गोरखपुर, 14 जून। माह-ए-रमजान के आखिरी अशरा (जहन्नम से आजादी) में लोग एतिकाफ़ में बैठते हैं। आने वाली 16 जून शुक्रवार की शाम मगरिब की नमाज से पहले लोग एतिकाफ में बैठ जायेंगे। एतिकाफ़ रमज़ान महीने की एक ख़ास इबादत को कहते हैं जिसमे कोई एक या कई आदमी अपने गांव या मोहल्ले की मस्ज़िद में पूरे दस दिन तक दुनिया से बिल्कुल अलग हो कर इबादत में गुज़ारते है। हर बार की तरह इस बार भी तहरीक दावत-ए-इस्लामी हिन्द की जानिब से काजी साहब की मस्जिद इस्माईलपुर में रमजानुल मुबारक के आखिरी दस दिन के एतिकाफ हेतु विशेष प्रबंध किया गया है। जिसमें लोग इबादत तो करेंगे ही साथ ही उन्हें कुरआन का सही पढ़ना, नमाज, वुजू, गुस्ल, सुन्नत व आदाब, दुआएं व बहुत सारी दीन की बातें सिखायीं जायेंगी।
यह जानकारी तहरीक के वसीउल्लाह अत्तारी ने दी हैं। उन्होंने बताया कि एतिकाफ में बैठने वाले लोगों के सहरी, इफ्तार व खान-पान की व्यवस्था तहरीक निशुल्क करेगी। जो लोग इस एतिकाफ में बैठने के ख्वाहिशमंद हो वह मोबाइल नम्बर 9455819152 व 8931959387 पर सम्पर्क कर सकते हैं।
दरगाह पर 21 व 22 जून को पढ़ी जायेगी शबीना
नार्मल स्थित दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद अलैहिर्रहमां मस्जिद में 21 व 22 जून को रात्रि 9:30 बजे एशा, तरावीह व वित्र की नमाज के बाद शबीना (विशेष नफील नमाज) पढ़ी जायेगी। जिसमें मदरसा दारुल उलूम अहले सुन्नत फैजाने मुबारक खां शहीद के शहादत हुसैन, अशरफ रजा, मोहम्मद अजीम आदि दस छात्र मिलकर शबीना में एक कुरआन शरीफ मुकम्मल करेंगे। यह जानकारी मस्जिद के पेश इमाम मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही ने दी हैं। उन्होंने लोगों से इसमें बड़ी संख्या में शिरकत करने की अपील की हैं। नमाज बाद सहरी का भी इंतेजाम रहेगा।
16 जून को शब-ए-कद्र की पहली रात
गोरखपुर। मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने बताया कि शब-ए-कद्र की पहली ताक रात 16 जून शुक्रवार इफ्तार के समय से शुरु होकर फज्र तक जारी रहेगी। जिसमें बंदो को चाहिए कि खूब इबादत कर रब को राजी करें।उन्होंने दीनी किताबों के हवाले से बताया कि हजरत आयशा रजियल्लाहु अन्हा से मरवी है कि नबी-ए-पाक ने फरमाया शब-ए-कद्र को आखिरी अशरा की ताक रातों में तलाश करो यानी रमजान की 21, 23, 25, 27, 29 में तलाशों।
उन्होंने बताया कि शब-ए-कद्र के मुताल्लिक अल्लाह तआला फरमाता है कि बेशक हमनें कुरआन को शब-ए-कद्र में उतारा। शब-ए- कद्र हजार महीनों से बेहतर है यानी हजार महीना तक इबादत करने का जिस कदर सवाब है उस से ज्यादा शब-ए- कद्र में इबादत का सवाब है । जो आदमी इस एक रात को इबादत में गुजार दे उसने गोया 83 साल 4 माह से ज्यादा वक्त इबादत में गुजार दिया। रसूलल्लाह सल्लल्लाहौ अलैही वसल्लम ने फरमाया शब-ए-कद्र अल्लाह तआला ने मेरी उम्मत को अता की है। यह पहली उम्मतों को नहीं मिली।
कल इन मस्जिदों में होगा कुरआन मुकम्मल
माह-ए-रमजान में शुरु हुई तरावीह की नमाज में एक कुरआन मुकम्मल होने का सिलसिला जारी हैं। 16 जून की रात्रि शहर की ज्यादातर मस्जिदों में एक कुरआन मुकम्मल होगा। गाजी मस्जिद गाजी रौजा, गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर, चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर, मस्जिद खादिम हुसैन तिवारीपुर, मकबरे वाली मस्जिद बनकटीचक, रहमतनगर जामा मस्जिद आदि में एक कुरआन मुकम्मल होने की खुशी में मीलाद शरीफ का प्रोग्राम होगा। हाफिजों को तोहफों से नवाजा जायेगा।