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रिहाई मंच ने किया ठाकुरगंज का दौरा, पुलिस के दावों पर उठते सवालों पर उच्चस्तरीय जांच की मांग

रिहाई मंच ने पुलिस से पूछे 10 सवाल, रिहाई मंच जल्द लाएगा विस्तृत रिपोर्ट
लखनऊ 9 मार्च। रिहाई मंच ने लखनऊ के ठाकुरगंज में हुए कथित मुठभेड़ पर गहराते सवालों के मद्देनजर उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। मंच ने कहा है कि कथित मुठभेड़ में आईएसआईएस का आतंकी बताकर युवक को मारने के बाद अपर पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था दलजीत चौधरी का कहना कि उसके आईएसआईएस से जुड़े होने का कोई सुबूत नहीं मिला है, इसे संदिग्ध बना देता है। मंच जल्दी ही इस पूरे घटनाक्रम पर अपनी जांच रिपोर्ट लाएगा।
रिहाई मंच द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में मंच के अध्यक्ष एडवोकेट मो शुऐब ने कहा कि कथित मुठभेड़ पर स्थानीय जनता द्वारा उठाए जा रहे सवाल पुलिस के दावे को संदिग्ध साबित करते हैं। उन्होंने इस मुद्दे पर मीडिया द्वारा पुलिस के वर्जन के अनुकूल खबरें प्रसारित करने को भी पुलिस द्वारा इस मुठभेड़ पर उठने वाले सवालों को दबाने की रणनीति का हिस्सा बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इसी रणनीति के तहत कथित आतंकी सैफुल्ला के परिजनों का वह वीडियो बार-बार चलाया जा रहा है जिसमें उनके द्वारा अपने बेटे का शव यह कह कर लेने से इनकार किया जा रहा है कि उनका बेटा आतंकी है इसलिए वे उसका शव नहीं लेंगे। जबकि उस वीडियो में उनके भाई खालिद कहते हुए सुने जा सकते हैं कि इतने बड़े-बड़े अधिकारियों ने इनकाउंटर किया है तो यह सही ही होगा। जो साफ करता है कि सैफुल्ला के परिजन सिर्फ इस आधार पर उसे आतंकी और मुठभेड़ को वास्तविक मान ले रहे हैं कि यह इनकांउटर बड़े पुलिस अधिकारियों ने किया है। यानी यह बयान या तो पुलिस के प्रभाव और दबाव में दिया गया है या वे इतने सीधे सादे लोग हैं कि पुलिस के दावों को सही मानते हैं और उन्हें शायद यह पता ही नहीं है कि पुलिस खुद अपने और राजनीतिक हितों के लिए भी लोगों को फंसाती और फर्जी मुठभेड़ों में मारती है जिसमें कई बार पुलिस वालों को अदालत सजा भी देती रही है।
रिहाई मंच अध्यक्ष और आतंकवाद के नाम पर फंसाए गए 14 बेगुनाह मुसलमानों को बरी कराने वाले वकील मो0 शुऐब, जैद अहमद फारूकी, शबरोज मोहम्मदी, सैयद मो वासी, शिराज़ बाबा ने ठाकुरगंज का दौरा करने और स्थानीय लोगों से मुलाकात के बाद ये 10 अहम सवाल उठाए हैं-
1- स्थानीय लोगों के मुताबिक उन्होंने एटीएस से कहा कि लड़का सीधा सादा है और वे लोग उससे बात करके उससे आत्मसमपर्ण करा देंगे। लेकिन एटीएस ने उनकी बात को खारिज कर दिया। क्या एटीएस उसे जिंदा नहीं पकड़ना चाहती थी?
2- कथित आतंकी के पड़ोसी कय्यूम जो उससे किराया भी वसूला करते थे, को उनके परिवार समेत वहां से क्यों हटा कर किसी अनजान जगह पर रखा गया है ? आखिर उनके पास ऐसी कौन सी जानकारी है जिसका सार्वजनिक होना पुलिस ठीक नहीं समझती है ?
