– एक सप्ताह के अंदर एक्शन प्लान बनाएगा वन विभाग, अमलीजामा पहनाएगा पर्यटन विभाग
-पिछले सप्ताह लखनऊ में हुई वन व पर्यटन विभाग की संयुक्त उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया निर्णय
– 2018 के अंत तक परियोजना को पूरी करने की होगी कोशिश
आर एन शर्मा
महराजगंज, 31 अगस्त. प्रदेश में विकसित होने वाले छह इको पर्यटन क्षेत्रों में पूर्वांचल का जिम कार्बेट कहे जाने वाले सोहगीबरवा को भी शामिल किया गया है। सोहगीबरवा को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने के लिए एक्शन प्लान वन विभाग एक सप्ताह में तैयार कर देगा जबकि इसे अमलीजामा पहनाने की जिम्मेदारी पर्यटन विभाग को सौंपी जाएगी।
यह निर्णय पिछले सप्ताह लखनऊ में आयोजित वन व पर्यटन विभाग की उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया है। शासन की मंशा है कि वर्ष 2018 के अंत तक सोहगीबरवां को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित कर दिया जय ताकि बुद्धिष्ट पयर्टकों के साथ -साथ प्रकृति एवं वन्यजीव प्रेमियों को आकर्षित किया जा सके।
पिछले महीने सोहगीबरवां को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने के लिए करीब चार करोड़ की परियोजना बनाई गई थी मगर उस पर ग्रहण लग जाने की वजह से अब नई परियोजना तैयार की जा रही है।
तीन जोन में बांटेगा सोहगीबरवा, केन्द्र में होगा एकमा
सोहगीबरवा को पर्यटन क्षेत्र के लिहाज से तीन जोन में बांटा जाएगा, जिसके केन्द्र बिन्दु में लक्ष्मीपुर रेंज का एकमा होगा। इसके अलावा पकड़ी तथा डोमा को भी पर्यटन केन्द्र बनाया जाएगा। व्यवस्था के मुताबिक एकमा, पकड़ी तथा डोमा पर्यटन क्षेत्र में जाने वाले सैलानियों को रहने खाने व घूमने की सुविधा दी जाएगी। रहने के लिए टेंट, घूमने के लिए वाहन तथा मोटर बोट को सुविधा दी जाएगी ।
सैलानियों को खेसरहवा, सिगरहना, टेलफाल तथा दर्जीनिया ताल देखने का मौका मिलेगा.
एकमा से टेढीघाट तक ट्रांबे चलाने का हो रहा विचार
सोहगीबरवा के एकमा से टेढीघाट तक ट्रांबे चलाने पर भी विचार किया जा रहा है.
विभिन्न स्थानों का भ्रमण व निरीक्षण करने के लिए नेचर ट्रेल के अलावा निरीक्षण पथ भी बनेगा ताकि वन्य जीवों को देखते समय पर्यटन व वन्य जीव दोनों सुरक्षित रहें।
सोहगीबरवा के डीएफओ मनीष सिंह ने गोरखपुर न्यूज़ लाइन को बताया कि सूबे में विकसित होने वाले छह इको पर्यटन क्षेत्रों में सोहगीबरवा को भी शामिल किया गया । इसे तीन प्रमुख जोन में विकसित करने के लिए एक सप्ताह में कार्य योजना तैयार कर शासन को सौंप दिया। योजना को अमलीजामा पहनाने की जिम्मेदारी पर्यटन विभाग को होगी।