गोरखपुर, 2 सितम्बर। बीआरडी मेडिकल कालेज में आक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत के मामले में आरोपित डाॅ कफील खान को आज स्पेशल टास्क फोर्स ने गिरफ्तार कर लिया. उनकी गिरफ्तारी लखनऊ में हुई या गोरखपुर में यह स्पष्ट नहीं है. स्पेशल टास्क फोर्स ने डॉ कफील की गिरफ्तारी की पुष्टि की है और कहा है कि उन्हें गोरखपुर पुलिस को हैंडओवर किया जा रहा है.
इस मामले में बीआरडी मेडिकल कालेज के निलम्बित प्राचार्य डा आरके मिश्रा और उनकी पत्नी डा. पूर्णिमा शुक्ल पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं और 14 दिन की न्यायिक हिरासत में गोरखपुर जेल में बंद हैं।
इस घटना में महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा द्वारा नौ लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी गई है जिसकी विवेचना सीओ कैंट अभिषेक सिंह कर रहे हैं।
डा. कफील बीआरडी मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग में अस्टिटेंट प्रोफेसर हैं। वह 100 बेड के इंसेफेलाइटिस वार्ड के प्रभारी भी थे। आक्सीजन संकट से बच्चों की मौत के बाद उन्हें प्रभारी पद से हटा दिया गया था और बाद में उन्हें निलम्बित भी कर दिया गया। उन पर आक्सीजन की कमी को वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में न लाने, उत्तर प्रदेश मेडिकल काउसिंल में पंजीकृत न होने के बावजूद अपनी पत्नी के नर्सिंग होम में प्राइवेट प्रेक्टिस करने, मेडिकल कालेज में मरीजों के इलाज में अपेक्षित सावधानी और उनके जीवन को बचाने के लिए अपेक्षित प्रयास नहीं करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराया गया है। उन पर ‘ संचार एवं डिजिटल माध्यम से धोखा देने के इरादे से गलत तथ्यों को संचार माध्यम से प्रसारित करने ‘ का भी आरोप लगाया गया है।
डाॅ कफील आक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत के बाद लगातार चर्चा में थे। कई समाचार पत्रों ने आक्सीजन संकट के समय व्यक्तिगत प्रयास कर कई स्थानों से आक्सीजन सिलेंडर जुटाने के लिए उनकी तारीफ करते हुए खबरें प्रकाशित थी। इसके बाद वह सोशल मीडिया में नायक के बतौर प्रचारित हुए। बाद में सोशल मीडिया में उन पर आक्सीजन सिलेंडर की चोरी करने, प्राइवेट प्रैक्टिस करने सहित कई आरोप लगाए जाने लगे और उन्हें इस घटना के खलनायक के बतौर पेश करने का प्रयास हुआ। डा कफील की तरफ से इस आरोपों का जवाब व्हाट्सअप और ट्विटर पर वीडियो अपलोड कर दिया गया जिसमें उन्हें यह कहते हुए सुना गया कि उन्होंने आक्सीजन संकट की जानकारी समय से सभी वरिष्ठ अधिकारियों को दी थी लेकिन वरिष्ठों ने कुछ नहीं किया। तब उन्होंने अपने प्रयास से 250 आक्सीजन सिलेंडर जुटाए। इस काम की तारीफ के बजाय उन पर गलत आरोप लगाए गए और उन्हें इस घटना का खलनायक बनाया गया।