3- एटीएस का दावा है कि सैफुल्ला घर के अंदर के कमरे में छुपा हुआ था। ऐसे में सवाल उठता है कि वह किस तरह से और किस तरफ से एटीएस वालों पर गोली चला रहा था ? या पुलिस उस पर किस तरह से और किस तरफ से लक्षित करके गोली चला रही थी ? यह सवाल तब और भी अहम हो जाता है जब घर की दिवार और दरवाजों पर किसी तरह का कोई निशान ही नहीं हैं ? सवाल उठता है कि क्या सिर्फ लोगों में दहशत पैदा करने और पूरे नाटक को वास्तविक दिखाने के प्रयास के तहत पुलिस ने हवाई फायरिंग की? अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर चली हुई गोलियों के निशान आखिर दिवारों और दरवाजों पर क्यों नहीं हैं?
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4- मीडिया और अन्य लोगों को मकान के अंदर क्यों नहीं जाने दिया जा रहा है?
5- खबरों के मुताबिक दोपहर करीब 2 बजे तक पडा़ेसी किराएदार के घर में बाप-बेटे में झगड़ा होने पर पहुँची पुलिस ने वहां मौजूद कथित आतंकी से भी पूछ-ताछ की और झगड़े को सुलझाए जाते वक्त भी वह वहीं पर मौजूद था। सवाल उठता है कि अगर वह सचमुच आतंकी होता और उसके गिरोह के लोग किसी ट्रैन में विस्फोट कर चुके होते तो वह पुलिस के सामने पंचायत करवाता ? या उनसे बचने की कोशिश करते हुए वहां से हट जाता ?
6- पुलिस के मुताबिक उसे मध्यप्रदेश की पुलिस से सूचना मिली थी कि सैफुल्ला आतंकी है लेकिन सवाल उठता है कि सिर्फ नाम के आधार पर ही पुलिस को बिल्कुल सटीक जानकारी कैसे मिल गई कि वह उसी मकान में रहता है? क्योंकि पुलिस और पड़ोसियों के मुताबिक पुुुलिस ने किसी दूसरे घर की तरफ झांका भी नहीं और ना किसी से कोई पूछताछ ही की, वह सीधे उसी घर पर पहुँच गई? जो स्वाभाविक नहीं कहा जा सकता।
7- पुलिस के मुताबिक कथित आतंकी की हत्या रात को मुठभेड़ के दौरान हुई लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि हत्या तकरीबन 5 बजे शाम को ही हो गई थी। आखिर लोगों में यह धारणा क्यों है, वे पुलिस के दावे से असहमत क्यों हैं?
8- पुलिस के मुताबकि उसने मिर्ची बम का इस्तेमाल किया क्योंकि वह चाहती थी कि आतंकी को जिंदा पकड़े। लेकिन घटनास्थल से करीब एक किलोमीटर दूर रहने वाले स्थानीय लोगों के मुताबकि मिर्ची बम के कारण उनको भी सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। सवाल उठता है कि एटीएस ने इतनी मात्रा में मिर्ची बम का इस्तेमाल क्यों किया जिससे कि उस छोटे से कमरे के अंदर मौजूद व्यक्ति का जिंदा रहना नामुमकिन हो जाए ? क्या एटीएस ने ऐसा जानबूझ कर किया, क्या वो कथित आतंकी को जिंदा नहीं पकड़ना चाहती थी?
9- एटीएस के मुताबिक उसने मारे गए आतंकी से उसका रोज का टाइम टेबल हासिल कर लिया है जिसे वो अपनी बड़ी कामयाबी मानती है। उसे उसने अपनी उपलब्धि के बतौर तमाम मीडिया समूहों और पत्रकरों को वाट्सएैप पर भी भेजा है। जबकि इस टाइम टेबल में कथित आतंकी के सोने, जगने, कसरत करने, मार्निंग वाॅक करने, नमाज पढ़ने, दोस्तों से धार्मिक विषयों पर बात करने, नाश्ता करने, खाना बनाने, खाना खाने का समय लिखा है। पुलिस किस आधार पर इस टाइम टेबल को आतंकी सुबूत मान रही है ?
10- पुलिस यह नहीं बता पा रही है कि मारा गया कथित आतंकी जबड़ी में हुए कथित ट्रेन विस्फोट से कैसे जुड़ा था ?

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