आजाद भारत की सबसे शर्मनाक घटना को अंजाम देने वाले लोग सत्ता में पहुँच गए हैं।
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए मैगससे पुरस्कार से सम्मानित सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संदीप पाण्डेय ने कहा कि लोहिया शराब के विरोधी थे लेकिन खुद को लोहिया का वारिस बताने वाली सपा सरकार शराब का दाम कम करके यूपी को दूसरा पंजाब बनाने पर तुली है। इसी तरह लोहिया ने नारा दिया था कि समाजवाद में रानी और मेहतरानी के बच्चे एक स्कूल में पढ़ेंगे लेकिन सपा सरकार के विधायक और मंत्री शिक्षा माफिया बन गए हैं। अच्छे दिनों का वादा करके सत्ता में आई भाजपा ने नोटबंदी करके कितने ही गरीबों को रोड पर ही लाईन लगवाकर मार डाला। वहीं बसपा का कोई भरोसा नहीं कि वो कब भाजपा के साथ हाथ मिला ले। ऐसे में परिवर्तन मोर्चा इन तीनों दलों की नीतियों के खिलाफ इमानदार और सेक्यूलर उम्मीदवारों के जरिए जनता को वास्तविक समाजवादी विकल्प देगा। इस राजनीतिक विकल्प को विभिन्न वर्गों के सामाजिक संगठनों और आंदोलनों का समर्थन प्राप्त है।
रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने परिवर्तन मोर्चा का समर्थन करते हुए कहा कि देश में पैदा हो रहे संवैधानिक संकट से निपटने के लिए तमाम आंदोलनों को ऐसे परिवर्तनकामी ताकतों के साथ खड़ा होना पड़ेगा।
भारतीय कृषक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरोज दीक्षित ने कहा कि किसानों को इन पार्टियों ने भिखारी बना दिया है जिससे चुनाव में कुछ वादे करके हर पार्टी वोट ले लेती है और किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है। परिवर्तन मोर्चा किसानों को राजनीतिक भागीदारी देगा और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करेगा। हर गांव में सामुदायिक कृषि विकास केंद्र खुलवाए जाएंगे जहां कम लागत मूल्य आधारित खेती के लिए प्रशिक्षण एंव बाजार की जरूरतों के हिसाब से फसल चुनने में कृषि विशेषज्ञों की मदद उपलब्ध करा कर खेती किसानी को लाभकारी बनाने की दिशा में काम करेंगे।
इस दौरान जनवादी समता पार्टी के प्रतिनिधि विनोद यादव ने कहा कि परिवर्तन मोर्चा चुनाव में सपा, बसपा और भाजपा की एक जैसी गरीब विरोधी नीतियों से उपजे जनविक्षोभ की ताकत पर चुनाव लड़ रहा है। प्रेस वार्ता में शामिल नेलोपा के प्रतिनिधि शम्स तबरेज ने कहा कि हम हक हुकूक और इंसाफ के सवाल पर परिवर्तन मोर्चे के साथ चुनाव में हैं।