चुनाव लड़ना हुआ मुश्किल, बसपा दूसरा उम्मीदवार खड़ा कर सकती है
जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति ने शंभू चौधरी को कमकर जाति का माना जो सामान्य वर्ग में आता है
शंभू चौधरी खरवार जाति का होने का कर रहे हैं दावा
कुशीनगर, 3 फरवरी। रामकोला विधानसभा क्षेत्र के बसपा प्रत्याशी शंभू चौधरी का चुनाव लड़ने के रास्ते में बड़ा अवरोध आ गया है। उनका अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जिलाधिकारी ने निरस्त कर दिया है। जिलाधिकारी ने उन्हें कमकर जाति का माना है जो सामान्य श्रेणी में आता है जबकि श्री चौधरी अपने को खरवार जाति का बताते हुए अनुसचित वर्ग का दावा कर रहे थे।
श्री चौधरी वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर नौरंगिया विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। तब वह योगी आदित्यनाथ के संगठन हिन्दू युवा वाहिनी से जुड़े हुए थे और योगी ने उन्हें भाजपा से टिकट दिलाया था। हालांकि बाद में योगी आदित्यनाथ ने उन्हें संगठन से बाहर कर दिया और उनकी भाजपा में आने की तमाम कोशिशों को भी सफल नहीं होने दिया।
वर्ष 2007 में शंभू चौधरी के विधायक चुने जाने के बाद उस समय बसपा प्रत्याशी रहे सीडी गौतम ने उनकी जाति प्रमाण पत्र को फर्जी बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। श्री गौतम ने कहा कि शंभू चौधरी कमकर जाति के हैं जो सामान्य वर्ग में आता है और उन्होंने गलत तरीके से जाति प्रमाण पत्र हासिल किया है। हाईकोर्ट ने वर्ष 2009 में शंभू चैधरी को सामान्य वर्ग का मानते हुए उनका चुनाव शून्य घोषित कर दिया। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शंभू चौधरी सुप्रीम कोर्ट चले गए जहां उन्हें स्टे मिल गया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने शंभू चौधरी के जाति के सवाल पर कुछ विंदुओं हाईकोर्ट को विचार करते हुए मामला रेफर कर दिया। हाईकोर्ट ने वर्ष 2013 में डीएम को इस मामले की सुनवाई का निर्देश दिया। डीएम की अध्यक्षता वाली जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति ने जांच में पाया कि कमकर जाति सामन्य वर्ग में हैं। समिति ने शंभू चौधरी का अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया। डीएम ने कहा कि श्री चौधरी को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी कैसे हुआ, इसकी जांच करायी जाएगी।
शंभू चौधरी ने अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र निरस्त किए जाने की कार्रवाई को सत्ता के इशारे पर की गई कार्रवाई बताया है।
अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र निरस्त होने जाने के बाद श्री चौधरी का रामकोला सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ना मुश्किल हो गया है। बसपा उनके स्थान पर दूसरा प्रत्याशी खड़ा कर सकती है।