गोरखपुर, 4 सितम्बर। नवजात शिशुओं की बड़ी संख्या में मौतों के कारण सवालों से घिरी सरकार अब जागी है। बीआरडी मेडिकल कालेज के नियोनेटल वार्ड के लिए 40 वार्मर कल आए जिसमें से 24 को आज क्रियाशील कर दिया गया। इससे नियोनेटल वार्ड में पहले से क्रियाशील एक दर्जन वार्मर बेड पर लोड कम हुआ है। इसके साथ ही डाॅक्टरों की कमी दूर करने के लिए 18 नए डाॅक्टरों को बीआरडी मेडिकल कालेज में भेजा गया है।
बीआरडी मेडिकल कालेज के नियोनेटल वार्ड में भर्ती होने वाले नवजात शिशुओं की संख्या एक समय में 100 तक पहुंच जा रही है। नियोनेटल वार्ड में 44 बेड ही हैं। नवजात शिशुओं की भर्ती संख्या को देखते हुए इसको अपग्रेड कर 100 बेड का वार्ड बनाने की मांग की जा रही थी। वर्ष 2016 में 28 अगस्त को यहां आईं केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल को मेडिकल कालेज की ओर से अपग्रेड कर 100 बेड में तब्दील करने के लिए 11 करोड़ का प्रस्ताव दिया गया लेकिन केन्द्र और प्रदेश सरकार एक वर्ष तक इस प्रस्ताव को दबा कर सोए रही।
जब आक्सीजन की कमी से 10 और 11 अगस्त को 34 बच्चों की मौत के बाद हंगामा मचा तो इस प्रस्ताव की सुधि आई और सीएमओ ने पत्र लिखकर बीआरडी मेडिकल कालेज के प्राचार्य को जानकारी दी कि नियोनेटल वार्ड के विस्तार के लिए 7.21 करोड़ रूपया दिया जा रहा है।
इस प्रस्ताव के अलावा नियोनेटल वार्ड के प्रभारी प्राचार्य को लगातार पत्र लिख कर 30 वार्मर बेड की मांग कर रहे थे। इन पत्रों में बार-बार उल्लेख किया जा रहा था कि नियोनेटल वार्ड के 11 वार्मर ही क्रियाशील हैं और नवजात शिशुओं की संख्या अधिक होने से एक-एक वार्मर पर चार-चार शिशुओं को रखना पड़ रहा हैं। इससे नवजात शिशुओं में एक दूसरे में सेकेण्डरी संक्रमण होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है। यह भी नवजात शिशुओं की अधिक मौत का कारण हो सकता है।
वार्मर नवजता शिशुओं के शरीर का तापक्रम नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
दर्जनों पत्र लिखने के बावजूद इस मामूली मांग को पूरा नहीं किया जा सका। अब जब इन प्रश्नों पर सरकार घिरी तब आनन-फानन में वार्मर के इंतजाम किए जा रहे हैं।
इस सम्बन्ध में स्थानीय समाचार पत्रों में खबर छपने पर 18 जून २०१७ को डीएम ने बीआरडी मेडिकल कालेज के प्राचार्य से वार्मरों की कमी के बारे में दो दिन में आख्या मांगी थी।
31 जुलाई २०१७ को बाल रोग विभाग की अध्यक्ष डा माहिम मित्तल ने प्राचार्य को पत्र लिखकर कहा कि नियोनेटल वार्ड में 11 वार्मर ही हैं जिस पर 70 शिशुओं को रखा गया है। पहले भी बार-बार पत्र लिखकर वार्मर की मांग की जाती रही है लेकिन अभी तक यह उपलब्ध नहीं हो पाया।
चिट्ठििया लिखी जाती रहीं, आख्या मांगे जाते रहे, लेकिन वार्मर के इंतजाम नहीं हो सके।
अब दो दिन पहले गोरखपुर जिला अस्पताल से आठ वार्मर बीआरडी मेडिकल कालेज भेजा गया। इसी तरह लखनउ और दिल्ली से वार्मर मंगाए गए। इन वार्मरों को नियोनेटल वार्ड के सामने वाले दो केबिनों में स्थापित किया गया है। यह प्रक्रिया दो दिन से चल रही थी। इन दोनों केबिनों में इंसेफेलाइटिस व अन्य बीमारियों से ग्रस्त बच्चे भर्ती होते थे। इन्हें अब वार्ड नम्बर 10 में शिफ्ट किया गया है।
आज बीआरडी मेडिकल कालेज के प्राचार्य पीके सिंह ने सूचना विभाग की ओर से विज्ञप्ति जारी कर बताया कि शासन द्वारा 40 नये वार्मर की सप्लाई की गयी है। इसमें से 24 नये वार्मर के लिए उपयुक्त स्थनों की व्यवस्था कर उनके स्थापना का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। साथ ही इस पर इलाज के लिए आने वाले बच्चों का प्रवेश भी प्रारम्भ कर दिया गया है। प्राचार्य के अनुसार पूर्व से मेडिकल कालेज में मात्र 16 वार्मर ही स्थापित थे।
उन्होंने यह भी बताया कि डाॅक्टरों की कमी से निरन्तर जूझ रहे कालेज में शासन स्तर से नियुक्त किये गये 18 नये डाक्टरों ने कार्यभार ग्रहण कर लिया है। इनमें 10 जूनियर रेजिडेन्ट, 07 मेडिकल आफिसर तथा पीडियाट्रिक विभाग में प्रोफेसर एवं हेड आर0पी0 सिंह सम्मिलित है। प्राचार्य के अनुसार 18 और नये डाक्टर के आ जाने से शिफ्टवाईज ड्यूटी का और बेहतर देख-रेख किया जाना सम्भव हो पा रहा है।
अब जबकि नवजात शिशुओं से लेकर बच्चों से वार्ड भरे हुए हैं, सरकार और प्रशासन वार्मर, वेंटीलेटर मंगा रहा है। यह आग लगने पर कुंआ खोदने जैसी बात है। काश यह इंतजाम पहले कर लिए गए होते तो तमाम शिशुओं की जान बचायी जा सकती थी।