लखनऊ 11 जून। सात जून को लखनऊ विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्र-छात्राओं की गिरफ्तारी , उनके खिलाफ गंभीर आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज करने और उन्हें लखनऊ विश्वविद्यालय से निलम्बित किए जाने के विरोध में 12 मई की शाम मशाल जुलूस निकालने का आह्वान किया गया है।
यह आह्वान दमन विरोधी मोर्चा की ओर से किया गया है।
लखनऊ में विभिन्न छात्र और युवा संगठनों ने ज्वाइंट एक्शन कमेटी का गठन किया है। इसकी ओर से सहारनपुर में दलितों पर हमले और पूरे प्रदेश में महिलाओं पर बढ़ते अपराध के खिलाफ 31 मई को प्रदर्शन किया गया था।
इसके बाद इस कमेटी से जुड़े छात्र-छात्राओं ने सात जून को लखनऊ विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में जा रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को काले झंडे दिखाए थे और प्रदर्शन किया था। यह प्रदर्शन यूपी में भर्तियों पर लगी रोक, बदहाल कानून व्यवस्था, महिलाओं की सुरक्षा के सवाल पर किया गया था। साथ ही इन छात्र-छा़त्राओं का आरोप था कि मुख्यमंत्री शिवाजी के जिस कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे उस कार्यक्रम के आयोजन में 25 लाख रूपये का घोटाला किया गया है।
पुलिस ने काले झंडे दिखाने और प्रदर्शन करने वाले 12 छात्र-छात्राओं को गिरफतार किर लिया था। इनके उपर गंभीर आपराधिक धाराओं-147, 341, 332, 504, 506, 353 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। न्यायालय ने इन छात्र-छात्राओं की जमानत नहीं दी है और ये जेल में बंद हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय ने गिरफ्तार छात्र-छात्राओं में से सतवंत सिंह, नितिन राज, पूजा शुक्ला, अनिल कुमार यादव, अमित कुमार सिंह, राकेश कुमार, माधुर्य सिंह, अपूर्वा शर्मा को विश्वविद्यालय से निलम्बित भी कर दिया गया।
पुलिस और लखनउ विश्वविद्यालय की इस कार्रवाई से छात्र व युवा संगठनों में आक्रोश है। विभिन्न संगठनों ने 12 जून की शाम छह बजे एसएफआई कार्यालय से मशाल जुलूस निकालने का आह्वान किया गया है।
ज्वांइट एक्शन कमेटी के सुधाशु बाजपेयी ने कहा छात्रों ने प्रदेश के ज्वलंत सवालों पर ध्यान दिलाने के लिए मुख्यमंत्री को काला झण्डा दिखाया था। छात्र-छात्राओं पर पर गम्भीर धाराओं में गिरफ्तारी सरकार द्वारा बदले की भावना से कार्यवाही दर्शा रही है।
समाजवादी छात्रसभा के उपाध्यक्ष कुवर रितेश सिंह ने कहा कि सरकार का तीन महीने में ही जनविरोधी रवैया उजागर हो गया है। जगह-जगह जनता विरोध कर रही है, परन्तु सरकार जनता के दमन पर उतर आयी है। लविवि के शोध छात्र एंव आइसा नेता आशू अद्वैत ने कहा कि छात्रों द्वारा मुख्यमंत्री का विरोध प्रदेश में दलित महिलाओं एंव छात्रों के रोजगार पर हमले के खिलाफ था। इसे शिवाजी के कार्यक्रम से जोड़ना राजनीतिक साम्प्रदायिक साजिश है। इस नाम पर विवि में बड़ा घोटाला है चुँकि यह कार्यक्रम कर्मचारी सास्कृतिक एंव क्रीडा परिषद् द्वारा आयोजित था, फिर वि0वि0 कोष से इताना भुगतान बड़े घोटाले ( 25 लाख के करीब) की ओर इशारा करता है।
ज्वांइट एक्शन कमेटी से छात्रनेता रवीन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि शिवा जी के नाम से इस विरोध को जोड़ना दरअसल छात्रों उठाये जा रहे प्रदेश के असली सवालों से मुँह चुराना है। शिवाजी जी की आड़ में कैम्पस का भगावाकरण किया जा रहा है।